चीन लगातार चौथी बार 130 करोड़ भारतीयों के मुंह पर मारा करारा तमाचा, फिर भी भारतीयों की नींद नहीं टूट रही
जिस देश के लोगों में गैरत नाम की चीज नहीं होती, उस देश के लोगों को चीन और पाकिस्तान जैसा चिरकूट देश इसी प्रकार जूतियाता हैं, और वह देश जब तक पूरी तरह नष्ट नहीं हो जाता, जूते खाता हुआ जीवन व्यतीत करता हैं। भारत से बहुत ही छोटा हैं जापान, जहां के नागरिक और वहां की सरकार देश–प्रेम से ऐसे ओत–प्रोत होते हैं कि वे चीन की छाती पर हमेशा कील ठोकते रहते हैं और चीन की हिम्मत नहीं होती कि वह जापान को आंख तरेर कर भी देख सकें।
इसी प्रकार मुस्लिम देशों से घिरा एक छोटा सा देश इजराइल है, जहां के लोगों की देशभक्ति पर कोई अंगूली ही नहीं उठा सकता, पर हमारे देश की जनता, यहां की सरकार (वो सरकारें किसी की भी रही हो), या विपक्ष के नेताओं के चरित्र को देखिये, इन्हें पता ही नहीं होता कि देश क्या होता है? देश–प्रेम की तो बात ही छोड़ दीजिये, इन सब का जीवन परिवार, पत्नी और अपनी प्रेमिकाओं पर जाकर ही समाप्त हो जाता है।
अभी जरा देखिये न, पुलवामा में हाल ही में 14 फरवरी 2019 को आतंकियों ने 43 सीआरपीएफ के जवानों की नृशंस हत्या कर दी, मोहम्मद के नाम पर बनी आतंकी संगठन जैश–ए–मोहम्मद ने डंके की चोट पर इस घटना का श्रेय लिया, यह कहकर कि उन्हीं के लोगों ने ऐसा किया और पूरे विश्व के देश जो आतंकी घटनाओं से जूझ रहे हैं, उन्होंने इसके सरगना मसूद अजहर कौ वैश्विक आतंकी घोषित करने की घोषणा की, पर चीन ने लगातार चौथी बार वीटो लगाकर यूएन में वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव को रद्द करा दिया।
चीन ने यह कोई पहली बार नहीं किया हैं, विश्व स्तर पर जहां भी भारत को नीचे गिराने की बात आई है, भारत को बर्बाद करने की बात आई है, चीन ने अपनी भूमिका बहुत अच्छे ढंग से निभाई और सफलता पाई, पर हम भारतीयों ने आज तक चीन के इस व्यवहार से कुछ सीखा नहीं। चीन 1962 में ही हमसे गद्दारी कर चुका है।
भारतीय संसद ने चीन द्वारा हड़पी गई जमीन को वापस लेने की कसमें खाई, आज तक उस कसम पर न तो भारतीयों और न ही भारत के राजनीतिक दलों ने अमल करने की कोशिश की, ये अमल क्या करेंगे? अपने देश की हड़पी जमीन वापस क्या करेंगे? चीन और पाकिस्तान तो कश्मीर और अरुणाचल को निगलने में लगा है, और भारत के कुछ गद्दार नेता, उसके सपनों को पूरा करने में भी लगे हैं।
अब जरा देखिये चीन ने इतना बड़ा कांड किया, पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर को सम्मान दिला दिया, पाकिस्तान के साथ चट्टान की तरह खड़ा है, पर हमारे देश में क्या हो रहा है? चीन के खिलाफ कुछ भी नहीं, एक आंदोलन तक नहीं, पर पाकिस्तान के खिलाफ अगर कुछ भारतीयों को कहा जाय कि आंदोलन करो, पाकिस्तान के झंडे जलाओ, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाओ तो जल्द तैयार हो जायेंगे, पर चीन को लेकर ये सब चीजे दिखाई नहीं देती।
आप ध्यान देंगे कि मैंने यहां कुछ भारतीय शब्द का प्रयोग किया है, वो इसलिए कि कुछ ही भारतीय है, जो पाकिस्तान प्रायोजित आतंक का विरोध करते हैं, कई को तो उसमें भी आनन्द ही दिखता है, इसलिए ऐसे भारतीय व भारत में राजनीति कर रही पार्टियों को पाकिस्तान प्रायोजित आतंक में भी अल्लाह की मर्जी दिखाई देती है। यहां तो कई राजनीतिज्ञ हैं, जो कई पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी है, वे आतंकियों को बड़े ही सम्मान के साथ अपनी जिह्वा पर नाम लेते हैं, उनके नाम के पीछे ‘जी’ लगाना नहीं भूलते, इसमें उनका दोष भी नहीं, क्योंकि वे जानते ही नहीं कि देश क्या चीज होता है? देश–प्रेम क्या होता है? उनके खानदान में किसी ने देश भक्ति सीखाया ही नहीं, तो वे करेंगे क्या?
