वाह री भारत की मीडिया, भारत के राजनीतिक दल और उसके नेता, और वाह री जयचंदों की जमात
मैं कभी–कभी सोचता हूं कि पृथ्वी राज चौहान के शासनकाल में तो एक जयचंद था, जिसने मुहम्मद गोरी का साथ दिया, तो भारत की दुर्दशा हो गई, वर्तमान में तो जयचंदों की बाढ़ सी आ गई हैं, ऐसे में इस देश का क्या हाल होगा? ऐसे तो ये जयचंद भारत के हर जगहों पर मिलेंगे पर फिलहाल इन जयचंदों की संख्या राजनीतिक दलों और पत्रकारिता क्षेत्र में अधिक है, कमाल है इन जयचंदों के बयानों को पाकिस्तानी मीडिया बहुत जल्दी से लपक रहा हैं और अपने यहां उसे खुब स्थान दे रहा हैं, तथा इसका फायदा भी उठा रहा हैं, पर भारत में रह रहे जयचंदों को इसका भान नहीं हो रहा, उसे लगता है कि वह अपने स्थान पर सहीं है।
जबकि इस देश ने एक नहीं कई आतंकी घटनाएं देखी है, ताजा घटना पुलवामा की है, अब सवाल उठता है कि युद्ध के भय से, जानमाल की हानि के भय से, हम अपने दुश्मन से लड़े नहीं, उसे उसकी औकात नहीं दिखाएं, हर बार उसके द्वारा लतियाए जाने के बाद अपनी मजबूरी का रोना रोएं, कि उसके पास परमाणु बम हैं, वह हमारे उपर गिरा देगा तो हमारा नुकसान हो जायेगा, अरे भाई इस रोज–रोज की बदतर जिंदगी से अच्छा है कि एक बार शान की मौत मरें।
फिलहाल, वर्तमान में हमारी सेना के पराक्रम ने पाकिस्तान और वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान ही नहीं, बल्कि वहां की सेना को भी धूल चटाई है। पीएम मोदी ने भारतीय सेना को खुली छूट दे रखी है, कि जो उचित हो देशहित में करें। पीएम मोदी ने पूरे विश्व के देशों को भी बता दिया कि उनके देश में आतंकी घटना घटी है, और उनके देश को बदला लेने का अधिकार हैं। आज पूरा विश्व भारत के साथ है, यहां तक की पाकिस्तान का परम मित्र चीन भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ नहीं दिख रहा, पर पाकिस्तान परस्त नेता व खुद को सेक्यूलर बतानेवाले कुछ भारतीय मीडिया ने पाकिस्तान प्रेम में खुद को बिस्तर की तरह बिछा दिया।
इधर पीएम मोदी द्वारा मिली छूट तथा विश्व के सभी प्रमुख देशों द्वारा मिले समर्थन से प्रसन्न भारतीय वायु सेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के अंदर घुसकर विभिन्न आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिखा दिया कि भारत अब वो हर काम करेगा, जो उसे करना चाहिए, वह सीमा रेखा को पार कर, अपने दुश्मनों को औकात दिखायेगा और दिखाया भी। यही बातें कुछ भारतीय मीडिया को अच्छी नहीं लगी, बेचारे बड़े दुखी हो गये, दुखी वे लोग भी हो गये, जो चाहते थे कि पीएम मोदी को आनेवाले लोकसभा चुनाव तक गरिया सकें, वह भी यह कहकर कि आपके शासनकाल में पठानकोट, उड़ी और पुलवामा जैसी घटना घटी। आपने क्या किया?
