लालू की अपील – सभी लालू बन जाओ, लालू की तरह डट जाओ और लालू की तरह लड़ जाओ
लालू प्रसाद को आशा थी कि आज सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिल जायेगी, पर जमानत नहीं मिली, यानी यह पहला मौका है कि लालू के रहते, लालू के बिना बिहार में लोकसभा का चुनाव संपन्न होगा, पहली बार लोग इस चुनावी सभा में लालू को न देख पायेंगे और न सुन पायेंगे, ऐसे हम आपको बता दे ंकि लालू प्रसाद अपने प्रशंसकों और विरोधियोंं में समान रुप से लोकप्रिय है, ज्यादातर राजनीतिक पंडित स्वीकार कर चुके हैं, कि बिना लालू प्रसाद के इस बार चुनाव का मजा नहीं आयेगा, क्योंकि सत्तापक्ष की काट के ताले की सारी चाबी तो लालू प्रसाद के पास रहती थी।
ऐसे में चुनाव तो एकतरफा हो जायेगा। ऐसे भी इस बार परीक्षा, लालू के समर्थकों और उनके प्रशंसकों की भी है, देखना है कि वे पास होते है या फेल, पर इधर लालू के एक पत्र ने उनके समर्थकों और प्रशंसकों को अंदर तक हिलाकर रख दिया है, क्या इस पत्र का असर दीखेगा या अन्य पत्रों की तरह, यह भी कही गुम हो जायेगा, देखिये आखिर लालू प्रसाद ने अपने पत्र में क्या कहा हैं?
मेरे प्यारे बिहारवासियों,
आप सबको प्रणाम, नमस्कार, सलाम
इस वक्त जब बिहार एक नई गाथा लिखने जा रहा है। लोकतंत्र का उत्सव चल रहा है। यहां रांची के अस्पताल में अकेले में बैठकर सोच रहा हूं कि क्या विध्वंसकारी शक्तियां मुझे इस तरह कैद कराके बिहार में फिर किसी षडयंत्र की पटकथा लिखने में सफल हो पाएंगी? मेरे रहते मेरे बिहारवासियों के साथ मैं फिर से धोखा नहीं होने दूंगा। मैं कैद में हूं, मेरे विचार नहीं। अपने विचारों को आपसे साझा कर रहा हूं, क्योंकि एक दूसरे से विचारों को साझा करके ही हम इन बांटनेवाली ताकतों से लड़ सकते हैं।
रांची के अस्पताल में अभी शाम में अकेले बैठकर आप लोगों से बात करने का मन हुआ, जैसा कि आप सब जानते ही है लोकसभा चुनाव का बिगुल फुंक चुका है। देश में बहुत बार चुनाव हुआ है, पर इस बार का चुनाव पहले जैसा चुनाव नहीं है। इस बार के चुनाव में सब कुछ दांव पर है, देश, समाज, लालू यानी आपका बराबरी से सिर उठाकर चलने का जज्बा देनेवाला और आपके हक और आपकी इज्जत और गरिमा सब दांव पर है। लड़ाई आर–पार की है। मेरे गले में सरकार और चालबाजों का फंदा कसा हुआ है, उम्र के साथ शरीर साथ नहीं दे रहा पर आन और आबरु की लड़ाई में लालू की ललकार हमेशा रहेगा।
ई ललकार हमारे सिपाहियों के दम पर है। जो हार में जीत में हर हाल में मैदान में डटनेवाला रहा है, पीठ दिखाकर भागनेवाला नहीं। जैसे गांधी जी ललकार कर अंग्रेजों भारत छोड़ो कहने के बाद करो या मरो का नारा दिये थे, वैसे ही ई लड़ाई देश तोड़नेवाले लोगों के खिलाफ है, संविधान में दिए हक की हिफाजत की लड़ाई है। आरक्षण और संविधान विरोधी नरेन्द्र मोदी को खदेड़ने की लड़ाई में करो या मरो जज्ब की जरुरत है, हर आदमी को लालू यादव बनना होगा, उसकी तरह डटना होगा, लालू यादव की तरह लड़ना होगा। सामने चाहे कितनी भी मुश्किल हो, डर और धमकी हो, लालच हो, खतरा हो, डटकर लड़ना होगा और गरीब–गुरबों की मान–प्रतिष्ठा बचानी होगी।
