पूर्व स्पीकर इंदर सिंह नामधारी का आकलन पलामू और चतरा के परिणाम चौकानेवाले साबित होंगे?
झारखण्ड विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष, एकीकृत बिहार में कभी परिवहन मंत्री तो कभी एकीकृत बिहार में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके, झारखण्ड के बड़े नेता इन्दर सिंह नामधारी का कहना है कि इस बार पलामू और चतरा संसदीय सीट पर हो रहे चुनाव के परिणाम अप्रत्याशित होंगे। कभी चतरा संसदीय सीट से लोकसभा में शानदार कार्यकाल समाप्त कर चुके इन्दर सिंह नामधारी ने चतरा और पलामू संसदीय सीट पर हो रहे चुनाव को लेकर विद्रोही24.कॉम से विस्तार से बातचीत की।
उनका कहना था कि जब निर्वाचित प्रत्याशी में अहं की भावना जग जाये और उसे लगे कि उसके जैसा दूसरा कोई नहीं, तो फिर जनता के प्रति सेवा की भावना उसके हृदय से सदा के लिए समाप्त हो जाती है, और जब जनता के प्रति सेवा की भावना समाप्त हुई तो फिर जनता भी ऐसे लोगों को समय आने पर अपना रौद्र रुप दिखा देती है, जैसा कि पलामू और चतरा में देखने को मिल रहा है।
वे कहते हैं कि कइयों को तो उनके कार्यकर्ता ही नहीं मिल रहे, कहने का मतलब है कि कार्यकर्ता भी क्या करेगा, उसे सांसद की तरह दिल्ली या विधायक की तरह रांची में तो रहना नहीं है, वो तो जब रहेगा तो गांव के लोगों के बीच ही, ऐसे में जब गांव के बूढ़े–बुजूर्ग और परिवार नाराज हो गये, उसके सगे–संबंधी नाराज हो गये तो वह अकेले कार्यकर्ता रहकर ही क्या कर लेगा? स्थिति फिलहाल पलामू व चतरा की यही है।
नामधारी जी कहते हैं कि फिलहाल भाजपा देशभक्ति, पाकिस्तान, पुलवामा के मुद्दे को लेकर निकल पड़ी है, 2014 में जब लोगों ने मोदी लहर को स्वीकार करते हुए, कमल पर बटन दबाया था, तब लगा था कि कुछ नया होगा, बेहतर होगा, पर जनता छली गई और उक्त जनता को अपनी ओर करने के लिए भाजपा आर्टिफिसियल देशभक्ति को उभार कर वोट मांगने की कोशिश कर रही है।
पीएम मोदी द्वारा और भाजपा के लोगों द्वारा खुब हवाबाजी की जा रही है कि हमने पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर मारा, लोगों को यह सुनने में अच्छा भी लग रहा है, पर जमीनी स्तर पर जनता की क्या राय है, इसको जानने की कोशिश किसी ने नहीं की। पलामू में भाजपा के बीडी राम और महागठबंधन के घूरन राम के बीच सीधी लड़ाई है, अगर दोनों के व्यवहार की बात करें, तो आकाश–जमीन का अंतर है।
घूरन व्यवहारिक है, मिलनसार है, विनम्र स्वभाव का है, जनता के बीच उसकी अपनी लोकप्रियता है तथा हर समुदाय के बीच उसकी लोकप्रियता समान है, जबकि भाजपा के उम्मीदवार बीडी राम का स्वभाव और व्यवहार जगजाहिर है, ऐसे में बीडी राम कितने प्रभावी होंगे, ये वे ही जाने, लेकिन आज भी जनता की नजरों में घूरन बतौर प्रत्याशी के रुप में बेहद लोकप्रिय है।
दूसरी ओर चतरा की स्थिति कुछ अलग है। वहां भाजपा ने सुनील सिंह को फिर से टिकट दे दिया है, जिसका बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है, विरोध करनेवालों में वहां की जनता और भाजपा कार्यकर्ता भी है। वे कहते है कि एक भाजपा कार्यकर्ता तो कल ही रोते हुए बोल रहा था कि इन्दर सिंह नामधारी जी, चतरा से आप ही चुनाव लड़िये, पर मैंने कह दिया कि भाई, मैं तो 71 साल का हो गया और राजनीति से संन्यास भी ले लिया, ऐसे में, मेरा चुनाव लड़ना तो अब असंभव है, क्योंकि मेरा ध्यान फिलहाल चुनाव लड़ना नहीं, बल्कि अन्य सामाजिक कार्यों के द्वारा जनता की सेवा करनी है।
नामधारी जी कहते है कि राजद ने चतरा से सुभाष यादव को टिकट दिया है, ये राजद की मजबूरी है, क्योंकि सुभाष यादव पैसेवाला है, पार्टी को पैसे भी चाहिए, क्योंकि बिहार में हो रहे चुनाव में राजद को पैसा कहां से आयेगा, इसलिए सुभाष ने राजद को आर्थिक रुप से काफी मदद की है, ऐसे भी आज भी यादव समाज लालू को ही अपना नेता मानता है, चाहे अन्य यादव नेता कुछ भी कह लें, अगर कांग्रेस मनोज यादव को कैंडिंडेट उतारने के बजाय, सुभाष यादव को समर्थन कर दें, तो परिणाम साफ है कि राजद वहां से निकल जायेगा।
पर कांग्रेस द्वारा मनोज यादव को खड़ा कर दिये जाने से वोटों का बिखराव होगा, ऐसे भी चतरा में कांग्रेस की अपेक्षा राजद ज्यादा मजबूत रहा है, कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी दे दिेये जाने से परिणाम कुछ भी आ सकता है, वे यह भी कहते हैं कि कांग्रेस को इस मुद्दे पर सोचना चाहिए, क्योंकि अगर आप भाजपा को सच में हराना चाहते हैं तो आपको निश्चय ही कुछ न कुछ त्याग करना पड़ेगा, नहीं तो जो होना है, वो हो ही रहा है, भाजपा को चतरा में कार्यकर्ताओं का टोटा हो गया है, पलामू और चतरा में इनके पुराने कैंडिडेट जनता की नजरों में फिट नहीं बैठ रहे, ऐसे में जनता ही कोई बेहतरीन निर्णय लेगी, वह निर्णय निश्चय ही भाजपा के पक्ष में तो फिलहाल नहीं ही दीख रहा।