यहीं मौका हैं नवोदित पत्रकारों ‘सुरेन्द्र किशोर’ अथवा ‘ज्ञानेन्द्र नाथ’ जैसे पत्रकारों से ज्ञानार्जन कर लो
मैं यह दावा नहीं करता कि बिहार में सिर्फ ‘सुरेन्द्र किशोर’ अथवा ‘ज्ञानेन्द्र नाथ’ ही मात्र दो पत्रकार हैं, जिनसे पत्रकारिता के गुण सीखे जा सकते हैं, हो सकता है कि ऐसे लोगों की संख्या और भी हो, परन्तु यह दावा जरुर कर सकता हूं कि यह बहुत ही सुंदर मौका है, इन दोनों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है, क्योंकि लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा से इनकी कलम और ऊर्जान्वित हो चुकी है।
इनकी इस ऊर्जा से हम भी ऊर्जान्वित हो सकते हैं, बस कुछ करना नहीं हैं, इनके सोशल साइट पर जाइये और इनके द्वारा विभिन्न राजनीतिक–सामाजिक परिस्थितियों पर आ रहे विचारों–आलेखों को पढ़िये, हो सकें तो उसकी एक प्रति निकालकर रख लीजिये, समय–समय पर पढ़िये, ये आपके आनेवाले समय में मील के पत्थर साबित होंगे।
चूंकि हमलोगों के समय में, जब हम पत्रकारिता के क्षेत्र में कूद चुके थे, यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी, पर अखबारों में छपनेवाले सम्पादकीय, जो उस वक्त उच्च–कोटि के होते थे, हमारा मार्गदर्शन करते थे, पर आज के अखबारों के सम्पादकीय शत् प्रतिशत राजनीति से प्रेरित होते हैं, जैसे अगर अखबार भाजपाई माइंडेड रहा तो भाजपा की प्रशंसा, कांग्रेसी माइंडेड रहा तो कांग्रेस की प्रशंसा, वामपंथी माइंडेड रहा, तो वामपंथियों की प्रशंसा देखने और पढ़ने को मिलेगी, पर इन दोनों पत्रकारों से ऐसी संभावना देखने को नहीं मिलती।
मैं इन दोनों पत्रकारों को देखा हूं, पढ़ा हूं, महसूस किया हूं, और इनके वर्तमान को भी देख रहा हूं, इसलिए कह रहा हूं कि इनसे आप सीखों, क्योंकि सिर्फ आप इन्हीं से सीख सकते हो, इसलिए इनका फायदा उठाओ, क्योंकि जो अंदर और बाहर दोनों से सच्चा होता है, उसी की भाषा और उसी के विचार समाज में क्रांति लाते हैं, न कि झूठ के किलों में रहनेवालों की भाषा या विचार। अतः मौका हैं, फायदा उठाएं। ज्ञानेन्द्र नाथ की जो खेल जगत में पकड़ हैं, वो वर्तमान में किसी की नहीं, जिनको खेल में पत्रकारिता की रुचि हैं, वे इनसे बेहतर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं, और बाकी विभिन्न विषयों की जानकारी में भी इनका कोई विकल्प हमें नहीं दीखता।
यहीं नहीं, अगर आप किसी अखबार या चैनल से जुड़े हैं, या किसी पत्रकारिता या जनसंचार संस्थान से जुड़कर पत्रकारिता का कोर्स करने में लगे हैं, या कहीं इंटर्नशिप कर रहे हैं, या नया–नया किसी संस्थान में काम करने लगे हैं, तब भी इन दोनों महानुभावों के अंदर छुपे पत्रकारिता के अद्भुत गुणों व उनके रहस्यों से परिचित तो हो ही सकते हैं, जो आपके लिए, समाज के लिए तथा देश के लिए सभी के लिए बेहतर ही साबित होगा।
इन दोनों की खासियत यह है कि ये किसी भी परिस्थिति में रहे, वे झूठ को झूठ बोलने में नहीं हिचकिचाते, ये जो भी लिखते है इनके पास प्रमाण होता है, इन्हें आज तक कोई खरीद नहीं पाया, ये आज भी अपने हालात पर जीवित हैं, और इनको अपने जीवन से कोई शिकायत नहीं।
बाकी जितने अखबारों–चैनलों व पोर्टलों में खुद को दाढ़ी बढ़ाकर या सफाचट कराकर जो संपादक बन बैठे हैं, वे दरअसल विशुद्ध व्यवसायी है, जिन्होंने पत्रकारिता को व्यवसाय बनाकर देश–समाज और खुद को मटियामेट कर दिया है, ये कब किसी चरित्रहीन नेता के टूकड़ों पर स्वयं को नीलाम कर देंगे, कहना मुश्किल है, इसलिए इधर जो हम सुरेन्द्र किशोर और ज्ञानेन्द्र नाथ के जो सत्य से प्रेरित आलेख–विचार फेसबुक वॉल पर देखे तो हमें लगा कि जो पत्रकारिता के पवित्र पेशे में लगे हैं, उन्हें इन दोनों से सीखना चाहिए और जरुर सीखना चाहिए, अगर ऐसा होता है तो यह देश और समाज दोनों के लिए फायदेमंद हैं।
पढ़ने का जज्बा और सीखने की ललक और पत्रकारिता को उज्ज्वल करने का संकल्प हो तो,कुछ हो