अगर प्रदीप MP बनने लायक नहीं तो फिर गोड्डा में आग लगानेवाला निशिकांत सांसद कैसे हो सकता है?
“वह अपने प्रतिद्वंद्वी के लिए तुम-ताम शब्द का प्रयोग करता है। वह अपने प्रतिद्वंद्वी को बलात्कारी कहता हैं, वह भी तब जबकि अभी अदालत ने उसे सजा नहीं सुनाई हैं, अभी उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, और मामले की जांच चल रही हैं। वह अपने प्रतिद्वंद्वी को खूलेआम चुनौती देता है कि वह उसे जेल भेजवा देगा, दुनिया की कोई ताकत उसे ऐसा करने से नहीं रोक सकती, और अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह गोड्डा में 23 के बाद आग लगा देगा” यह भाषा है भाजपा के कथित तेजतर्रार नेता व गोड्डा से भाजपा के निर्वतमान सांसद निशिकांत दूबे का।
यह नई भाजपा है, श्यामाप्रसाद मुखर्जी और पं. दीन दयाल उपाध्याय के बाद अटल-आडवाणी का दौर कब का समाप्त हो गया हैं, और वर्तमान में मोदी-शाह की जोड़ी चल रही हैं, तो ऐसे में नये किस्म के लोग भाजपा से जुड़े हैं जो अपने प्रतिद्वद्वियों के लिए या आम जनता के लिए किस भाषा का प्रयोग करते हैं, आपके सामने हैं और आश्चर्य है कि भाजपा के लोग इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते, पर लगता है कि जनता इस बार मूड में आ गई हैं और ऐसे लोगों को लगता है कि 19 मई को सबक भी सिखा देगी। यह किसी को मुगालते में नहीं रहना चाहिए।
निशिकांत दूबे 15 मई को पीएम मोदी के मंच से दहाड़ते हुए कहते है कि प्रदीप यादव पर यौन शोषण का आरोप लगानेवाली, उन्हीं की पार्टी की एक प्रवक्ता है, पर वे भूल जाते है कि देवघर से मात्र 150 किलोमीटर की दूरी पर बाघमारा विधानसभा में एक भाजपा विधायक ढुलू महतो हैं, जिस पर इसी प्रकार का आरोप भाजपा की ही जिला मंत्री कमला कुमारी ने लगाया हैं, पर उस ढुलू के खिलाफ अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं होने दिया गया, आखिर क्यों? इसका क्या जवाब हैं निशिकांत दूबे के पास या उनके मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास।
ये तो वहीं बात हो गई कि देवघर या राज्य के अन्य किसी कोने में अगर भाजपा को छोड़ कोई अन्य दलों के नेताओं पर यौन शोषण का आरोप लगे, तो प्राथमिकी दर्ज करा दी जाये और भाजपा के किसी नेता या विधायक या सांसद पर इस प्रकार का घिनौना आरोप लगे, तो उसके खिलाफ प्राथमिकी ही दर्ज न हो, चाहे आरोप लगानेवाली पार्टी के अंदर पदधारी कोई महिला ही क्यों न हो? ये तो साफ बता रहा है कि किसी को भी फंसाने के लिए राज्य की सत्ताधारी पार्टी कुछ भी कर सकती हैं और अपनों को बचाने के लिए, अपनी पार्टी के अंदर रह रही महिलाओं के सपनों को बेदर्दी के साथ कुचल कर भी रख सकती है।
विद्रोही24.कॉम के पास, निशिकांत दूबे की विडियो हैं, जो वायरल होते-होते उसके पास पहुंची है, ये भाषण सुनकर भीड़ भी उन्मादित हैं, और खुब तालियां बजा रही हैं, चूंकि भीड़-भीड़ होती हैं, उसका एक अपना चरित्र होता हैं, पर जैसे ही यह भाषण गांव-गिरांव पहुंचा तो लोगों ने बड़े ही धैर्य से इस विडियो को सुनकर, अपना दिमाग लगा रहे हैं कि क्या ऐसे लोगों को सांसद बनायेंगे जो गोड्डा को ही आग में झोक देने की बात करता हैं, क्या सचमुच ऐसा व्यक्ति सांसद बनने लायक हैं, जो ये कहता है कि उसे मालूम होता कि यह यौन शोषण की घटना 20 तारीख की है, तो 29 तारीख तक ऐसा माहौल बना देता कि प्रदीप यादव नोमिनेशन करने लायक तक नहीं रहते, ये अहंकार की भाषा भाजपा के लोगों ने कब और कैसे सीख लिया?
अब तो सचमुच पूरे देश की जनता की नजर गोड्डा पर हो गई हैं कि वो किसे चुनती है, उसे जिस पर यौन शोषण का आरोप हैं, उन पर लगे आरोपों की जांच चल रही हैं, या उस पार्टी के लोगों को चुनेगी, जिस पार्टी के लोग अपने नेताओं पर लगे यौन शोषण के आरोपियों को बचाने के लिए एड़ी-चोटी एक कर देती हैं, जिस पार्टी की धनबाद की जिला मंत्री भाजपा के ही विधायक ढुलू महतो के खिलाफ यौन-शोषण का प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए दर-दर भटक रही हैं, पर कोई उसकी सुन नहीं रहा, ऐसे लोगों को चुनेगी जो कानून को हाथ में लेने की बात कहता हैं, आग लगाने की बात करता हैं, भीड़ को अपने पक्ष में करने के लिए उन्मादित भाषा का प्रयोग करता हैं?