देवघर में भाजपा भक्ति में डूबा प्रभात खबर, महागठबंधन को अपने समाचार के लिए रगड़ना पड़ रहा नाक
भाई झारखण्ड में गजब की पत्रकारिता हो रही हैं, अगर यही पत्रकारिता है तो भगवान ऐसी पत्रकारिता से झारखण्ड को बचायें, नहीं तो आनेवाले समय में विभिन्न राजनीतिक दलों के जमीन से जुड़े हुए कार्यकर्ता यहां के पत्रकारों को मुंह देखना तक पसन्द नही करेंगे। जरा देखिये, झारखण्ड के एक छोटे से इलाके में क्या हो रहा हैं? देवघर गोड्डा लोकसभा में पड़ता हैं, और इसी देवघर में विराजते हैं, बाबा वैद्यनाथ, जो यहां योगी के रुप में विद्यमान है, यह स्थान द्वादशज्योतिर्लिंगों में से एक हैं, तथा रावण के द्वारा स्थापित होने के कारण रावणेश्वर के नाम से जाने जाते हैं।
फिलहाल लोकसभा चुनाव का प्रभाव इस इलाके पर भी हैं, यहां से भाजपा से निशिकांत दूबे तथा झारखण्ड विकास मोर्चा से प्रदीप यादव चुनाव लड़ रहे हैं, भाजपा के निशिकांत को आजसू का समर्थन प्राप्त है, जबकि झाविमो के प्रदीप यादव को राजद, कांग्रेस, झामुमो तथा अन्य वामपंथी संगठनों का समर्थन प्राप्त हैं। सच्चाई यह है कि गोड्डा में महागठबंधन के प्रत्याशी प्रदीप यादव का इस बार पलड़ा भारी है।
क्योंकि उन्हें यादवों, मुस्लिमों, आदिवासियों का जोरदार समर्थन मिला हुआ है, इस बार कांग्रेस का भी समर्थन मिल जाने से स्थिति इनके अनुकूल हैं, पर प्रभात खबर अखबार देखिये तो वह इस प्रकार अपने अखबार को यहां प्रस्तुत कर रहा हैं कि पूरा माहौल ही भाजपामय हैं, और यहां से जब भी कोई जीतेगा, तो वे भाजपा के निशिकांत दूबे ही जीतेंगे।
15 मई को देवघर में पीएम मोदी का कार्यक्रम था, जिसे देखते हुए अपने स्वभावानुसार प्रभात खबर ने 16 मई को अपना पूरा अखबार ही एक तरह से मोदी रंग में रंग दिया। जरा देखिये देवघर से प्रकाशित प्रभात खबर को, इसने जैकेट का पृष्ठ भाग, पृष्ठ संख्या एक, पृष्ठ संख्या दो, पृष्ठ संख्या तीन यानी पूरा चार पेज और बाकी के अन्दर के पृष्ठों में भी भाजपा के अन्य नेताओं से संबंधित फोटो के साथ समाचारों को स्थान देकर, उक्त दिन के अखबार को पीएम मोदी के चरणकमलों में भेंट कर दिया तथा पृष्ठ संख्या सात पर एक छोटा सा न्यूज हेमन्त सोरेन तथा उनकी पार्टी के प्रेस कांफ्रेस के समाचार को स्थान देकर अपनी पत्रकारिता की इतिश्री कर ली।
अब जरा आज यानी 17 मई का देवघर से प्रकाशित प्रभात खबर को देखिये। जैकेट यानी मुख्यपृष्ठ पर निशिकांत दूबे का विज्ञापन है और जैकेट के पीछे वाले भाग पर आधा पृष्ठ निशिकांत दूबे की पदयात्रा को समर्पित कर दिया गया है। जिस समाचार को देखकर एक अंधा व्यक्ति भी समझ जायेगा कि इस समाचार के द्वारा निशिकांत दूबे की आरती उतारी गई हैं, इससे ज्यादा मैं क्या बताऊं, आप खुद इस अखबार के कटिंग को देख लीजिये, पता लग जायेगा।
जबकि कल ही महागठबंधन की ओर से भी रोड शो का आयोजन किया गया था, जिसकी खबर मात्र चार कॉलम में, वह भी पेज नं. चार पर देकर इतिश्री कर दिया गया, यहीं नहीं इस खबर के साथ भी अन्याय किया गया। जरा देखिये क्या समाचार छापा है “आखिर गोड्डा क्यों नहीं आ रहे हैं महागठबंधन के बड़े नेता” अखबार बॉक्स देकर लिखता है इन नेताओं ने किया सिर्फ प्रेस कांफ्रेस सुबोधकांत सहाय, तारिक अनवर, गौतम सागर राणा व कीर्ति आजाद।
