जिंदगी मौत न बन जाये जमशेदपुरवालों, पत्थरबाजों का टेटूआं पकड़िएं और कानून के तहत उन्हें सजा दिलवाइये
पूरे झारखण्ड में शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न हो रहे हैं, खुद जमशेदपुर में भी शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न हो रहे हैं, पर जमशेदपुर के छोटे से इलाके जुगसलाई में कुछ मुट्ठी भर, असामाजिक तत्वों ने ऐसी आग फैलाई कि जमशेदपुर पर एक दाग लग गया, बड़े शर्म की बात है कि एक मतदान केन्द्र पर पोलिंग एजेन्टों के बीच हुई कहा-सुनी, बाहर आकर दो गुटों में पत्थरबाजी तक पहुंच गई, दरअसल इतने पत्थर कहां से आ जाते हैं, पत्थरबाजों के पास जो एक दूसरे को देख लेने का काम करते हैं।
कल की घटना में एक जवान का सर भी फूटा है, जबकि एक भी पत्थरबाज इस पत्थरबाजी का शिकार नहीं हुआ। स्थानीय प्रशासन की बात करें तो वह स्वीकारता है कि इस सिलसिले में चार लोगों की गिरफ्तारी हुई है, पर उन पर कानूनी शिकंजा कसेगा भी या नहीं, इस पर उनका जवाब संतोषजनक नहीं है, जबकि सामान्य लोग इस घटना से सहमे हुए हैं।
जमशेदपुर में जो भी शांतिप्रिय लोग हैं, निश्चय ही वे कल की घटना से दुखी हुए होंगे, पर जो पत्थरबाज हैं, लगता है कि उन्होंने अपनी मन की करने की जो ठानी थी, उसे पूरा कर दिखाया, उन्हें लगता है कि अब वे जब चाहे पत्थरबाजी कर माहौल बिगाड़ सकते हैं, तथा अमन-चैन पसंदों को अपना शिकार बना सकते हैं, जरा बताइये किसी के घर पर पत्थर फेंकना, उनके मकानों के शीशे को क्षतिग्रस्त करना, उनके वाहनों को क्षतिग्रस्त करना, पुलिस पर पत्थर फेंकना इन लोगों ने कहां से सीखा।
बताया जाता है कि जिन इलाकों में यह घटना घटी, उसमें एक खास समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदायों को अपनी बर्बरता का निशाना बनाया और इनमें ज्यादा नाबालिगों की संख्या थी, अब सवाल उठता है कि इन नाबालिगों के हाथों में पत्थर किसने थमाया, किसने इन्हें हिंसक बनाने का प्रशिक्षण दिया, इन सवालों के जवाब स्थानीय प्रशासन को देना चाहिए, क्योंकि जब तक पर्दे के पीछे बैठे ऐसे घटियास्तर के राक्षसों को निकालकर कानूनन सजा नहीं दिलवायेंगे, ये पत्थरबाजी नहीं रुकेगी, चलता रहेगा, आज कोई और इसका शिकार हुआ, कल कोई और होगा।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, जुगसलाई के एमईस्कूल रोड स्थित संत जॉन स्कूल मतदान केन्द्र में बोगस वोटिंग को लेकर झड़प हुई थी, जिसमें पुलिसिया कार्रवाई भी की गई, जैसे ही इस बात की जानकारी मिली, झामुमो प्रत्याशी चम्पई सोरेन भी वहां पहुंचे, मामले को देखा और चलते बने, और ठीक इसके तुरन्त बाद झामुमो के हिदायत खान अपने समर्थकों के साथ वहां आये और चलते बने, फिर उसके बाद जो हुआ, वो जगजाहिर हैं, जमकर पुलिसकर्मियों पर पथराव शुरु हो गया। जिसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया।
दरअसल पत्थरबाजों ने एक तरह से पुलिसकर्मियों और जमशेदपुर के शांतिप्रिय लोगों को चुनौती दे डाली है कि वे उनके रहमोकरम पर जमशेदपुर में हैं, इसलिए उनके इशारों पर चलें, वे जो चाहते हैं करें, तभी वे चैन से रह सकते हैं, ऐसे में जो भी कानून के रास्ते चलनेवाले लोग हैं, उन्हें आज ही कमर कसना होगा कि वे किस प्रकार का जमशेदपुर चाहते हैं, पत्थरबाजों का या कानून के राज का, क्योंकि जब तक इन शैतानों के फण को नहीं कुचलेंगे, ये शैतान आपको चैन से रहने नहीं देंगे, क्योंकि जिन बातों के लिए पत्थरबाजों ने कानून को अपने हाथों में लिया, उन बातों के लिए तो इस प्रकार के वारदातों की कोई जगह ही नहीं।
खो रहा चैन-ओ-अमन
मुश्किलों में है वतन.
संभालो यारों.