सिविल सोसाइटी ने CM रघुवर से सवाल क्या पूछे, भड़क उठा भाजपा का IT सेल चला रहा भानू जालान
हद हो गई, कोई रघुवर सरकार से प्रश्न नहीं करें? जब भी करें तो सिर्फ स्तुति करें, उनसे आशीर्वाद ग्रहण करें, क्योंकि राजा भगवान विष्णु का अवतार होता है, उसके खिलाफ बोलना महापाप है, शायद भाजपा के आइटी सेल में काम कर रहे लोग या उसे संभाल रहे लोग भी यहीं चाहते हैं, कि ठीक इसी प्रकार राज्य की जनता यहा तक की बुद्धिजीवी भी मुख्यमंत्री रघुवर दास, उनके मंत्रियों व उनके मातहत कार्य कर रहे अधिकारियों के खिलाफ कुछ नहीं बोले, बोलने का अधिकार तो सिर्फ उसी को हैं, जो रघुवर दास की स्तुति करें, और जहां किसी ने सरकार को आइना दिखाने की कोशिश की, तो उसे सबक सिखाने के लिए जहां तक हो सकें, पिल जाओ।
हालांकि मुख्यमंत्री रघुवर दास की कार्यशैली पर खुद सरकार में ही शामिल एक मंत्री सरयू राय ने यह कहकर कभी धमाका कर दिया था कि उन्हें कैबिनेट की बैठक में शामिल होने में शर्म महसूस होती है, खुद मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में वहां कार्यरत महिलाओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की जांच करनेवाली कमेटी ने भी रिपोर्ट दे दिया कि वहां गड़बड़ियां है, पर क्या मजाल की मुख्यमंत्री रघुवर दास, जनसंवाद केन्द्र चला रहे लोगों पर कार्रवाई कर सकें, क्या जनता इतनी मूर्ख है, क्या उसे पता नहीं कि अंदर क्या घालमेल चल रहा हैं?
इधर झारखण्ड सिविल सोसाइटी ने राजधानी में चल रहे सरकारी कार्यों और उनमें हो रही गड़बड़ियों पर कई बार टिप्पणियां की, आंदोलन किये, पर क्या मजाल कि मुख्यमंत्री उस ओर ध्यान दे दें, जबकि दूसरे राज्यों में सरकारें, सिविल सोसाइटी की बातों पर ध्यान देती है, तथा उनके साथ मिलकर योजनाओं को मूर्त्तरुप देती हैं, पर यहां तो वैसा देखने को नहीं मिलता, बस अपनी राग अलापों, मनमानी करों, किसी पार्क में मार्केट बना दों, कहीं तालाब गायब करवा दो, कहीं नदी के अस्तित्व ही मिटा दो, आखिर ये सब क्या है? अब जरा देखिये, झारखण्ड सिविल सोसाइटी के आरपी शाही ने क्या लिखा? जिसको लेकर भाजपा के आइटी सेल का एक प्रमुख अधिकारी भानु जालान आग-बबूला हो उठा।
“सोशल मीडिया पर आज कल चुनाव, मोदी जी और गठबंधन की ही धूम है, लेकिन झारखण्ड वालों के लिए तो नित्य की परेशानियों से निकल पाना ही दूभर हो गया है। मोदी जी का हो सकता है कोई विकल्प नहीं हो, लेकिन हमें तो झारखण्ड में रहना है और यहाँ विकल्प तलाशना ही होगा, नहीं तो आपके लोग हमारी सांस रोक देंगें, पानी, हवा सभी लूट लेंगें और डकार तक नहीं मारेंगें।
मुझे आपके भक्त या चौकीदार बनने से कोई आपत्ति नहीं है, देश स्वतंत्र है और हम भी स्वतंत्र विचारधारा का सम्मान करते हैं, लेकिन आप हमें क्यों जबरदस्ती अपने गुट में शामिल करना चाहते हैं? हम तो एक स्वतन्त्र नागरिक हैं,मेहनत कर आजीविका चलते हैं, नियमानुसार टैक्स देते हैं और किसी की अनुकम्पा की आशा भी नहीं रखते। हाँ, एक नागरिक के कर्तव्य व अधिकारों के अंदर रह कर सम्मान की जिंदगी जीना चाहते हैं।
आप अगर नारे लगायेंगें तो हम उसे नोट कर लेंगें और भविष्य में आपके राज में पूछेंगें कि महाशय, क्या हुआ आपके वादों का? आप अनसुना करेंगें, हम पीछा कर कर के चिल्लायेंगें। आप अपने ईमानदारी का ढिढोंरा पीटेगें, हम आपके भ्रष्टाचार का सबूत पोस्ट कर देंगें। आप कब तक अनसुना करेंगें?
