जी बिहार-झारखण्ड का कमाल, हरमू नदी के अस्तित्व पर सवाल और अतिथियों को प्रश्न करने की छूट नहीं
भाई मानना पड़ेगा, एक से एक नमूने पैदा हो रहे हैं, पत्रकारिता जगत में। साथ ही एक से एक नमूने पैदा कर रहे हैं पत्रकारिता एवं जनसंचार संस्थान के नाम से खुलनेवाले व्यापारिक प्रतिष्ठान, जहां से निकलकर आनेवाले कुछ नमूने, हमारे नेताओं से ऐसे–ऐसे सवाल कर रहे हैं, जिससे किसी राज्य की सभ्यता–संस्कृति ही प्रभावित होने लगी है।
कल जी बिहार–झारखण्ड, रांची के स्थानीय होटल में इलेक्शन कॉनक्लेव आयोजित किया था, जिसमें राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता उपस्थित थे, इनके साथ जनता की संख्या तो कम, पर राजनीतिक दलों से संबंधित कार्यकर्ताओं की संख्या अधिक थी, क्योंकि ऐसे कार्यक्रमों में कोई भी संभ्रांत व्यक्ति, जिसको अपनी इज्जत की थोड़ी बहुत भी फिक्र हो, अब जाना पसन्द नहीं करता, क्योंकि वो जानता है कि न तो आजकल पत्रकारिता हो रही हैं और न ही कोई संस्थान इसके लिए प्रतिबद्घ हैं, वो तो इस चुनावी माहौल में भी अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में ज्यादा दिमाग लगाता है।
जरा देखिये, कल जी बिहार–झारखण्ड द्वारा आयोजित इलेक्शन कॉनक्लेव में क्या हुआ? इस चैनल का स्थानीय संपादक, झामुमो विधायक कुणाल षाड़ंगी से रांची की प्रमुख हरमू नदी के अस्तित्व पर ही सवाल उठाते हुए पुछ देता है कि आप जिस नाले या नदी को आप नदी कह रहे हैं क्या उस नदी की आपके पास कोई तस्वीर है? जब कुणाल षाड़ंगी ताल ठोक कर कहते हैं कि हां उसकी तस्वीर है, तो वह प्रत्युत्तर में ऐठ कर बोलता है कि हमलोग भी रांची में ही रह रहे हैं।
इधर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय उक्त स्थानीय संपादक को बड़े ही कूल मूड में उत्तर देते हुए कहते है कि आप नदी का जो तस्वीर मांग रहे हैं, आपको मालूम होना चाहिए कि मैं भी पिछले 40 सालों से रांची में रह रहा हूं तथा उनका संसदीय राजनीति का इतिहास रहा है। नदी का हमेशा क्लीनिंग होता है, उसे छोटा नहीं किया जाता और न ही उसके स्रोत को बंद किया जाता है, होता यह है कि नदी को हमेशा गहरा किया जाता है तथा उसके अंदर भर रहे गाद को समय–समय पर साफ किया जाता है, पर यहां तो ये प्रयास होता नहीं, नदी के नाम पर प्रोजेक्ट तैयार होता है और उसमें शामिल लोग 40 व 50 प्रतिशत का कमीशन लेकर, सारी योजनाओं का सत्यानाश कर देते हैं, ऐसे में नदी, नाला नहीं बनेगी तो और क्या होगा?
कमाल की बात है, जब एक चैनल के स्थानीय संपादक के मुख से ऐसे सवाल निकलते हो, तो हो सकता है कि कल बिहार में जब गंगा के अस्तित्व पर संकट आ जाये, तो कल इसी या किसी और चैनल का स्थानीय संपादक किसी राजनेता से गंगा की तस्वीर मांग बैठे, ऐसे में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को मैं कहुंगा कि वे आज ही गंगा की एक तस्वीर लेकर अपने पास सुरक्षित रख लें, क्योंकि गंगा के अस्तित्व को भी अब खतरा तो हो ही गया है।
कमाल है कल ही इस शो में देखा गया कि प्रश्न पूछ रहे एक प्रश्नकर्ता से उसके माइक छीनने में एक से अधिक लोग लग गये, क्योंकि प्रश्नकर्ता का सवाल बहुत ही गंभीर था, उसने भाजपा नेता से सवाल पूछ डाले कि आखिर पीएम मोदी ने विश्व के कई देशों की यात्राएं की, उससे देश को क्या मिला? साथ ही राज्य में मोंमेंटम झारखण्ड के नाम पर जो हाथी उड़ाया गया, उससे राज्य को क्या फायदा मिला? फिर क्या था? जी बिहार–झारखण्ड के लोग उससे माइक छीनने में लग गये और जैसे ही यह माइक छीनने का दृश्य लोगों ने देखा, लोग वहां से खिसकने लगे, इधर एंकर चिल्ला रहा था, आपलोग बैठिये, अब झारखण्ड के सीएम रघुवर दास कुछ ही मिनटों में पहुंचने ही वाले हैं, पर ये क्या लोग तो काफी निकल चुके थे, शायद उन्हें चैनल के असली रुप–रंग का पता चल गया था।