आप सब अखबार और टेलीविजन आदि के माध्यम से जानते ही है कि किस प्रकार मोदी की सरकार ने आपके आरक्षण को खत्म करने की कोशिश की। किस प्रकार हमारे रोहित वेमुला जैसे दलित बेटे को प्रताड़ित कर आत्महत्या करने को मजबूर किया गया, किस प्रकार दलित उत्पीड़न को बढ़ावा दिया गया, किस प्रकार दलितों और अनुसूचित जाति पर उत्पीड़न के कानून को कमजोर करने की कोशिश की गई, आप दलित–बहुजन साथी अगर पूरी गोलबंदी से सड़क पर कोहराम नहीं मचाते तो आप दलित–बहुजन के आरक्षण और आपके अधिकारों को मोदी की सरकार ने समाप्त करने का बीड़ा उठा लिया था। मैं बीमार और परेशान रहकर भी लगातार नजर बनाए हुए था। आपको बस यह याद रखना है गुरु गोलवलकर के चेले लोग आप दलित–बहुजन को मिटाने की हर संभव कोशिश करेंगे, जागते रहना है और बाबा साहेब और महात्मा फुले का अलख जगाते हुए इन्हें दिल्ली से खदेड़ देना है।
ई सरकार नौटंकी सरकार है। कभी देश खतरा में, कभी हिंदू खतरा में, कभी अर्थव्यवस्था खतरा में, के नाम पर आप लोगों को खबास (गुलाम) बना के रखना चाहता है। आप दलित बहुजन को कहा जाता है, कुछ सोचो समझो मत सिर्फ गुलाम की तरह हमारा हुकुम बजाओ। आप क्या खाइयेगा, क्या पहनियेगा, ई दोस्त है, ई दुष्ट है, सब साहब तय करेंगे। लालू के रहते कोई जालीबाज इधर झांकने का भी हिम्मत नहीं करता था। पर ई सरकार मुंह में राम, बगल में छूरी वाली सरकार है। निशाचर लोगों की सरकार है, रात में जब आप सोये रहते हैं तो ये हमला करता है और आपकी मति फेर कर आपको अपने ही खिलाफ काम करने पर मजबूर कर देता है।
मायावी राक्षस की तरह आपस में लड़ाई करनेवाली सरकार है। कौन लकड़ी सुंघा देते हैं कि भाई की तरह कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने वाला आदमी आपका खून पीने के लिए तैयार हो जाता है। हमको भी अपना मायाजाल में लपेटकर तोड़ने की जी तोड़ कोशिश किया, ये लोग जाल डाल के भी काबू नहीं कर पा रहे, पीछे से किसी शिखंडी के कंधा पर बंदूक रखके हमला पर हमला, बार–बार जेल में रखकर हिम्मत तोड़ने की कोशिश। लाख तरह की बीमारी और कानून का फंदा के बाद भी लालू का हिम्मत नहीं तोड़ पा रहे हैं, ना उसके सिपाही का हौसला। मेरा पूरा परिवार और समस्त राष्ट्रीय जनता दल फिर भी मैदान में डटा हुआ है, तो आप दलित–बहुजन साथियों की ताकत इसकी सबसे बड़ी वजह है।