अब जरा देखिये, इस चीन ने भारत के मुंह पर कैसा करारा तमाचा मारा है? वह अपने चीन में बनी सामान को धड़ल्ले से भारत के बाजारों में भेजता है, उसके सामान यहां खुब बिकते हैं, भारतीय शान से उन वस्तुओं का प्रयोग करते हैं, आजकल चाइनीज फूड तो भारतीयों को इतना रास आ रहा है कि भारतीय फूड बाजार से भारत में बननेवाली रोटी–चावल, सब्जियां ही गायब हो गई। नई पीढ़ी को चाइनीज फूड इतना पसन्द है कि वे भारतीय फूड को हेय दृष्टि से देखते हैं, ये सच्चाई है, इसे आप इनकार नहीं कर सकते।
यही नहीं यहां के नेताओं को चीन के शहरों में समय बिताने में बहुत ही आनन्द आता है, वे खुद भी चाहते है कि रांची जैसे शहर में ‘शंघाई टावर’ बने। झारखण्ड का ही एक होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास है, जो अपने कई मंत्रियों और आइएएस अधिकारियों के साथ चीन घूमने गया था, कुछ याद आया, समझने की कोशिश कीजिये और यहां के नेताओं व प्रशासनिक अधिकारियों के चरित्र को समझने की कोशिश कीजिये।
एक रांची में ही पत्रकार रहता था, जो नीतीश भक्ति में लगा रहता था, आजकल वह राज्यसभा में उप–सभापति बना हुआ है, दूसरी पारी भी राज्यसभा में बीते, इसके लिए वह अभी से ही विभिन्न राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं के घर आना–जाना शुरु कर दिया है, कभी वो भी अपने अखबार में चीन की भक्ति, वहां की राजनीति, वहां की अर्थव्यवस्था का गुणगान कर चुका है।
अब बताओ जिस देश में ऐसे–ऐसे लोग हो, उस देश को चीन जैसा देश जूते नहीं मारेगा, तो क्या करेगा? आखिर चीन ऐसा क्यों करता है? क्योंकि चीन जानता है कि भारतीयों को कितना भी जूता मारो, इनके पास जमीर नाम की कोई चीज नहीं होती, ये जानवरों की तरह होते हैं, जैसे जानवरों को कितना भी मारो, फिर भी ये इन्सान के आगे पूछ हिलाते नजर आते हैं, ठीक उसी प्रकार भारतीय है।
क्योंकि चीन जानता है कि हर दिवाली में भारतीय और भारत के नेता चीनी सामग्रियों का बहिष्कार करते हैं, मुंह से तो चीनी सामग्रियों का बहिष्कार करते हैं, पर उसी मुंह में चीन में बनी सामानों को बड़े प्यार से रखकर निगलते हैं, हाथ में मोबाइल लेकर बड़े प्रेम से अपनी प्रेमिकाओं से बात करते तथा हर प्रकार के कुकर्म करते हैं, यहां के पूंजीपति अपने उद्योगों के लिए संजीवनी चीन से ही प्राप्त करते हैं। भारतीय क्रिकेटर जब मैदान में पहुंचते हैं तो चीन की ही कंपनियों का टी–शर्ट पहनकर गर्व महसूस करते हैं।