**झारखण्ड राज्य की विद्युत् व्यवस्था चरमरा गयी है, उद्योग चौपट हो गए, क्या आप इसके जिम्मेवार नहीं है? विस्थापन तो इन्ही कारणों से होता है?
**आपने निजी क्षेत्र में दी हुए रांची की विद्युत व्यवस्था को कोर्ट में ले जाकर क्यों रोक रखा है? जेबीवीएनएल पर अनेकों भ्रष्टाचार के किस्से दैनिक अखबारों में प्रकाशित हुए, उसमे से किसी की भी तो जांच तक नहीं हुई, उलटे सम्मिलित शीर्ष अधिकारी का प्रमोशन हो गया। सुना है अब आयोग में भी भ्रष्टाचार के दाग लग रहे हैं। आपने अपनी विद्युत् व्यवस्था तो ठीक नहीं की, लेकिन एक बाहरी उद्योगपति के लिए जी जान से जमीन दिलाने के लिए लोगों को विस्थापित करने का ठेका ले लिया है, वह भी जब प्लांट यहाँ लगेगा, कोयला यहाँ का होगा और बिजली बांग्लादेश जाएगी।
**गनीमत है कि कुछ सजग नागरिकों ने आपके सोलर ऊर्जा वाले कैबिनेट के फैसले के विरुद्ध अभियान चला कर उसे रोक दिया, नहीं तो आप तो केवल तीन बाहरी उद्योगपतियों के लिए पूरे राज्य का 7000 करोड़ देने का सौदा कर बैठे थे।
**किसानों जितने ही मेहनती लघु व मध्यम उद्यमी है जिनसे आप के मुमंत्री ( मु का अर्थ अन्यथा न लें यह मुख्य ही है ) अभी तक मिलने के लिए समय तक नहीं निकाल पाए। मुमंत्री के अकड़ ने भ्रष्ट नौकरशाहों के हौसले बुलंद कर दिए हैं, जो अच्छे थे, वे तो बाहर चले गए और जो हैं वे कुशासन के अंग बने अकड़े बैठे हैं।
**शहरी विकास के नाम पर अरबों घोटाले कर गए, सभी तालाबों, पार्कों, और नदियों को लील गए, और नारे स्वच्छ, पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त सरकार की लगाते रहे। बिगत चार सालों में आपके मंत्रियों, सचिवों, संतरियों और अनगिनत आज के बने चौकीदारों ने मिल बाँट कर जनता के गाढ़ी कमाई के अरबों साफ़ कर गए, और आपके विज्ञापन सफाई की ही दुहाई देते रहे। क्या घर, कार्यालय कहीं भी स्वच्छ दर्पण नहीं रख रखा है? अगर नहीं है तो अन्य के घर जाकर चेहरा देख आएं, कालिमा साफ़ झलकेगी। ऐसा तो इमरजेंसी में भी नहीं था। किस दम पर यह अकड़ है? अगर जनता की आवाज नहीं सुनना है तो कुर्सी छोड़िये, वहां बैठने का अधिकार तो जन सेवक को ही है, अकड़ को नहीं।”
जैसे ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ झारखण्ड पर पूर्णतः आधिपत्य जमा चुके ज्ञानू जालान के बेटे भानू जालान जो भाजपा के झारखण्ड स्टेट आइटी एंड सोशल कन्वेनर है, उन्हें टैग किया गया। भानू जालान ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की (सूत्र बताते है कि ये वहीं भानू जालान है, जिन्हें सुनियोजित तरीके से भाजपा में स्थापित कर सांसद बनाने, राज्य सभा में पहुंचाने का ख्वाब ज्ञानू जालान पाल रखे हैं, और अपने सपनों को पूरा करने में दिन-रात जुटे हैं, सूत्र बताते है कि जल्दी ही इनका ये सपना भी पूरा हो जायेगा, मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र भी इन्हीं के लोगों द्वारा चलाया जा रहा है, या कहिये कि जो भी झारखण्ड भाजपा में हो रहा हैं, वह आइटी सेल इन्हीं के इशारों पर नाचता है, पर सच्चाई यह है कि इनके द्वारा चल रहा आइटी सेल से कही बेहतर झामुमो का आइटी सेल है, जो इनके पसीने छूड़ा कर रख दिये हैं, भाजपा के इस आइटी सेल से कही बेहतर मोदी मिशन का आइटी सेल काम कर रहा हैं जो भाजपा के आइटी सेल पर भारी पड़ रहा है। जिसने कुछ भाजपा की लाज भी बचा कर रखी है, नहीं तो इनका खेल ही खत्म है।)
