बिजली के लिए हाहाकार, नहीं सुनती रघुवर सरकार, BJP की जीत पर ग्रहण लगाने को तैयार बिजली
पूरे राज्य में अभुतपूर्व बिजली संकट है। राज्य का कोई ऐसा कोना नहीं, जहां अंधकार ने अपना कब्जा नहीं जमा लिया है। हर गांव तक बिजली पहुंचाने का दंभ भरनेवाली रघुवर सरकार को इस बात का घमंड है, कि उसने गांव-गांव तक बिजली पहुंचा दिया, पर सच्चाई यह है कि राज्य में बिजली का घोर अभाव है। प्रमुख शहर, धनबाद, रांची, जमशेदपुर, बोकारो, डालटनगंज, चाईबासा ही नहीं बल्कि राज्य का कोई ऐसा इलाका नहीं जहां बिजली के लिए कोहराम नहीं मचा हो।
राज्य सरकार लोकसभा चुनाव में मशगुल है, पर उसे पता नहीं कि राज्य की जनता बिजली के घोर अभाव के कारण, उसे इस बार सबक सिखाने का मूड बना ली है, अब तो बीजेपी समर्थक लोग भी कहते है कि अगर यही स्थिति रही तो उनके पास कमल फूल को छोड़कर, दूसरे चुनाव चिह्नों की ओर बटन दबाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, आखिर बर्दाश्त की भी सीमा होती है। ज्ञातव्य है, कि राज्य का ऊर्जा मंत्रालय मुख्यमंत्री रघुवर दास के ही अधीन है, उसके बावजूद उनका विभाग पूरी तरह से जनता को विद्युत आपूर्ति कराने में पूर्णतः विफल रहा हैं।
राजनीतिक पंडित बताते है कि अगर यहीं हाल रहा तो लोकसभा में भाजपा की विदाई हो ही रही हैं, विधानसभा से भी भाजपा का सफाया हो जायेगा। बिजली संकट से प्रभावित कई संभ्रांत लोगों ने अपनी पीड़ा सोशल साइट पर व्यक्त करना प्रारम्भ कर दिया है, ज्यादातर लोगों का यही कहना है कि आनेवाले समय में उन्हें इस सरकार के पक्ष में वोट करने के लिए दस बार सोचना होगा, ऐसी सरकार जो राज्य की जनता को मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं करा सकें, वैसी सरकार को जनता वोट क्यों करें?
सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं कवि नीरज नीर राजधानी रांची में चल रही अभुतपूर्व बिजली संकट को लेकर सोशल साइट फेसबुक पर लिखते है कि “चुनाव के ऐन पहले जिस तरह रांची में बिजली कट रही है। बीजेपी के आसार अच्छे नहीं दिखते। इन्हें शायद लगता है कि ये चाहे कितनी भी बदइंतजामी कर लें, जनता इन्हीं को वोट देगी। आश्चर्य नहीं, कि सत्ता का मद आंखों पर अहम की पट्टी बांध देता है। कुछ तो शर्म करो लोगों। हम ऐसे राज्य की राजधानी में रहते हैं, जिसके कोयले से समूचे भारत में रोशनी होती है।”
केन्द्रीय कर्मी सुनील बादल बड़े दुखी मन से फेसबुक पर, बिजली को लेकर अपनी पीड़ा लिखते हैं कि “तीन रात से फ्रेंड्स कॉलोनी पंडरा में बिजली गुल रही है। दिन में भी आधे दिन लोड शेडिंग। पिस्का मोड़ एरिया के जेइ और एसडीओ या सब स्टेशन के मोबाइल को बिजी रखने का नायाब तरीका निकाला गया है – एक दूसरे को कॉल करके रख दीजिए। आप जब फोन करिए बिजी बताएगा। एक हफ्ता पहले अखबारों में हेल्पलाइन नंबर में छपे थे, सभी ट्राइ किया। आइवीआरएस भी कुछ देर के बाद कट जाता है। एक साहू जी कोई अधिकारी का नंबर भी हैं, पर वे फोन उठाते नहीं। सुना है क्षति पूर्ति का प्रावधान, यदि आपलोग वो नंबर या प्रक्रिया बता पाएं तो कृपा होगी।”
प्रभात सुरोलिया सोशल साइट पर लिखते है कि “इधर पत्ता खड़का, उधर बिजली भड़की। हर हफ्ते मेंटेनेंस के नाम पर घंटों बिजली गुल रहती है, लाखों का घालमेल होता है फिर भी बिजली नहीं सुधरती।”
झारखण्ड सिविल सोसाइटी से जुड़े आर पी शाही बिजली को लेकर गजब का व्यंग्य प्रस्तुत कर रहे हैं, जरा देखिये, वे कह क्या रहे हैं – “झारखण्ड में बिजली लेने हम गए। एक रहीन सेवक, एक रहीन हाकिम, एक रहीन फत्ते, और एक रहीन हम। सेवक गए बिजली लाने, हाकिम भी गए बिजली लाने, फत्ते भी गए बिजली लाने, हम कहे चलों हम भी लेकर आएं। सेवक लाए एक बिजली, हाकिम लाए दो बिजली, फत्ते लाये तीन बिजली और हमारे पल्ले पड़ा ठेंगा। सेवक गए, हेलिकॉप्टर पर, हाकिम गए हवाई जहाज पर, फत्ते बड़ी गड्डी के कतार पर, हम दिखाते रहे ठेंगा। सेवक बने मालिक, हाकिम बने दरबारी, फत्ते बने भक्त, हम हिलाते रह गए ठेंगा।”
बहुत ही सुंदर व वास्तविकता को दिखाती प्रस्तुति