धन्य है बिहार के लालू…
धन्य है बिहार के लालू…
धन्य है उनके नेता…
धन्य है बिहार के पत्रकार…
इन दिनों बिहार के दो यादव नेताओं का पूरे देश में धूम है। एक है राजद सुप्रीमो लालू यादव और दूसरे है राजद के ही विधायक नीरज यादव। दोनों की समानता यह है कि दोनों पत्रकारों से ही भीड़ गये है। लालू यादव रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों को उनकी औकात बता रहे है, वहीं नीरज यादव तो प्रभात खबर के पत्रकार को गालियों से नवाज दिया है।
अगर इनसे संबंधित समाचारों की बारीकियों को देखें तो रिपब्लिक टीवी के पत्रकार लालू के समक्ष शेर की तरह भिड़ते नजर आ रहे है, वहीं प्रभात खबर का पत्रकार नीरज यादव के समक्ष मिमियाता नजर आ रहा है, प्रभात खबर के पत्रकार का नीरज यादव के समक्ष मिमियाने से एक बात स्पष्ट हो रही है कि प्रभात खबर के पत्रकार ने कुछ गड़बड़ियां की है, नहीं तो वह उक्त नेता के आगे मिमिया नहीं रहा होता, पर दूसरी ओर रिपब्लिक टीवी के पत्रकार का निर्भीकता के साथ लालू से भिड़ना और उनसे उन्हीं की भाषा में बात करना, सब कुछ सिद्ध कर देता है कि अब पहलेवाली बात नहीं रही। न तो लालू 1990 वाले लालू है और न उनकी अब वैसी गरिमा है। वह भी इसलिए कि, 1990 के लालू पर भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं था, वह गरीबी से निकले थे, और बिहार का सत्ता संभाला था, वह भी अपने दम पर, लेकिन इधर के कुछ सालों में, तो वे भ्रष्टाचार के साक्षात प्रतिमूर्ति बन गये है, इधर भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी द्वारा लगातार किये जा रहे राजनीतिक हमले ने उन्हें बेचैन कर दिया है। स्थिति ऐसी है कि इनसे बचने के लिए इनके पुत्रों ने तंत्र-मंत्र का भी सहारा लेना शुरु कर दिया है, पर इनसे भी इनकी रक्षा होगी, कहां नहीं जा सकता।
नीतीश कुमार तो ऐसे भी, मस्ती में है, वे जानते है कि लालू पर जितना राजनीतिक हमला अथवा भ्रष्टाचार का शिकंजा कसेगा, उनकी कुर्सी उतनी ही सुरक्षित रहेगी, क्योंकि लालू का ज्यादातर ध्यान अपनी राजनीतिक छवि को सुधारने और भ्रष्टाचार के आरोपों से मुक्ति पाने पर केन्द्रित रहेगा और नीतीश बहुत ही आसानी से ये पंचवर्षीय पारी भी खेल जायेंगे और अपनी छवि भी बिहार और बिहार के बाहर बना लेंगे. यह कहकर कि लालू जैसे भ्रष्टों के संग रहकर भी, उन पर कोई दाग नहीं है, इसी को तो राजनीति कहते है, पर लालू और नीरज ने जिस प्रकार से बिहार के सम्मान पर दाग लगाया है, वह बताता है कि आनेवाले समय में बिहारियों का गिन्जन होना तय है, क्योंकि जैसे उनके नेता होंगे, बिहारियों की छवि बिहार के बाहर, तो वैसे ही बनेगी। ऐसे भी जहां मूर्ख ट़ॉप करते हो, जहां महिला प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस खूलेआम बदतमीजी करता हो, सब कुछ बता रहा है कि बिहार की प्रतिष्ठा बाहर मे कैसी बन रही है और ले-देकर बिहार के कुछ पत्रकारों की मिमियानेवाली कला ने तो यहां के पत्रकारों के कुकृत्यों को भी सामने लाकर खड़ा कर दिया है. भाई नेताओं से लाभ भी लेंगे और उनकी धज्जियां भी उडायेंगे तो गाली सुनना ही पड़ेगा, भला इतनी बात कथित पत्रकारों को समझ नहीं आती।