रांची में शंघाई टावर बनाने, चीन घुमने का शौक रखनेवाले, CM रघुवर ने पं. नेहरु की चीन मुद्दे पर की आलोचना
लीजिये, कल तक भारतीय चुनाव प्रचार में भाजपाइयों के पास पाकिस्तान ही केवल एक आयटम हुआ करता था, और अब उस आयटम में चीन भी जुड़ गया। इसकी शुरुआत अपने राज्य के होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कर दी। रघुवर दास ने आज हजारीबाग में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अगर नेहरु जी ने पाकिस्तान पर सख्ती दिखाई होती तो आज कश्मीर समस्या का वजूद ही नहीं होता। चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया और कांग्रेस के रक्षा मंत्री बोले कि चीन से युद्ध करने में हमारी सेना सक्षम नहीं है, ये हैं कांग्रेस का इतिहास।
पर मुख्यमंत्री रघुवर दास इस इतिहास को बताने में वर्तमान को भूल गये कि केन्द्र में उनकी पांच साल, वह भी मजबूत सरकार रही है, डोकलाम घटना भी सामने आया था, एक मौका भी मिला था उनके प्रधानमंत्री को हाथ साफ करने का, तथा जो भू-भाग चीन ने हमारा ले लिया है, उसे प्राप्त करने का। एक बार तो चीन के राष्ट्रपति को उनके ही पार्टी के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने गुजरात ले गये, उन्हें झूले पर झूलाया, पर जो जमीन चीन ने अवैध रुप से कब्जा कर लिया हैं, उसको प्राप्त करने के लिए कोई पहल ही नहीं की, उल्टे जो अरुणाचल प्रदेश हैं, उसे हड़पने के लिए चीन अभी से ही तिकड़म लगाना शुरु कर दिया, सुना है कि उसने अपने यहां छपनेवाले नक्शे में अरुणाचल प्रदेश को भारत के नक्शे से ही गायब कर दिया है और इनकी केन्द्र सरकार का अभी तक इस पर कोई जवाब सुनने को नहीं मिला।
जनाब, यानी राज्य के होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास को चीन इतना अच्छा लगता है कि वे हाल ही में राज्य के होनहार आइएएस अधिकारियों को घुमाने ले गये और रांची में शंघाई टावर बनाने का ऐलान कर दिया। यहीं नहीं हाल ही में एक चीनी प्रतिनिधिमंडल आया था, जो राज्य के मुख्य सचिव से मिला था, मुख्य सचिव तो उक्त चीनी प्रतिनिधिमंडल के आगे ऐसे लोट-पोट हुए जा रहे थे कि मत पूछिये, आज भी रांची की गलियों-कूचियों ही नहीं, बल्कि सेठ-साहूकारों के दुकानों में चीनी सामान भरे पड़ें है, स्थिति ऐसी है कि अगर चीन एक दिन सामान अपना भेजना भारत में बंद कर दें, तो खुद भारतीय ही बर्बाद हो जायेंगे, क्योंकि अब उन्हें बिना चीनी सामान के तो नींद ही नहीं आती।
आज भी रांची के प्रमुख बाजारों में ठेलों पर बिकते चाउमिन वगैरह बताने के लिए काफी है कि आज का युवा चीन और चीनी सामान पर कितना फिदा है, उसे तो भारतीय चीजें ही पसन्द नहीं आती, खाने-पीने का सामान हो या दैनिक उपयोग की वस्तूएं, सभी में उसे चीन दिखने चाहिए क्योंकि भारतीय होने और दिखने में उन्हें घृणा आती है, और इन सब का मूल कारण है, केन्द्र व राज्य की सरकारें, जिसने देश के युवाओं को देश से प्यार करना नहीं सिखाया।
जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने थे, तो उस वक्त मानव संसाधन मंत्री थे- डा.मुरली मनोहर जोशी, जिन्होंने शिक्षा-व्यवस्था को सुधारने का बीड़ा भी उठाया था, और उसकी झलक देखने को भी मिली, पर नरेन्द्र मोदी की सरकार में शिक्षा मंत्री बनी स्मृति इरानी ने क्या किया? वो सबको मालूम है और राज्य की रघुवर सरकार क्या कर रही है, वह भी झारखण्ड की जनता को मालूम है, ऐसे में चीन की बात, वह भी चुनाव के समय उठाना सहीं है और ये जो हर बात में नेहरु को गाली देने की जो आदत बन गई है, कृपया इन सब से आप खुद मुक्त हो, ये तो वहीं बात हुई, राज्य के होनहार मुख्यमंत्री जी, कि चलनी दूसे सूप के जिन्हें बहत्तर छेद।