लेकिन जैसे ही 26 फरवरी की भारतीय सेना ने अपना पराक्रम दिखाया, पूरा देश उस दिन सड़कों पर था, वह पुलवामा की घटना भूला चुका था, वह गर्व से फुला था, जबकि पाकिस्तान अंदर से घबराया हुआ था, उसके संसद में शेम–शेम के नारे गूंजे, उसके नेता आइओसी में सुषमा स्वराज के गेस्ट ऑफ ऑनर मिलने का मातम मना रहे थे, उसकी सेना ने पहली बार खुद स्वीकार किया कि भारतीय लड़ाकू विमान सरहद पार कर करीब 80 किलोमीटर की दूरी तय कर लिये, पर भारत में कुछ भारत विरोधी मीडिया व पाकिस्तानी प्रेमी चैनल को बहुत दुख हो रहा था, वो तो चाहते थे कि पाकिस्तान कुछ ऐसा करें कि वे मोदी को गरिया सकें, जिसमें एनडीटीवी का नाम लेना मैं जरुरी समझता हूं, और लीजिये इन्हें जल्द मौका भी मिल गया।
जब 27 फरवरी को पाकिस्तान द्वारा किये गये हवाई हमले का जवाब देने के क्रम में हमारे जाबांज विंग कमांडर अभिनन्दन पाकिस्तान के इलाके में पाकिस्तानी सेना के कब्जे में चले गये। एनडीटीवी के रवीश कुमार ने इस घटना को बहुत ही अपने लफ्फाजी शब्दों में पिरोकर भारत सरकार को कोसने की कोशिश करते हुए यहां तक कह दिया कि वह युद्ध के खिलाफ है, तथा कोई जरुरी नहीं कि हमारा पायलट पाकिस्तान से जल्द रिहा हो जाये, क्योंकि भारत ने खुद कहा है कि उसकी कार्रवाई सैन्य कार्रवाई नहीं थी, चूंकि जेनेवा समझौता सैन्य कार्रवाई के समय लागू होता है, इसलिए कोई जरुरी नहीं, कि पाकिस्तान, भारतीय विंग कमांडर अभिनन्दन को छोड़ दें, पूरे प्राइम रिपोर्ट में भारतीय पक्ष पर रवीश का प्रश्नचिह्न लगाना जारी था, जबकि पाकिस्तान के प्रति उसकी दरियादिली भी दिखी। आप कल का रवीश का प्राइम रिपोर्ट देख सकते हैं। वह भी तब जब पाकिस्तान में भारत द्वारा होनेवाली जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान भयभीत था।
इधर खुशी इस बात की, कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने विंग कमांडर अभिनन्दन को छोड़ने का फैसला ले लिया है, कल अभिनन्दन भारत में होंगे, पर क्या पाकिस्तान सचमुच हमारे उपर दरियादिली दिखा रहा है, अरे उसकी मजबूरी है, उसे अभिनन्दन को छोड़ना ही था, अगर नहीं छोड़ता तो फिर वह पूरे विश्व के देशों में नंगा हो जाता, अगर सचमुच में वह भारत के साथ मित्रता और बातचीत करना चाहता हैं तो वह क्यों नहीं, अपने आतंक के अड्डों को बंद कर देता, वह क्यों नहीं आतंकियों को जेल की सलाखों के अंदर डाल देता, भारत की मांग ही क्या है? उसकी तो एक ही मांग है कि पाकिस्तान अपने देश में चल रहे आतंक के कारखानों को बंद करें, और ये कथन केवल भारत का नहीं बल्कि पूरे विश्व के आतंक से प्रभावित देशों का हैं।
कमाल है, कुछ सिरफिरे मीडिया के लोग, तथा कुछ सिरफिरे राजनीतिक दलों से जुड़े लोग, सवाल ढूंढ रहे हैं कि अगर भारतीय वायु सेना ने तीन सौ से अधिक आतंकियों को मारे तो उसके विजुयल कहां है, बीबीसी ने क्यों नहीं दिखाया और न बताया। अरे मूर्खों कोई भी सेना जब कार्रवाई करती हैं तो वह क्या मीडिया के लोगों को ले जाती है, और जिस देश के आतंकी ठिकानों पर हमला हुआ, वह देश अपने यहां मीडिया के लोगों को ले जाकर यह दिखायेगा कि उसके यहां पड़ोसी देश के लड़ाकू विमानों ने हमले किये, जिसमें देखिये ये आतंकी मरे हैं, उनकी लाशें यह हैं, ऐसा होता हैं क्या?
