अपनी बात

रांची झील को भू-माफियाओं और सरकार की गलत नीतियों से बचाने के लिए सिविल सोसाइटी सड़कों पर

आज ठीक सायं 4 बजे पूर्व में घोषित समयानुसार झारखण्ड सिविल सोसाइटी के लोगों ने रांची झील (बड़ा तालाब) आकर, हाथों में तख्तियां लिए प्रदर्शन किया। झारखण्ड सिविल सोसाइटी के लोगों का कहना था कि राज्य सरकार के कथित विकास के नाम पर रांची झील पर अभूतपूर्व संकट मंडराने लगा है, रांची झील धीरे-धीरे चारों ओर से सिकुड़ने लगी है।

रांची झील को सुनियोजित ढंग से मिट्टी और कचरे डालकर भरने का काम इधर कुछ महीनों में बड़ी तेजी से हो रहा है, अगर भू-माफिया और राज्य सरकार की गलत नीतियां इसी तरह फलती-फूलती रही तो एक दिन ऐसा आयेगा कि लोग कहानियों में पढ़ेंगे कि रांची में एक बड़ा तालाब था, जिसे रांची झील भी कहा जाता था, आज वो नहीं हैं।

झारखण्ड सिविल सोसाइटी के आरपी शाही कहते है कि विकास कौन नहीं चाहता, पर विकास के नाम पर हो रहा विनाश हमें लगता है किसी को मंजूर नहीं होगा, रांची में एक-एक कर तालाब समाप्त होते चले गये, नतीजा सामने हैं, कि आज रांची का तीन चौथाई इलाका पेय-जल संकट से जूझ रहा है, अगर रांची झील को भी समाप्त कर दिया गया, तो फिर समझा जा सकता है कि स्थिति क्या होगी? इसलिए हम बड़ी संख्या में यहां उपस्थित हुए हैं, सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना चाहते है कि वे इस ओर ध्यान दें, उनका विकास, हमारे विनाश को सुनिश्चित कर रहा है, इसे बचाएं।

वरिष्ठ समाजसेवी विकास सिंह बताते है कि दरअसल सरकार या तो इस संबंध में जानना नहीं चाहती या जानबूझकर इस संबंध में जानने की कोशिश नहीं कर रही, होना तो यह चाहिए था कि यहा रांची झील को कैसे बचाया जाय, इसको लेकर वह झारखण्ड सिविल सोसाइटी से बात करती, एक प्लान बनाती, जिससे रांची झील को बचाया जा सकता था, पर सरकार की हठधर्मिता जो न करा दें, हमलोग संघर्ष कर रहे है, आगे भी करेंगे, देखते हैं क्या होता है?

युवा नेतृ खुश्बू कहती है कि रांची झील को बचाना उनकी प्राथमिकता है, क्योंकि रांची झील है तो रांची भी है, अगर इस पर संकट मंडराया तो स्थिति भयावह होगी, खुश्बू बताती है कि वह इस मुद्दे को लेकर रांची नगर निगम ही नहीं बल्कि और स्थानो पर भी अपनी बातें रखी है, वह साफ कहती है कि फिलहाल राज्य सरकार की जो प्लान यहां जमीन पर चल रही है, उससे रांची झील पर संकट मंडरा रहा हैं।

बड़ी तेजी से विकास के नाम पर रांची झील को चारों ओर से भरा जा रहा है, यह क्यों भरा जा रहा हैं, बताने की जरुरत नहीं, सरकार भी समझ रही है औऱ हम भी समझ रहे हैं, और इस नासमझी को हम जनता को जागरुक कर, रांची झील की उपयोगिता तथा भविष्य में इससे होनेवाले नुकसान और पेय-जल संकट को बता ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं, निःसंदेह हमें सफलता मिलेगी।