कांकेर में शहीद हुआ धनबाद का इशरार, शहीद के परिवार को ढांढ़स बंधाने वोटों के सौदागर/अधिकारी नहीं पहुंचे
छत्तीसगढ़ के कांकेर में अर्द्धसैनिक बलों के जवानों और नक्सलियों के बीच हुए मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए चार जवानों में एक धनबाद का वीर जवान इशरार खान भी शामिल है। इशरार खान की शहादत की खबर जैसे ही उनके परिवार को मिली, पूरे परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई।
धनबाद के झरिया के तीसरा थाना के साउथ गोलकडीह निवासी मो. आजाद का 25 वर्षीय बेटा मो. इशरार खान की सीमा सुरक्षा बल में बहाली 2013 में हुई थी। पिता मो. आजाद के अनुसार उनको अपने बेटे के शहादत पर गर्व है, उनका बेटा देश की सुरक्षा के लिए अपना बलिदान दिया।
वीरगति प्राप्त इशरार का परिवार बहुत ही गरीब और मुफलिसी में जिंदगी व्यतीत करता है। इशरार के पिता साइकिल से आस-पास के इलाकों में बिस्कुट और चॉकलेट की फेरी करते है। स्वभाव से मिलनसार प्रवृत्ति का इशरार की शहादत का समाचार सुन सभी लोग दुखी है और इशरार के परिवार के लोगों को इस दुख में ढांढस बंधा रहे हैं, पर अभी तक वोट के कारोबारी नेताओं में से एक भी नेता या अधिकारी इस परिवार को ढांढ़स बंधाने नहीं आया।
इशरार ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई लोदना स्कूल से शुरु की थी, उसके बाद वह आरएसपी कॉलेज से इंटर की पढ़ाई पूरी की। पूरे परिवार का वर्तमान में रो-रोकर बुरा हाल है, पर वोट के कारोबारियों और अधिकारियों का अभी तक उसके घर पर नहीं जाना, तथा उसके इस दुख की घड़ी में साथ नहीं देना, पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। इशरार सीमा सुरक्षा बल के 114वीं वाहिनी में कांस्टेबल था।
अफसोस इस बात की है, इशरार ने अपना बलिदान दे दिया, पर उसके मरने के बाद शायद ही उसके परिवार को वो सम्मान और वो राशि मिल पायेगा, जिसका वो हकदार है, क्योंकि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने लिए ओपीएस और वीर जवानों के लिए एनपीएस की ऐसी व्यवस्था कर गये हैं कि शायद ही कोई देश के जवान का परिवार कभी अटल बिहारी वाजपेयी को इस कुकर्म के लिए माफ कर पायेगा।