धर्म

जयपुर में नवसंवत्सर का होगा जोरदार स्वागत, आठ दिशाओं में जायेगें श्वेत अश्व, नवसंवत्सर का करेगें प्रचार-प्रसार

भारतीय संस्कृति के पावन उत्सव चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भारतीय नववर्ष नवसंवत्सर 2076 प्रारम्भ हो रहा है। इसके स्वागत के लिए पांच दिवसीय नवसंवत्सर उत्सव बड़े ही धूमधाम से जयपुर में आयोजित किये जायेंगे। संस्कृति युवा संस्था के अध्यक्ष एवं नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति के संरक्षक सुरेश मिश्रा ने बताया कि 2 अप्रैल से 6 अप्रैल तक पांच दिवसीय विभिन्न कार्यक्रम नवसंवत्सर उत्सव के रूप में आयोजित किये जायेगें। जिसमें 3 अप्रैल को नवसंवत्सर के स्वागत के लिये चार सफेद अश्व छोड़े जायेंगें।

ये अश्व वास्तु के हिसाब से आठ दिशाओ में ईशान में खोले के हनुमानजी मंदिर, पूर्व में गलता, आग्नेय में गोनेर मंदिर, दक्षिण में सांगा बाबा, नैऋत्य में स्वामी नारायण मंदिर, पश्चिम में हाथोज हनुमानजी, वायव्य में कदम्ब डूंगरी व उत्तर में आमेर में काले हनुमान मंदिर जी के लिये छोडे जायेगें और नवसंवत्सर का अनूठे तरीके से प्रचार-प्रसार करेगें। भारतीय संस्कृति और नवसंवत्सर का प्रचार करने के लिये यह श्वेत अश्वजयपुर शहर के सभी प्रमुख स्थानों से होते हुए मंदिरो में जायेगें। 

सुरेश मिश्रा ने बताया कि एक जमाने में अश्व छोडने की परम्परा थी, उसके माध्यम से राजा लोग अपने साम्राज्य का विस्तार करते थे। लेकिन हम जयपुर में यह अनूठा एवं अदभूत आयोजन इस लिये कर रहे है कि जयपुर की लगभग पुरी आबादी को नवसंवत्सर के प्रति जागरूक किया जा सके। इस बहाने युवाओं में कौतूहल एवं जागृति आयेगी। 

नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति के अध्यक्ष पवन शर्मा ने बताया कि इन सभी श्वेत अश्वो की विधिवत् पूजन विद्वानों द्वारा वैदिक रीति से किया जायेगा। इस अवसर पर जयपुर के विभिन्न मंदिरों के संत-महंत और राजनीतिक, सामाजिक, व्यापारी उपस्थित रहेगें । ये अश्व बडी चौपड़, बाइजी के मंदिर से कल सुबह 10.30 बजे रवाना होगें। 

ये अश्व 3 दिन तक आठों दिशाओ में जब घुमेंगें तो इनके साथ में समिति के कार्यकर्ता पम्पलेट बांटते हुए चलेगें। साथ ही इन अश्वो पर बैनर लगे होंगे जिन पर ‘‘नवसंवत्सर 2076 मंगलमय हो,’’ ‘‘ नवसंवत्सर 2076 की हार्दिक शुभकामनाएं’’ के बैनर लगे होगें।  विशेषकर युवाओं से आग्रह करेगें कि भारतीय नवसंवत्सर को धूमधाम से आयोजित करें। साथ ही इसबार विभिन्न एसएमएस, व्हाट्सअप मैसेज, होर्डिंग बैनर लगाकर पुरे जयपुर शहर में लोगो से आग्रह करेगें कि नवसंवत्सर की बधाईयां दे। 

महामंडलेश्वर मंहत पुरूषोत्तम भारती ने बताया कि 6 अप्रैल को जयपुर के प्रमुख मंदिरों में घण्टे-घडियाल बजाकर नवभोर का स्वागत होगा एवं शाम को बडी चौपड़ लक्ष्मीनारायण मंदिर में महाआरती का आयोजन किया जायेगा। पवन शर्मा ने बताया कि पाश्चात्य संस्कृति के हिसाब से नववर्ष एक जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन युवा वर्ग को अपने संस्कारों से परिचय हो, इसलिये इस बार के आयोजन में युवाओं की अधिकाधिक प्रतिभागिता हो इसके लिये प्रचार किया जा रहा है।

इसके लिये ‘‘नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति’’ का भी गठन किया गया है। ये समिति जयपुर शहर में विभिन्न मंदिरो में 6 अप्रेल से 14 अप्रेल तक विशेष पूजन एवं दीप आरती का आयोजन भी करेगी। नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति की ओर से 1100 कन्याओं का कन्या पूजन भी किया जायेगा।