धनबाद DC से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग खफा, दिया 20 दिनों का अल्टीमेटम, मांगे जवाब
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने धनबाद के उपायुक्त ए डोड्डे, को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जता दी है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कहना है कि बार-बार पत्राचार करने/याद दिलाने के बावजूद, आपके द्वारा इस पूरे प्रकरण पर आवश्यक विवरण, आयोग के समक्ष अब तक नहीं प्रस्तुत किया गया है। ऐसे में आपको आगाह किया जाता है कि इस पूरे प्रकरण पर बीस दिनों के अंदर, आवश्यक कार्रवाई करते हुए, इससे संबंधित आवश्यक रिकार्ड राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष प्रस्तुत करें, अन्यथा सीपीसीआर एक्ट 2005 की सेक्शन 14 के तहत आयोग कार्रवाई करने को बाध्य होगा, जिसमें संबंधित अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति आयोग के समक्ष अनिवार्य हो जायेगी।
दरअसल धनबाद के हास्पिटल कालोनी डूमरा के महेश कुमार ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से शिकायत की थी कि जिला शिक्षा अधीक्षक ने ज्ञापांक संख्या 2336 दिनांक 10.9.2018 के द्वारा डीएवी स्कूल जामाडोबा में निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत बीपीएल कोटे से कक्षा यूकेजी में सात छात्रों का नामांकन करने का आदेश दिया गया था, उसके बावजूद डीएवी स्कूल जामाडोबा ने इन बच्चों का नामांकन नहीं लिया, जिसके कारण बच्चों का भविष्य अंधकारमय है।
महेश कुमार के इस पत्र को संज्ञान में लेते हुए, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने 29 जनवरी को इस संबंध में एक विशेष रिपोर्ट धनबाद के उपायुक्त से मांगी थी, इसके बाद आयोग ने दूसरा रिमांइडर 27 फरवरी को भेजा, तीसरा रिमाइन्डर 26 मार्च को और अब 12 अप्रैल को भेजे पत्र में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक्शन लेने की बात कर दी है। इसके बावजूद भी धनबाद के उपायुक्त राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की बातों को मानते हुए, जवाब देंगे, इसकी संभावना भी कम दिख रही है।
पूर्व में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अपने प्रथम पत्र में निम्निलिखित सवाल धनबाद के उपायुक्त से मांगे थे, जिसका जवाब आज तक धनबाद के उपायुक्त ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, नई दिल्ली को नहीं दिये, वे प्रश्न इस प्रकार है – 1. क्या स्कूल ने सात बच्चों को आरटीइ अधिनियम 2009 की धारा 12(1)(सी) के तहत प्रवेश देने से इनकार किया है? 2. स्कूल में पिछले वर्ष और वर्तमान चल रहे वर्ष में आरटीइ अधिनियम 2009 की धारा 12(1)(सी) के तहत कितने बच्चों का एडमिशन लिया गया है? 3. स्थानीय अधिकारियों द्वारा इस मामले में क्या कदम अब तक उठाए गये हैं?