तो डबल इंजन वाली केन्द्र व राज्य की इस भाजपा सरकार में एक इंजन पूरी तरह से फेल हो गई क्या?
हमारे राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास, किसी भी कार्यक्रम में जाते हैं या चुनावी सभा में भाग लेते हैं, तो बड़े गर्व से ये कहना नहीं भूलते कि राज्य व केन्द्र में डबल इंजन की सरकार हैं, जिसके कारण यहां विकास की गंगा बह रही है, पर सच्चाई ठीक इसके विपरीत है, सीएम रघुवर दास के इतने तेला-बेला करने के बावजूद विकास तो कही दिखता नहीं, उलटे अगर आप किसी गांव या टोले में निकल जाये तो वहां रह रहे लोगों के मुरझाएं चेहरे, राज्य सरकार के विकास की पोल खोलकर रख देते हैं।
आजकल हमारे राज्य के होनहार मुख्यमंत्री इस लोकसभा चुनाव के अवसर पर, चल रहे कुछ चिरकुट टाइप के राष्ट्रीय व राज्यस्तरीय चैनल द्वारा आयोजित इलेक्शन कॉनक्लेव में खूब भाग ले रहे हैं, पर इन कॉनक्लेव में उनके चेहरे पर उड़ रही हवाइयां स्पष्ट कर देती है कि झारखण्ड में बयार भाजपा गठबंधन के अनुकूल नहीं हैं, हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास के आगे, उनसे प्रश्नोत्तर कर रहे एंकर या स्थानीय संपादक उनके चरणों में लोट-पोट होते रहते हैं, फिर भी आसन्न हार की आशंका से वे भयभीत दिखते हैं।
अब जरा देखिये न, एंकर या स्थानीय संपादक कोई ऐसा सवाल नहीं पूछता, जिससे सीएम रघुवर की हृदय की धड़कनें बढ़ जाये या उन्हें प्रश्न का उत्तर देने में दिक्कत हो, किसी-किसी चैनल में प्रश्न कर रहे एंकर की भाव-भंगिमा देखे, तो साफ पता लग जायेगा कि उक्त एंकर को प्रश्न पूछने में कम, सीएम रघुवर के चरणस्पर्श करने, उनसे पी-आर बनाने में ज्यादा दिलचस्पी है, फिर भी सीएम रघुवर के चेहरे पर व्याप्त भय भाजपा के लिए किसी अनिष्ट की संभावना को जन्म दे रहे हैं।
हाल ही में 23 अप्रैल को पीएम मोदी के रोड शो में भाजपा कार्यकर्ताओं पर दिये गये भारी दबाव के बावजूद रांची में वो भीड़ नही दिखाई पड़ी, जिस भीड़ के लिए मोदी जाने जाते हैं, और अब रांची में फिर अमित शाह की प्रस्तावित आम सभा के आयोजन का कार्यक्रम साफ बता देता है कि अब रघुवर दास यानी खुद को दो इंजनों में से एक इंजन घोषित करनेवाले जनाब की इंजन पूरी तरह से फेल हो चुकी है, क्योंकि जनाब अगर फेल नहीं होते, तो फिर पीएम मोदी के रोड शो के बावजूद रांची में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की फिर रैली का आयोजन क्या बता रहा है?
होना तो ये चाहिए था कि जैसे पीएम मोदी पूरे देश में अकेले भाजपा गठबंधन को मजबूती प्रदान करने के लिए निकल पड़े हैं, इन्हें भी पूरे झारखण्ड में अकेले वैसी स्थिति पैदा कर देनी थी, पर इनके हाथी उड़ाने की कला जान चुकी झारखण्ड की जनता, इनसे इतनी प्रसन्न हो गई है कि पिछले कई विधानसभा उप चुनाव में इन्हें हार का स्वाद चखा चुकी है, ऐसे में रघुवर दास को पता है कि वे कितनी भी सभाएं कर लें, हार के सिवा जीत का स्वाद चखना तो दूर, जीत की आवाज भी नहीं सुन पायेंगे।
कुल मिलाकर झारखण्ड में भाजपा की स्थिति मोदी के कारण नहीं बल्कि मोदी की अद्भुत खोज रघुवर दास के कारण बदतर हो गई, ऐसे में राजनीतिक पंडितों का अनुमान है कि भाजपा गठबंधन यहां से मात्र तीन ही सीटें जीत सकती है, जबकि महागठबंधन 11 सीटों पर फिलहाल निर्णायक बढ़त बना चुकी है, इसका मतलब है कि डबल इंजन में से एक इंजन जो राज्य की पूर्णतः खराब हो चुकी है, जिसके सीधे जिम्मेवार राज्य के होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास है, उन्हें इसका अंजाम भुगतने को तैयार रहना चाहिए, साथ ही जनता के भविष्य के निर्णय को शिरोधार्य करने के लिए अभी से ही हिम्मत जुटाने का प्रयास करना प्रारम्भ कर देनी चाहिए।