अखबार लिखता है ये नेता नहीं आये प्रदेश अध्यक्ष डा. अजय कुमार, प्रदीप बलमुचू, सुखदेव भगत, मनोज यादव, गीता कोड़ा सहित झारखण्ड के अन्य बडे नेता नहीं आये, इसी तरह झामुमो या राजद के कोई बड़े नेता नहीं पहुंचे, अब सवाल उठता है कि प्रभात खबर के अनुसार अगर ये सारे नेता आ जाते तो मान लिया जाता कि बड़े नेता आ गये, और क्या सचमुच अब अखबार डिसाइड करेगा कि कौन बड़ा नेता हैं या कौन छोटा, हद हो गई।
जबकि खुद ही लिखता है कि गुलाम नबी आजाद ने सोनारायठाढ़ी और हेमन्त सोरेन ने बाबूलाल मरांडी के साथ मोहनपुर व ठाकुरगंगटी में सभा की, और जब झारखण्ड के बड़े नेता व राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ही पूरे इलाके को अकेले संभाल रहे हो तो फिर इनके आगे और नेताओं की क्या जरुरत? ऐसे भी यहां से झाविमो प्रत्याशी लड़ रहा हैं, कोई जरुरी भी नहीं कि महागठबंधन के समर्थन होने के कारण सभी दलों के नेता यहां पर आकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा ही दें।
इससे साफ होता है कि प्रभात खबर ने झाविमो प्रत्याशी के इमेज को प्रभावित करने की कोशिश की और जनता को ये भरमाने की कोशिश की कि यहां माहौल भाजपा के पक्ष में हैं न कि झाविमो के पक्ष में और ऐसे भी जो झारखण्ड की राजनीति को जानता है, वह क्या नहीं जानता कि इस अखबार ने जिन्हें बड़ा नेता माना है, उनकी झारखण्ड में औकात क्या है? समाचार में एक जगह यह अखबार लिखता है कि कहीं प्रदीप यादव पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप के कारण शीर्ष नेताओं ने उनसे किनारा तो नहीं कर लिया।
यानी इस समाचार को बड़े ही ढंग से बनाकर जनता के सामने रखा गया, जबकि सभी जानते है कि चुनावी मौसम में इस प्रकार के आरोप विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता दूसरे यानी अपने प्रतिद्वंद्वियों के इमेज को खराब करने के लिए लगाते हैं, साथ ही इस मामले की अभी जांच भी चल रही हैं, और ऐसे भी भाजपा में भी कई ऐसे नेता हैं, जिन पर यौन उत्पीड़न के आरोप हैं, जैसे धनबाद भाजपा की जिला मंत्री कमला कुमारी ने भाजपा के ही विधायक व सीएम रघुवर के अतिप्रिय ढूलू महतो पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया हैं, पर उसकी प्राथमिकी नहीं दर्ज की जा रही, क्योंकि राज्य में भाजपा की सरकार हैं और प्रत्येक पुलिस पदाधिकारियों को लगता है कि भाजपा के नेताओं को बचाने का उनका जन्मसिद्ध अधिकार है।
अब सवाल उठता है कि क्या जो विज्ञापन देगा, उसके समाचार को प्राथमिकता के आधार पर और वह भी उसकी आरती उतारते हुए समाचार प्रकाशित की जायेगी और जो विज्ञापन देने की स्थिति में नहीं होगा, उसकी इमेज खराब करने के लिए नाना प्रकार के हथकंडे अपनाये जायेंगे, उनके समाचारों को छोटा करके जनता के बीच रखा जायेगा, अगर ऐसा हैं तो आप को कोई अधिकार नहीं कि आप अपना ध्येय वाक्य “अखबार नहीं आंदोलन” रखे। जनता को भी जागरुक होना होगा, केवल पांच रुपये देकर अखबार खरीदने के चलन को बंद करना होगा, उन्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि कोई अखबार उनकी भावनाओं के साथ खेल तो नहीं रहा और अगर ऐसा हैं तो वहां के उक्त अखबार के प्रबंधन को कहिये कि उन्हें आपकी ये घटियास्तर की पत्रकारिता पसन्द नहीं।