जिनके पास प्रतिभा नहीं होती, वह तेजस्वी की तरह टीवी डिबेट से दूर रहने का विपक्ष से अनुरोध करता है
पता नहीं आजकल के नेताओं व पत्रकारों को क्या हो गया हैं? वे जनता को या अपने मतदाताओं को इतना बेवकूफ क्यों समझते हैं? शायद उन्हें आभास हो गया है कि वर्तमान में चैनलों का जो रुख हैं, उससे कहीं उनका नुकसान न हो जाये, जबकि सच्चाई यह है कि जनता खूब जानती है कि मीडिया कैसे और कब–कब किसके इशारे पर डांस कर चुकी हैं और कौन–कौन नेता अपने इशारे पर इन्हें डांस करवाया है।
जरा देखिये कल तक रवीश प्रवचन दे रहे थे कि लोगों को ढाई महीने तक विभिन्न चैनलों को देखना बंद कर देना चाहिए, वे तो अपने एनडीटीवी इंडिया पर अपने विरोधी चैनलों को गोदी मीडिया भी करार देते है, जबकि सच्चाई यह है कि उनका भी चैनल कांग्रेस और वामपंथियों का खूब पक्ष लेता है, ये सच्चाई भी हैं, इसे कोई इनकार भी नहीं कर सकता।
इधर राजद नेता व लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी को परम ज्ञान हो गया हैं, तेजस्वी ने राहुल गांधी, शरद पवार, ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, उपेन्द्र कुशवाहा, जीतनराम मांझी, हेमन्त सोरेन, बाबू लाल मरांडी, दीपांकर भट्टाचार्य, सीताराम येचुरी और चंद्रबाबू नायडू को पत्र लिखकर कहा है कि वे टीवी डिबेट का बहिष्कार करें।
शायद तेजस्वी को मालूम नहीं, उनके पिता लालू यादव को जरुर मालूम होगा कि कभी जब ये निजी चैनल नहीं थे, उस वक्त ले–देकर दूरदर्शन हुआ करता था, एकमात्र दूरदर्शन, जिस पर कभी इन्दिरा गांधी तो कभी राजीव गांधी का एकछत्र राज चला करता था, जिसे देख कभी विपक्षी पार्टियां दूरदर्शन को इन्दिरा दर्शन या राजीव दर्शन कहकर पुकारा करती थी, कभी–कभी तो दूरदर्शन पर पक्षपातपूर्ण समाचार प्रसारित करने को लेकर ये उस वक्त की सारी विपक्षी पार्टियां दूरदर्शन केन्द्र तक जाकर प्रदर्शन भी किया करती थी।
शायद तेजस्वी भूल गये कि कभी लालू प्रसाद को दिखाने के लिए, उनके विजूयल और डायलॉग अपने–अपने चैनलों पर दिखलाने के लिए चैनल के संवाददाता मारा–मारी करते थे, क्योंकि चैनल के व्यवसायिक शब्दों में लालू प्रसाद की डिमांड थी, लोग लालू प्रसाद के हास्यास्पद संवाद देखना और सुनना चाहते थे, इससे लोगों को मनोरंजन भी हो जाता था, और लालू निजी चैनलों पर खुब दिखा करते, शायद तेजस्वी को मालूम नहीं कि आज भी लालू प्रसाद की डिमांड मोदी से कम नहीं है, पर वे चूंकि जेल की शोभा बढ़ा रहे हैं, ऐसे में वे चैनलों पर कैसे आयेंगे?
