झूठ बोलने में माहिर राज्य के होनहार CM रघुवर ने जनता को फिर सब्जबाग दिखाया, कहा – 2020 तक हर घर को पानी
मुख्यमंत्री रघुवर दास कल रांची के डुमरदगा पंचायत के सुगनू गांव में थे। वे अपने स्वभावानुसार, वहां खूब दिये जा रहे थे। वे कह रहे थे कि वे राज्य के पहले मुख्यमंत्री हैं, जो इस गांव में पहुंचे हैं। वे जनता के बीच सेना और मोदी के पराक्रम को भी रख रहे थे, बता रहे थे कि कैसे मोदी जी की निर्णय और सेना के पराक्रम से पाकिस्तान की सारी हेकड़ी निकल गई और जब वे ये सब बोल दिये तो चल दिये, जनता की दुखती रग पर हाथ रखने के लिए, और कह दिया कि 2020 तक राज्य के घर–घर तक पानी पहुंच जायेगा।
अब सवाल उठता है कि कहने को तो मुख्यमंत्री बहुत कुछ कहते रहते हैं, फेंकते रहते हैं, उन्होंने करीब ढाई साल पहले तो हाथी भी उड़ाया था, तो क्या सचमुच में हाथी उड़ा या अपने लोगों को इस हाथी उड़ाने के अनोखे फैसले से लाभ पहुंचवाया। साथ ही एक रुपये का भी पूंजी निवेश राज्य में नहीं हुआ। मोमेंटम झारखण्ड के नाम पर जमकर लूट हुई। विपक्ष तो साफ कहता है कि जब वह सत्ता में आयेगा तो वह मोमेंटम झारखण्ड की जांच अवश्य करायेगा।
कहने को तो राज्य के मुख्यमंत्री ने कभी यह भी कहा था कि दिसम्बर 2018 तक अगर उन्होंने 24 घंटे बिजली का प्रबंध नहीं किया, तो वे 2019 में जनता के बीच वोट मांगने नहीं जायेंगे, तो क्या झारखण्ड को 24 घंटे बिजली मिल रही हैं और अगर नहीं मिल रही तो फिर किस मुंह से वे जनता के बीच वोट मांगन जा रहे हैं। राज्य में वर्तमान में बिजली की स्थिति ऐसी है कि जनता यहां ठीक से सो नहीं पा रही।
जब राज्य की जनता को 24 घंटे बिजली नहीं मिल रही है तो आम जनता, उन पर कैसे विश्वास कर लें कि वे जो बोल रहे हैं, वे सही में जमीन पर दिखाई भी पड़ेंगे, क्योंकि ये तो ऐसे व्यक्ति हैं, जो बोलते कुछ और करते कुछ हैं, इस समय वे बोलते फिर रहे हैं, कि जाति–पांति से उपर उठकर मतदान करें, जबकि सच्चाई यह है कि ये खुद अपनी जाति के सम्मेलन में जाकर शान बघारते हैं।
क्या ये सही नहीं हैं कि इन्होंने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए, झारखण्ड, बिहार, महाराष्ट्र व दिल्ली में आयोजित स्वजाति सम्मेलन में भाग लेकर अपनी शेखी बघारी और जब इसी जाति के नाम पर उनके वोट दरकने लगे तो लगे प्रवचन करने, हमें जाति के नाम पर वोट नहीं करना चाहिए, खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास ही कभी गढ़वा में एक जाति विशेष के लोगों पर तीखी टिप्पणी की थी, जिसका विरोध उस वक्त पूरे राज्य के ब्राह्मण समाज ने किया, तथा उन्हें जुबां सम्भालकर बात करने की सलाह दे डाली थी।
सवाल हैं, कि राज्य की जनता आपकी बातों पर विश्वास कैसे करें और क्यों करें, वह भी तब जबकि आपकी सरकार मात्र पांच–छह महीने की मेहमान हो, क्यों न ऐसे में, विधानसभा की वोटिंग का इंतजार करें और आपको सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाते हुए नये लोगों को हाथ में सत्ता सौंपे, ताकि वे वर्तमान व्यवस्था से खुद को मुक्त कर सकें।