देश–समाज की मान–मर्यादा और एका के लिए भले गुरु गोविंद के बच्चे की तरह दीवार में चिनवा दिया जाय, पर ये जंग जारी रहेगी। देश संविधान की बात तो हमारे सब लोग आपको बता ही रहे हैं, रहा है, पर उससे ज्यादा जो जरुरी बात है कि अगर ये दलित–बहुजन विरोधी लोग दुबारा हेर–फेर से वापस आ गये तो देश में आपकी हैसियत क्या रहेगी? ये आपके उठने–बैठने से लेकर आपकी पहचान को फिर से तीस–पैतीस साल पुरानी स्थिति में आपको धकेलना चाहेंगे।
आपका मान–मर्यादा के साथ रहना और बिना भय अपनी बात रखना इनको फूंटी आंख नही सुहाता है। आपने कुदाल फावड़ा और गैती छोड़कर कलम पकड़ना शुरु किया, ये उन्हें हजम नहीं हो रहा है, ये फिर से आपको अपने ढोर चराने और खेत पर सर झूकाकर ‘जी मालिक’ कहनेवाले बंधुआ मजदूर के रुप मे देखना चाहते है, आप पटना और दिल्ली की सत्ता में और देश के संसांधनों में आबादी के आधार पर अपनी हिस्सेदारी मांगते है, ये इन्हें परेशान कर देता है।
इसलिए इस बार वाला चुनाव सरकार और गद्दार दोनों को पहचानने का है, अगर चूक गये तो हमेशा के लिए चूक जाइयेगा। हमारे गरीब–गुरबा लोग जो मंडल जी, कुशवाहा जी, यादवजी, बिन्दजी, सहनीजी, पासवानजी, मांझीजी या रामजी कहाने लगे थे, वो फिर से अशोभनीय जाति–सूचक नामों से पुकारे जायेंगे। इस बार दुश्मन आपके ताकत को तौल रहा है, कभी बिना दस्तावेज और सर्वेक्षण के सवर्णों को आरक्षण दे के, कभी रोस्टर सिस्टम को बदलके या फिर अनुसूचित जाति/जन जाति पर उत्पीड़न के कानून को कमजोर करके, कोई सोंटा भांज रहा है, तो कोई रामजी को भांज रहा है।
लेकिन याद रखना मेरे साथियों, आपके लाल लालू का हौसला बहुत मजबूत है, उससे भी मजबूत है उसके सिपाही जो कभी नहीं टूटेगा और कभी नहीं फूटेगा, लालच का, धर्म का, धमकी का सब लाठी फेल हो जायेगा। ई मायावी सरकार आपको दिखाती कुछ और है, करती कुछ और है। बोलती है कि देश खतरा में हम हथियार खरीद रहे और आपका पॉकेट से पैसा निकालके अपना यार दोस्त को देके कहती है कि आराम से विदेश निकल जाओ और मौज करो, हम आए तो हमको भी कराओ। ई समय दोस्त और दुश्मन दोनों को पहचानने की घड़ी है, साथ में जुटके और जोड़के लड़ने की घड़ी है।
राजद के सिपाहियों और दलित बहुजन साथियों। गठबंधन में कई दल है, इसलिए सीट बंटवारें में सबका ध्यान रखना पड़ा है। हमारे कई नेता और कार्यकर्ता जिन्हें टिकट नही मिला, उन सबसे अपील करते हैं कि सब मिलकर सब कुछ भुलाकर दलित बहुजन समाज का आरक्षण और संविधान बचा लीजिये, देश को खेत समझिये और जानिये कि अगर अपना समाज खेत बचा लेगा तो फसल फिर लगेगी और बराबरी से सब दलित बहुजन की भागीदारी होगी, बहुत कुछ कहने का है, लेकिन अब रखते हैं लेकिन फिर लिखूंगा। बस एक बार और हाथ जोड़कर, अपने दलित बहुजन साथियों से आग्रह है कि एकता कायम करिये, संघर्ष कीजिये, दिल्ली के तख्त पर वंचित समाज के लोगों का कब्जा जरुरी है। प्रणाम।
आपका अपना
लालू प्रसाद