क्योंकि चीन जानता है कि भारत के ज्यादातर लोग गद्दार होते है, तभी तो चीन भारत पर राज करता है, वह भारत को बाजार से ज्यादा कुछ नहीं समझता, वह अपने सामान को यहां भेजकर, उन्हीं पैसों से अपनी सैन्यशक्ति को बढ़ाता हैं और उसी सैन्यशक्ति से भारतीय फौजियों को, भारत की सीमा की रक्षा करनेवाले सैनिकों/अर्द्धसैनिक बलों की छाती पर गोलियां मारता हैं, तथा पाकिस्तान को समर्थन कर पाकिस्तानी आंतकियों का मान बढ़ाते हुए, उनके हौसले बुलंद करते हुए कहता है कि मारो भारतीयों को, हम हैं न, तुम्हें संयुक्त राष्ट्र संघ में अकेले बचा लेंगे, क्योंकि हमारे पास वीटो पावर है, भारत क्या तुम्हारा बिगाड़ लेगा?
क्योंकि चीन जानता है, और देखा भी है कि यहां के लोग केवल गाना गाता हैं ‘लाख फौजे लेके आये अमन का दुश्मन कोई, रुक नहीं सकता, हमारी एकता के सामने, हम वो पत्थर है, जिसे दुश्मन हिला सकते नहीं, अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं’ पर जैसे ही इसके सरहदों पर या इसके घर के अंदर एक आतंकी अपना कमाल दिखाता है, सभी भारतीयों की पैंट से हवा निकल जाती है, क्योंकि चीन देखा है कि कंधार कांड में क्या हुआ था? कैसे भारत की सरकार और विपक्ष के नेता, तथा पूरी भारत की जनता, आतंकियों के आगे सर झूका दी थी, जबकि दूसरे देशों में ऐसा देखने को नहीं मिलता।
क्योंकि चीन ही नहीं पूरा विश्व देखा था कि भारत के सभी राजनीतिक दलों ने उस वक्त की केन्द्र सरकार तथा अपहृत विमान के यात्रियों के परिवारों ने किस प्रकार केन्द्र सरकार को मजबूर किया था कि उनके परिवारों को सुरक्षित वापस लाया जाय, यानी देश का जवान मरें कोई बात नहीं, पर अपने घर से, नेताओं के घर से, सामान्य घर से, पत्रकारों के घरों से कोई भी व्यक्ति देश के लिए नहीं मरना चाहिए।
धिक्कार हैं भारतीयों, धिक्कार है भारत के नेताओं, चीन ने एक बार फिर भारत को करारा तमाचा मारा है, काश इस करारे तमाचे से भी तुम जग जाओ तो बड़ी बात होगी, पर मैं जानता हूं, तुम तब तक नहीं जगोगे, जब तक तुम फिर से गुलाम नहीं हो जाओगे, ऐसे भी तुम गुलाम ही तो हो, जिसके अंदर देश–प्रेम ही नहीं, वह गुलाम ही तो होता है, सदियों की गुलामी का इतिहास रहा है, एक बार पड़ोसियों के भी गुलाम बन जाये तो क्या दिक्कत है? क्योंकि बगल का पड़ोसी चीन मात्र चालीस साल में कहां से कहां पहुंच गया और तुम सत्तर साल में एक अच्छे फाइटर विमान के लिए झक मार रहे हो, वाह रे नेता, वाह रे विपक्ष, वाह रे भारतीय।