जनाब भानू जालान ने गजब के कमेंट्स किये है, पहले तो उन्होंने आरपी शाही को टैग करने पर झल्लाहट दिखा दी और लगे हाथों यह कह डाला, जरा क्या कहा उसे देखिये “आपके विरोधाभासी स्वभाव से सभी वाक़िफ़ है। क्योंकि किसी भी मंच/ संगठन ( चेम्बर / राँची क्लब / प्रभुत्व नागरिक मंच ) में आपने प्रोत्साहन किया हो ऐसा कभी नहीं देखा गया। कई बार तो आपके पोस्ट तथ्यहीन लगते है। आशा है कि कुछ सकारात्मक पोस्ट भी साझा करेंगे ताकि दूसरों के साथ आपके विचार भी परिवर्तित हों। इमरजेंसी के समय हम थे नहीं तो कभी अनुभव नहीं क्या माहौल था, पर व्यवसायिक आँकड़े पर, मुझे लगता है कि सभी तरह के उद्योग को प्रोत्साहन देने का कार्य राज्य व केंद्र सरकार कर रही है और आगे भी करेंगी।”
कमाल है, जो दूसरों पर आइटी के माध्यम से लगातार दोषारोपण करते हैं, और भारत में जो राजनीतिक दल आइटी सेल चला रहे हैं या चलवा रहे हैं, वो कितना सत्य बोलते हैं, ये लगता है बताने की जरुरत नहीं, पर जब एक सिविल सोसाइटी अपनी जायज मांगों को जनता के बीच रखती है तो भानू जालान जैसे भाजपा के लोग कैसे बिदकते हैं, उसकी ये बानगी आपके समक्ष है।
अब क्या झारखण्ड की जनता सरकार की गलत नीतियों का विरोध नहीं करें, हमेशा जय रघुवर, जय रघुवर करें, जैसा कि भाजपा के आइटी सेल वाले करते हैं। अच्छा होता कि भानू जालान, आरपी शाही पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने के बजाय, जो मुद्दे आरपी शाही ने उठाए, उसका जवाब देते, पर ये कहना कि आरपी शाही गलत हैं और चूंकि वे आइटी सेल चला रहे हैं, सही हैं। राज्य व केन्द्र सरकार बहुत अच्छा काम कर रही हैं, तो क्या जनता इतनी मूर्ख हैं, उसे नहीं पता कि इन साढ़े चार सालों में कितने पूंजी निवेश हुए, कितने स्वच्छता पर कार्य हुए और कितने तालाबों का सफाया हो गया, कितने लोगों ने नदियों को निगल लिया और कितने लोगों ने नदी के सौंदर्यीकरण के नाम पर 80 करोड़ लूटवा दिये और अब विकास के नाम पर इन गिद्धों की दृष्टि रांची के बड़ा तालाब पर पड़ गई।
झारखण्ड सिविल सोसाइटी की बात तो सही हैं कि अगर रांचीवासी नहीं चेते, तो कुछ सालों के अंदर ही इसे भरकर लोग बड़े-बड़े मॉल बनवाकर, इस ऐतिहासिक बड़ा तालाब, जिसे रांची झील भी कहा जाता है, को ही सदा के लिए मार डालेंगे। खुशी इस बात की है कि झारखण्ड सिविल सोसाइटी के लोगों ने जनता को इस ओर जगाने का काम किया हैं, अगर जनता जग गई तो समझ लीजिये, राज्य सरकार में जितने लोग मुख्यमंत्री को अपने जेब में रखकर, वो हर प्रकार की हरकतें कर रहे हैं, जिससे पूरे झारखण्ड को खतरा उत्पन्न हो गया हैं, वे जनता की नजरों में कहां होंगे?
और कोई यह भी न भूलें कि जिस राजनीतिक दल का वो आरती उतार रहा हैं, वो राजनीतिक दल सदा के लिए इस राज्य में काबिज रहेगा? कभी कांग्रेस को भी यहीं घमंड था, और आज कांग्रेस के लोग कहां है, सब को पता है, आनेवाले समय में भाजपा भी कांग्रेस की वर्तमान सीट पर बैठने को तैयार रहे, क्योंकि बोए पेड़ बबूल के तो आम कहां से पाएं।
आम बेहाल
खाश निहाल..।।
civil society,jabtak ranchi shahar jo ab jharkhand ki rajdhani hai,yanha ke open space kee loot,bijli,pani,sadak,surakchha etc.etc,par sarkar ko sachet kar raha thha,sarkar ke bharasht officers jo galat advice de rahe hain unke virodh me aandolanrat thha,shahar ke niwasinyo ke pratti chintit thha,main bhee saath deta aaya hoon.mere liye mera shahar meri janmbhoomi meri maa mere bachhe unke bachhe sab ki janmbhoomi,yanha kee hariyali pani pahad jheel ke vishay me aur unkee kis tarah loot ho rahee hai,main aapke saath thha,hoon…..kintu kisi ka naam lekar jo iss shahar ka purana partishthhit pariwar hai……naam likhna achhi baat nahee hai,party ka adhikaree hai,party ki chintaa karega hee……