अरे यहीं तो पटना है…
आज सबेरे-सबेरे पटना पहुंचा हूं। नरक बना दिया है, यहां के निवासियों और यहां की राज्य सरकार ने। जहां देखों गंदगी, जहां देखो जाम, जहां देखो सड़कों पर दुकान। मुर्गे और बकरे तो यहां सडकों पर ही काट दिये जा रहे है। कोई बोलनेवाला नहीं, कोई देखनेवाला नहीं। जहां देखिये वहीं भीखमंगे, क्या मंदिर-क्या मस्जिद, सभी जगह ये बैठकर भारत और बिहार की सही तस्वीर बनकर, पटना की शोभा बढ़ा रहे हैं।
जहां देखिये लोग मल-मूत्र का परित्याग कर रहे हैं, रेलवे स्टेशन हो या बस स्टैंड, लोग इतने अव्यवस्थित हैं कि इन्होंने मान लिया है कि उनका अव्यवस्थित होना ही, व्यवस्थित होने का सबसे बड़ा प्रमाण है। गंदगी फैलाने में क्या पढ़े-लिखे और क्या अनपढ़, सभी एक समान है। सड़कों का अतिक्रमण यहां की सबसे बड़ी पहचान है, अगर किसी को आपने थोड़ा आइना दिखाया कि वो ऐसा पाठ आपको पढ़ायेगा कि आप कभी जिंदगी में खड़े भी नहीं हो पायेंगे। अगर कोई आपको कुछ बोल दे, तो बस चुपचाप होकर सुनिये और पतली गली से निकलिये।
इधर बाढ़ से पूरा बिहार तबाह है और एक नेता को यहां अपनी रैली को सफल बनाने की चिंता सता रही हैं, लोग कैसे पटना आयेंगे, इसी में वह सूखकर काटा हो जा रहा हैं। उसे मालूम है कि अब तक बाढ़ से 300 से ज्यादा लोग मर गये है, पर कोई मरे, मेरी बला से, वह इसी सिद्धांत को अपनाकर रैली से इतर कुछ सोच भी नहीं रहा। ऐसी स्थिति देखकर मुझसे रहा नहीं गया, इसलिए मैं पटना को यह स्वलिखित गीत समर्पित कर रहा हूं।
जहां मन करें, गंध मचा दो,
गाड़ी खड़ी कर, दुकान लगा दो,
मल-मूत्र कर, नदी बहा दो,
लड़ों खूब और जाम लगा दो,
मंदिर-मस्जिद की झड़ी लगा दो,
बकरे काटो, खून बहा दो,
जहां तहां, तुम मुर्गा काटो,
सब्जी बेचो, कूड़े लगा दो,
यहीं नजारा अपना हैं,
अरे यहीं तो पटना है…
लालू देखो, नीतीश देखो,
दलबदलूओं का शासन देखो,
कल यूपीए, आज एनडीए,
लड़ता शहर सब अपना हैं,
अरे यहीं तो पटना है…
जहां देखो भीखमंगे दीखते,
स्टेशन, मंदिर, मस्जिद रस्ते,
भीख मांग परिवार चलाना
उनका धंधा यह अपना है
अरे यहीं तो पटना है…
कोई सोता, महलों में
कोई सोता फुटपाथों पे,
सायरन चिल्लाता,
वो मर जाता,
कोई नहीं यहां अपना है,
अरे यहीं तो पटना है…
गंगा मैंली हो तो, हो जाय
लोग़ बाढ़ में मरे, तो वो मर जाये
27 की रैली में चलना है
अरे यहीं तो पटना है…
कोई लालटेन जला रहा हैं
कोई तीर चला रहा है
कोई कमल खिला रहा हैं
हसिया बाली, हसुआ-हथौड़ा
सब मिल दिखा रहा सपना हैं
अरे यहीं तो पटना है…
गोलघर में सपने गोल
गांधी मैदान में डब्बे गोल
गुरु गोविन्द जी नहीं दीखते
झोल झाल का अंगना हैं
अरे यहीं तो पटना है…
apna patna sungar hoga
neta ji ki wani
patna itna sundar hai ki
ghar ghar ghusta pani
ki patna sungar hoga
samandar andar hoga