यहां कांग्रेस को उम्मीदवार नहीं मिल रहा और वहां खूंटी में अर्जुन मुंडा ने अपनी जीत की किलेबंदी कर ली
महागठबंधन की ओर से कांग्रेस को खूंटी सीट मिली है और एक कांग्रेस के लोग हैं, जिन्हें एक उम्मीदवार तक नहीं मिल रहा, हालांकि उनके पास उम्मीदवार की कमी भी नहीं, पर कहा जाता है न, आपके किस्मत में हार का जश्न ए चिरागा लिखा है, तो आप जीत का स्वाद कहां से चखेंगे? खूंटी में कांग्रेस का उम्मीदवार कौन होगा? अभी तय ही नहीं हो पाया है, जबकि कांग्रेस के बड़े-बड़े लोग अर्जुन मुंडा को धराशायी करने के लिए प्लान बना रहे हैं, और इसी प्लान बनाने के चक्कर में कभी प्रदीप बलमूचु, तो कभी दयामनि बारला, तो कभी कालीचरण मुंडा के इर्द-गिर्द घुमते नजर आ रहे हैं।
जबकि यहां एक ऐसा भी प्रत्याशी है, जो इसी खूंटी लोकसभा के एक विधानसभा क्षेत्र से दो-दो बार विधायक रहा, एक बार मंत्री भी रहा, खूंटी लोकसभा से चुनाव लड़ना चाहता है, नाम है- थियोडोर किड़ो। ये वही थियोडोर किड़ो है, जिन्होंने दिसम्बर 2018 में कोलेबिरा विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, नहीं तो कांग्रेस का यहां से जीतना नामुमकिन था। आज भी कई सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं थियोडोर के साथ है, कई बार थियोडोर किड़ो ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली की चक्कर भी लगाई।
एक बार सुबोधकांत सहाय ने भी इन्हें दिल्ली बुलाया, लगा कि इन्हें टिकट मिल जायेगा, पर कांग्रेसियों के अंदर होनेवाली उठा-पटक में थियोडोर पीछे छूटते चले गये और वे फिलहाल खूंटी में आकर डेरा-डंडा डाल दिये, थियोडोर किड़ो का कहना है कि अब कांग्रेस को जिसको टिकट देना है, दे दे, उससे हमें क्या मतलब? अब जो होना है, वो होकर रहेगा, हम और आप कुछ नहीं कर सकते, देखते ही देखते काफी समय बीत गया, और खूंटी में चलनेवाली कांग्रेस की हवा भी अब धीरे-धीरे बदलने लगी है, परिणाम क्या होगा? अब सभी लोग जान चुके है, इसलिए पार्टी अब किसी को भी टिकट दे दें, परिणाम तो निकल चुका।
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी एवं पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने खूंटी में धमाकेदार शुरुआत की है। वे सबसे पहले खूंटी में भाजपा के बहुत बड़े नेता जो यहां से प्रत्याशी हुआ करते थे, उनके घर जाकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया और लीजिये उन्हें आशीर्वाद भी प्राप्त हो गया। इसके बाद अर्जुन मुंडा उन सारे स्थानों पर गये, जहां लोगों का विश्वास जुड़ा होता है।
वे आम्रेश्वर धाम हो या सिमडेगा का रामरेखा घाट, या कोई मठ या मंदिर सभी स्थानों पर जाकर मत्था टेका तथा वहां के आस-पास के मतदाताओं तथा कार्यकर्ताओं से संपर्क साधा, यहीं नहीं अपने स्वभावानुसार कार्यकर्ताओं के दिलों में जगह बनाने की कोशिश भी की और वे सफल रहे। भाजपा में कहा भी जाता है कि अगर कार्यकर्ताओं के बीच कोई लोकप्रिय हैं तो वह हैं अर्जुन मुंडा, न कि मुख्यमंत्री रघुवर दास।