अब सत्य क्या हैं, और असत्य क्या हैं, बीबीसी और न्यूयार्क टाइम्स जैसे भारत विरोधी मीडिया से हमें जानकारी हासिल करना होगा, भाई ऐसी सोच पर लानत हैं। जरा देखिये एक मूर्ख मीडियाकर्मी है अभिसार शर्मा, इस आदमी को धान और गेहूं के खेत में कुछ फर्क नजर नहीं आता, ये भी आजकल भारत–पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव पर ज्ञान बघार रहा हैं, अरे भाई पहले धान और गेहूं का खेत तो समझ लो, फिर भारत और पाकिस्तान पर जितना ज्ञान बघारना हो, बघार लेना।
भारतीय राजनीतिक दलों के नेताओं का क्या है? ये तो शत प्रतिशत वोट मंगवा भिखमंगे हैं, जिस भीख से उनकी किस्मत तथा उनके परिवार–प्रेमी–प्रेमिकाओं के जीवन चलते हैं, इन नेताओं पर तो आजकल थूकने का मन करता हैं, और मोदी जी आपने जिस प्रकार से पूरे देश में बूथ मैनेजमेंट पर आपने जो ज्यादा दिमाग आज खपाया, उससे आप की भी इमेज जनता के बीच में खराब हो रही हैं, इसको आप गांठ बांध लीजिये।
क्योंकि भारत की जनता, अपने आप में अनोखी है, वह अपने चालीस बहादुर जवानों के शहीद होने पर जितनी उद्वेलित होती है, बदला लेने की बात करती है, ठीक एक जवान के कब्जे अथवा अपने परिवार के एक सदस्य के दुश्मन के कब्जे में चले जाने पर अपने देश–प्रेम को भाड़ में झोंक देती है, ज्यादा जानकारी के लिए कंधार वाली वायुयान अपहरण कांड को देख लीजियेगा और थोड़ा रुबिया सईद अपहरण कांड भी देख लीजियेगा, यानी सभी की देशभक्ति कब समय देखकर करवट बदल लें, कोई कह नहीं सकता।
और यहीं कारण है कि भारत सदियों तक गुलाम रहा, और आनेवाले समय में कब गुलाम हो जायेगा, कहा नहीं जा सकता, ऐसे तो मानसिक रुप से अब भी भारतीय गुलाम हैं, आर्थिक रुप से तो 70 प्रतिशत हम गुलाम हो चुके हैं, रही बात तीस प्रतिशत की तो उसे पूरा करने में कितना देर ही लगेगा, क्योंकि राजनीतिक दलों और मीडिया के लोगों ने तो देश की बर्बादी की फसल बहुत ही शानदार ढंग से बो रखी है, बस उसे तैयार होने भर की देरी है।
फिलहाल पाकिस्तान सरकार, उसकी सेना और वहां की मीडिया की भारत पर कड़ी नजर है, वह भी तब जबकि उसके पास सैटेलाइट नहीं है, हमारे पास तो सैटेलाइट भी हैं, पर वो कहते हैं न, देशभक्ति का नारा लगाओ और जब देशभक्ति दिखाने की बात आये, तो मां के आंचल में सो जाओ, और कहो हमें युद्ध से डर लगता है। ठीक उसी प्रकरण पर भारत और भारतीय चल रहे हैं, अफसोस एक अच्छा मौका भारत को मिला था, पाकिस्तान पर अंकुश लगाने का, पर भारत में छुपे खुद को भारतीय कहलानेवाले नेता व कुछ मीडिया के लोगों ने भारत के हृदय में खंजर भोक दिया। हम पाकिस्तान के आंतकियों को क्या मुंहतोड़ जवाब देंगे, जब उन्हें बचाने के लिए भारत में बैठे मीडिया व नेता उनके प्रति दरियादिली दिखा रहे हैं।