CM रघुवर के भाषण का गिरता स्तर, झामुमो को “झारखण्ड मुद्रामोचन पार्टी” बताया
जैसे–जैसे मतदान का दिन नजदीक आता जा रहा हैं, वैसे–वैसे मुख्यमंत्री रघुवर दास के भाषण का स्तर भी गिरता जा रहा हैं, कल तक जिस झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में उन्होंने सरकार चलाई, जिन दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय संभाला, उप मुख्यमंत्री रहे, उसी पार्टी को उन्होंने कल नया नाम दे दिया, और एक चुनावी सभा में कह डाला कि झामुमो का मतलब झारखण्ड मुद्रामोचन पार्टी।
आश्चर्य इस बात की भी है कि कभी यहीं भाजपा, दिशोम गुरु शिबू सोरेन को राज्यसभा में भेजने का काम भी की थी, आज वहीं भाजपा शिबू सोरेन और उनकी पार्टी पर ऐसे–ऐसे तोहमत लगा रही हैं कि जैसे लगता है कि उसने शिष्टाचार का श्राद्ध करने की कसम खा ली हैं।
अपने प्रतिद्वंद्वियों को चोर कहना, जानवरों से तुलना कर देना, उनके भाषण में शुमार हो गया है, वे अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ गाली–गलौज भी कर रहे हैं और इसी गाली–गलौज के चक्कर में वे भूल जा रहे हैं कि वे अपने लोगों के लिए भी उन सारे शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं, जिसकी इजाजत उनकी पार्टी भी नहीं देती।
जरा देखिये, जनाब ये कर क्या रहे हैं, गुमला, गढ़वा तथा सिमडेगा की सभा में अपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उन्होंने 56 इंच का बता दिया, यहीं नहीं खूंटी से लड़ रहे अर्जुन मुंडा को जीताने की अपील कर दी, साथ ही यह भी कह डाला की अर्जुन मुंडा जीतेंगे तो रांची का विकास होगा, अब खूंटी की जनता ऐसे लोगों को क्यों जितायेंगी, जो जीते खूंटी से और काम करें रांची का।
दरअसल, जब आप अपने में नहीं होते, तो आप ऐसी ही हरकत करते हैं, आप भूल जाते है कि भाषा संयमित होने से फायदा किसे हैं, पर कहा जाता है कि संस्कार बाजार में नहीं मिलता, वो तो जैसों के साथ, आप रहते हैं, वैसा संस्कार आपका बन जाता हैं। कमाल हैं, भाजपा के स्टार प्रचारक के रुप में प्रचारित मुख्यमंत्री रघुवर दास, कैसे स्टार प्रचारक हैं, वो आम जनता को मालूम हो रहा हैं, और आम जनता भी उनके बातों को, या उनके भाषण को उतना महत्व नहीं देती, क्योंकि वो जानती है कि उनके मुख्यमंत्री के भाषण का स्तर क्या है?