अर्जुन मुंडा इसी बीच सिमडेगा में विधानसभास्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन भी कर लेते हैं, तथा कार्यकर्ताओं में जोश, उमंग व उत्साह का बीजारोपण भी कर देते हैं। यह अर्जुन मुंडा का ही प्रभाव है कि कई दलों के कार्यकर्ताओं का हुजूम भी उनके सम्पर्क में आ जाता है। जरा देखिये सिमडेगा में ही एक घटना घटती है बीरु पंचायत के भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष राम लाल नायक उन्हें झंगरी थमाते हैं, और उस झंगरी को बूके मानकर बहुत ही आनन्द से उसे स्वीकार करते हैं, और उसके बाद लगे हाथों कोलेबिरा में विधानसभास्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लेकर कार्यकर्ताओं में जान फूंक देते हैं।
इसी दौरान कही पदयात्रा, तो कही अपने पुराने जनसंघ के समय के वृद्ध कार्यकर्ताओं के घर जाकर उनका हाल-चाल पुछना नहीं भूलते। इसी बीच उनके साथ चल रहे युवा कार्यकर्ताओं का हुजूम अर्जुन मुंडा के साथ एक सेल्फी लेना नहीं भूलता। रास्ते में भगवान बिरसा की प्रतिमा हो या शहीद निर्मल महतो की प्रतिमा वहां जाकर अपना श्रद्धासुमन अर्पित करना नहीं भूलते।
इसी बीच अर्जुन मुंडा खूंटी लोकसभा के विभिन्न क्षेत्रों में परिभ्रमण करने के दौरान जो उन्हें अनुभव प्राप्त हो रहा है, उसको वे शेयर करना नहीं भूलते। वे बताते है कि कर्रा में जब वे जम्हार बस्ती पहुंचे तो वहां बस्ती की महिलाओं ने 1001 रुपये चुनाव में नामांकन दाखिल करने के लिए भेंट किया, जिससे उनका दिल भर आया। इसी प्रकार खूंटी लोकसभा के कई गांवों जैसे तिलमी, डेककेला, जरियागढ़, जोजोदाग, लिमड़ा, गुमडुदाग, कुल्हाई, रनिया, सौदे, हुरदा, रायकेरा आदि में जनसम्पर्क चलाकर लोगों से आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं और उन्हें लोगों का सहयोग भी प्राप्त हो रहा है।
आश्चर्य इस बात की है, कभी पत्थलगड़ी के लिए मशहुर खूंटी, आंदोलन के लिए मशहुर खूंटी में वैसी चीजें देखने को नहीं मिल रही, जो कुछ महीने पहले देखने को मिल रही थी, पूर्व में जैसा लग रहा था कि भाजपा को यहां मुश्किल हो सकती है, जैसे-जैसे चुनाव के दिन नजदीक आ रहे हैं, भाजपा के अर्जुन मुंडा ने विपक्ष द्वारा अभी तक खुला मैदान दे दिये जाने का सही फायदा उठाया है।
राजनीतिक पंडित बताते है कि जब कोई दल अपना प्रत्याशी देने में देर करता है, तो जितना वो देर करता जाता है, उसकी हार उतनी ही सुनिश्चित होती जाती है, खूंटी में कांग्रेस के लोगों ने ऐसा ही कर दिया है, अब कांग्रेस जितना भी ताकत लगा दें, अर्जुन मुंडा ने जो जनसम्पर्क चलाकर क्षतिपूर्ति कर ली, उतना कांग्रेस अब नहीं कर पायेगी, क्योंकि खूंटी की हवा अब बदलने लगी है, और इसे बदलने पर मजबूर और कोई नहीं बल्कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. अजय कुमार ने किया, क्योंकि झारखण्ड की उनकी राजनीतिक समझ कितनी है, वो खूंटी में प्रत्याशी की घोषणा में हो रही देरी ही बता दे रही है।