हमें अच्छी तरह याद है कि लालू प्रसाद यादव संभवतः जब पहली बार चारा घोटाले में शामिल होने के बाद रांची अदालत में आत्मसमर्पण करने आये थे, उस दौरान विधानसभा के समीप वाली मैदान में उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया था, उसी दौरान एक राष्ट्रीय चैनल के संवाददाता को समाचार संकलन करने में दिक्कत आ रही थी, उसने लालू प्रसाद से कहा कि आपके कार्यकर्ताओं के कारण, उसे समाचार संकलन करने में दिक्कत आ रही है।
लालू प्रसाद यादव ने तपाक से कहा कि खबरदार जो मेरे कार्यकर्ताओं को कुछ बोला, न्यूज बनाना, समाचार बनाना तुम्हारा काम हैं, ये तुम्हारा प्राब्लम है, हमें इससे क्या? हमारे कार्यकर्ता को कोई कुछ नहीं बोल सकता? यहीं नहीं लालू यहीं चुप नहीं रहे, ताल ठोक कर अपनी शैली में कहा कि “अगर तुम लालू यादव का न्यूज नहीं भेजेगा तो तुम्हारा चैनल का मालिक, संपादक पूछेगा कि तुम लालू यादव का भाषण काहे नहीं भेजा तो तुम जवाब देना।” तेजस्वी जब कभी रांची आये, तो अपने पिता लालू प्रसाद यादव से पुछे कि ये घटना घटी थी कि नहीं।
अरे तेजस्वी भाई, सभी नेता का एक वक्त होता है, कभी इन्दिरा, कभी राजीव, कभी आपके पिता लालू यादव और आज मोदी का है, काहे का दिमाग ज्यादा लगा रहे हैं, एक दिन ऐसा भी आयेगा कि मोदी चिल्लाते रहेंगे और कोई उन्हें नहीं पूछेगा, वक्त, वक्त की बात है, और ये जनता और पत्रकार, भाई ये आपको किसने कह दिया कि मोदी का है, क्या आपको मालूम नहीं कि हाल ही में केवल राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका को कांग्रेस में लाने की घोषणा की और इधर प्रियंका का लखनऊ का दौरा हुआ और उधर सारे चैनलवाले, मीडियावाले जाकर प्रियंका के आगे लेट गये, अगर नहीं मालूम हो तो जाकर, कहीं से विजुयल उठाकर देख लो। सब पता लग जायेगा।
बेकार का ये सब लेटर लिखकर न तो तनाव खुद लो और न अपने जेल में रह रहे पिता लालू प्रसाद को तनाव में रखों, वे भी बेचारे अपसेट होंगे कि 2019 के लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया और वे बेचारे न तो चुनाव लड़ेंगे और न अपने लोगों को जीताने के लिए भाषण देने के लिए निकलेंगे, बेचारे लालू की पीड़ा तो लालू ही जाने, दुसरा कौन समझ सकता है, पर मैं तो कहुंगा कि आज भी लालू जेल से निकल जाये और कही किसी पान के दुकान पर भी खड़ा होकर माइक पकड़ लें तो मैं दावे के साथ कह सकता हुं कि वे मोदी को भी भाषण में हरा देने का कुबत रखते हैं, ऐसे है लालू।
कम से कम तेजस्वी, अपने पिता से उस प्रतिभा को तो प्राप्त करो, जो आपके अंदर नहीं है, जिसके अंदर प्रतिभा नहीं होती, वह दूसरों मे केवल खामियां ढुंढता हैं, जैसे आपने कह दिया कि टीवी चैनलों में होनेवाले डिबेट में कोई भाग न लें, अरे नहीं भाग लोगे तो उससे भाजपा को क्या परेशानी, वह तो जनता से सीधे कहेगी कि कोई नहीं हैं टक्कर में सभी पड़े हैं चक्कर में, इसलिए ज्यादा बचकानी हरकत न करें, चुनाव सर पर हैं, रांची आते–जाते अपने पिता से राजनीतिक ट्यूशन लें, आपके यहां खुद ही रघुवंश प्रसाद सिंह है, उनसे भी जानकारी लें, पर आपने तो रघुवंश प्रसाद सिंह का बात ही मानने से इनकार कर दिया, और इसका खामियाजा आपको खुद भुगतना पड़ेगा, ठीक है।