खूंटी में पड़हा सम्मेलन, आदिवासियों की पहली पसंद बनी महागठबंधन, स्थानीय उम्मीदवार की मांग
उधर चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की बिगुल फूंक दी,और इधर सारे राजनीतिक दल चुनाव अभियान में कूद गये और यहां झारखण्ड में आदिवासियों की अनेक संस्थाएं, अपनी परम्परागत विरासत व संस्कृति की सुरक्षा किस दलों व कैसे उम्मीदवारों के द्वारा संभव होगी, इसको लेकर बैठकें तथा माथापच्ची करनी शुरु कर दी। इसी क्रम में आज खूंटी के मरहा डाहु टोला तोरपा में काम्पाट मुंडा 22 पड़हा सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता गाब्रिएल सुरिन ने की तथा संचालन लूथर तोपनो ने की।
इस काम्पाट मुंडा 22 पड़हा सम्मेलन का विषय था कि लोकसभा के लिए भाजपा को हराने के लिए उम्मीदवार का चयन करना। इस बैठक में मुंडा 22 गोत्र (पड़हा) के अगुवा/पड़हा राजा, पहान–पुजार, आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के प्रेमचंद मुर्मू, वाल्टर कंडुलना, सिंहभूम से गोपीनाथ सोय, सुशीला टोप्पो आदि ने प्रमुख रुप से भाग लिया।
बैठक में सभी ने आदिवासियों की संस्कृति, परम्परा और उनके विरासत पर हो रहे हमले की कड़ी निन्दा की गई, तथा आदिवासी संस्कृति के संवर्धन पर विचार–विमर्श भी हुआ। इस बैठक में प्रमुख रुप से भाग लेनेवालों में थियोडोर किरो भी प्रमुख थे।
थियोडोर किरो ने बैठक में आई बातों तथा विभिन्न व्यक्ति–विशेषों द्वारा दी गई वक्तव्यों का समर्थन किया, तथा खुशी जाहिर की, आज विपरीत परिस्थितियों में भी अपना आदिवासी समाज, अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए कटिवद्ध है। थियोडोर किरो ने इस बैठक में कहा कि आज जिस प्रकार से आदिवासी समाज पर हमले हुए हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ, आज जरुरत हैं, उन हमलों का प्रतिकार करने तथा स्वयं को मजबूत करने की और यह तभी होगा, जब हम सशक्त हो।
बैठक में शामिल सभी वक्ताओं ने आदिवासियत की रक्षा के लिए भाजपा को इस बार हराने का भी संकल्प लिया गया तथा महागठबंधन के उम्मीदवार को जीताने की इच्छा जाहिर की गई, साथ ही महागठबंधन से यह आशा की गई कि महागठबंधन आदिवासियत के सम्मान की रक्षा का वचन देगा तथा खूंटी से एक स्थानीय उम्मीदवार देगा, ताकि लोग सहर्ष उस स्थानीय उम्मीदवार को अपना समर्थन दे सकें तथा उन्हें किसी भी प्रकार के किन्तु–परन्तु के चक्कर में भी न पड़ना पड़े।