भाजपा के दिग्गज नेताओं की सभा में नहीं दिख रही आम जनता, महागठबंधन की रैली में लोग ले रहे रुचि
अब मात्र दो चरण के चुनाव शेष बचे हैं, और एनडीए तथा महागठबंधन के बड़े-बड़े नेता अत्यधिक सीटों पर कब्जा जमाने के लिए जनता को अपनी ओर आकर्षित करने मे लगे हैं, कांग्रेस के बड़े नेताओं में सिर्फ राहुल गांधी शामिल हैं तो भाजपा की ओर से पीएम नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी आदि नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया है, आश्चर्य इस बात की है कि जिस झारखण्ड में कभी भाजपा की तू-ती बोलती थी, आज वहां महागठबंधन का जादू चल रहा है, और इसका मुख्य श्रेय जाता है झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के नेताओं को, जिन्होंने इस महागठबंधन को मजबूती देने में मुख्य भूमिका निभाई।
कल धनबाद में कांग्रेस के राहुल गांधी का रोड शो था, जबकि झरिया में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की सभा थी, अगर सभा और रोड शो की बात करें, तो राहुल गांधी का रोड शो, राजनाथ सिंह की सभा पर भारी पड़ गया, जो उत्साह व जोश राहुल के रोड शो में दिखाई पड़ा, वो राजनाथ सिंह की सभा में गायब था। कल ही तोपचांची में नितिन गडकरी की सभा थी, पर वो कमाल नहीं दिखा सकी, जो एक दो दिन पहले बाघमारा में हेमन्त सोरेन ने अपनी सभा करके दिखा दी थी।
सूत्र बताते है कि जमशेदपुर के आदित्यपुर फुटबॉल मैदान में कल राजनाथ सिंह की सभा थी, जहां राजनाथ सिंह अपने प्रत्याशी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा के पक्ष में प्रचार करने आये थे, वहां भी इनकी सभा में एक हजार से ज्यादा की भीड़ नहीं थी, उसमें भी भाजपा कार्यकर्ताओं और उनके समर्थकों की संख्या ही ज्यादा थी, आम जनता ने खुद को इस सभा से किनारा कर लिया, अब सवाल उठता है कि क्या राजनाथ सिंह यहां अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करने आये थे।
लोग कहते है कि अगर भीड़ ही पैमाना है, तो समझ लीजिये जमशेदपुर, चाईबासा, गिरिडीह, गोड्डा में महागठबंधन की स्थिति इतनी मजबूत हो गई है कि उसे उखाड़ पाना अब भाजपा के बूते के बाहर है। अगर राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को छोड़कर, राज्य स्तरीय नेताओं की बात करें, तो महागठबंधन में हेमन्त सोरेन और झाविमो में बाबू लाल मरांडी को छोड़कर कोई ऐसा नेता आज की डेट में नहीं है, जो भीड़ जुटा सकें। कांग्रेस में तो एक भी नेता नहीं है, जिसको सुनने के लिए लोग आ सकें, यही हाल राष्ट्रीय जनता दल और वाम नेताओं की ओर से है।
इधर देखने में आ रहा है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास की सभा से भी लोग अब दूरियां बनाते चले जा रहे हैं, जबकि इसके विपरीत हेमन्त सोरेन में आम जनता स्वयं रुचि लेकर आ रही हैं। मुख्यमंत्री रघुवर दास की सभा में देखे, तो ज्यादातर भाजपा कार्यकर्ता तथा वे लोग दिखाई पड़ेंगे, जिन्होंने किसी न किसी प्रकार से भाजपा शासन का लाभ लिया है, जबकि इसके विपरीत झामुमो की सभा या महागठबंधन की सभा में वे लोग शामिल हो रहे हैं, जिन्होंने प्रण कर लिया है कि इस बार केन्द्र में बदलाव ले आना है, यहीं प्रण भाजपा कार्यकर्ताओं और उनके नेताओं पर भारी पड़ जा रहा है।
उदाहरणस्वरुप आप स्वयं देखे, कल की ही बात है, जमशेदपुर के बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री रघुवर दास और हेमन्त सोरेन की भी सभा थी, मुख्यमंत्री रघुवर दास की सभा में कार्यकर्ताओं की भीड़ थी, तो हेमन्त सोरेन की सभा में आम जनता ने मोर्चा संभाला, दोनों तस्वीर आपके समक्ष रख रहा हूं, आप स्वयं निर्णय करें कि किसकी सभा में कैसी रौनक दिख रही है, कहां की भीड़ सर्वाधिक हैं और कहां की कम।
एक भाजपा की सभा हैं, जिसमें मुख्यमंत्री शामिल हुए, ये सभा डेढ़ बजे बहरागोड़ा प्रखण्ड में हुई और दूसरी हेमन्त सोरेन की सभा है जो केदुकोचा चाकुलिया प्रखण्ड में हुई, दोनों बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है और भीड़ साफ कह रहा है कि उसे रघुवर दास की अपेक्षा हेमन्त सोरेन कुछ ज्यादा ही पसन्द हैं, शायद इन कारणों को भाजपा के शीर्षस्थ नेता ढूंढने में असफल रहे हैं, आज भी शीर्षस्थ नेता जब सभा करने आ रहे हैं तो वे खुलकर, रघुवर सरकार की प्रशंसा करने में लगे है, जिसे जनता कुछ ज्यादा ही चिढ़ जा रही हैं और ले-देकर जिनका मूड नहीं भी महागठबंधन को वोट देने का हैं, वे भी महागठबंधन की ओर ससर जा रहे हैं और भाजपाइयों को समझ ही नहीं आ रहा।
यानी कुल मिलाकर देखे तो साफ लगता है कि 12 और 19 मई को होनेवाले आम चुनाव में महागठबंधन और खासकर झामुमो ने भाजपा और उसके गठबंधन की खटिया खड़ी कर दी है। विधानसभा चुनाव में तो लगता है कि भाजपा के नाम सुनते ही लोग भड़क जायेंगे, आखिर ऐसा क्यों, तो बस ज्यादा कुछ करने की नहीं, आम जनता से पूछ लीजिये, वो यहीं कहेगा कि हाथी उड़ता नहीं हैं, वो यहीं कहेगा कि झारखण्ड में झूठ बोलनेवाला हमें मुख्यमंत्री नहीं चाहिए, जो कहे कुछ और करे कुछ, ज्यादा जानकारी के लिए बिजली पर दिया गया मुख्यमंत्री रघुवर दास का एक बयान ही काफी है।