सासु से वैरी पुतोहू से नाता, फूट गइल किस्मत भाजपा के विधाता, सभी 14 सीटों पर BJP की फजीहत तय
भाजपा के तथाकथित लोग, जिनको जनता जानती तक नहीं, अगर ये भाषण देने खड़े हो जाये तो जनता इनके भाषण को छोड़ सब्जी लाने चल दें। चाय की दुकान तक, जिस नेता को लोग बैठने न दें। वे भाजपा के बड़े नेता बनकर गेरुवाधारी बने हुए हैं, माथे बड़का-बड़का लाल चंदन घिसे जा रहे हैं, लेकिन जिसका जनाधार हैं, जिसके नाम पर मोदी मिशन बना हुआ है, जिसके कार्यकर्ता बिना किसी सहयोग के ही मोदी-मोदी चिल्लाते रहे हैं, उनको इन भाजपाइयों ने इस चुनाव के अंतिम-अंतिम दिन तक पूछने की भी जरुरत तक नहीं समझी।
यहीं नहीं भाजपा के द्वारा चलाई जा रही विशेष चुनावी अभियान तक में इन भाजपाइयों ने मोदी मिशन से दूरियां बना ली, जिसका प्रभाव यह पड़ा, जो भी लोग पीएम मोदी की लोकप्रियता से इससे जुड़े थे, वे लोग स्वयं को छला हुआ महसूस किये, और लगता है कि इन लोगों ने भी भाजपा के इन टूटपूंजिये नेताओं को सबक सिखाने की एक तरह से कसमें खा ली।
मोदी मिशन से जुड़े एक कार्यकर्ता ने विद्रोही24.कॉम को बताया कि हमलोग किसी भाजपा के नेताओं से पैसे थोड़े ही मांग हैं, हां सम्मान तो चाहिए ही, क्या किसी भाजपा के बड़े नेता या राज्यस्तरीय नेताओं ने मोदी मिशन के कार्यकर्ताओं की सुध ली और जब सुध नहीं ली तो हम क्यों इनके आगे-आगे दौड़ते जाये, जो बन पड़ा मोदी जी के लिए किये और रही बात विधानसभा चुनाव की तो हमलोग दिखा देंगे कि हमारी औकात क्या है?
ये तो चुनाव मोदी जी के नाम पर हो रहा था, और हमलोग मोदी जी के सिपाही हैं तो इस बार की मेहनत मोदी को समर्पित और अगली बार रघुवर मिशन पर हमलोग थोड़े ही रहेंगे, ये कान खोलकर वर्तमान भाजपा के जो कथित पदाधिकारी हैं सुन लें, अब क्या पांच-छह महीने के बाद तो राज्य में विधानसभा चुनाव ही हैं।
मोदी मिशन से जुड़े ही कार्यकर्ताओं का समूह विद्रोही 24.कॉम को बताता है कि एक पार्टी हैं लोकजनशक्ति पार्टी, जिसका कई जिलों में तो जिलाध्यक्ष भी नहीं, उस पार्टी का नेता इन भाजपाइयों के पास जाता हैं और उसकी बड़ी खातिरदारी होती हैं, वह मंच पर सुशोभित होता हैं, वह भाषण देता हैं, सीएम हाउस में बिना रोक-टोक के चला जाता हैं, उसके आगे ये लोग नतमस्तक होते हैं।
पर मिशन मोदी के कार्यकर्ताओं को तो छोड़ दीजिये, मोदी मिशन के अधिकारियों से ये भाजपा के लोग सीधी मुंह बात नहीं करते, उसके बावजूद मोदी मिशन के नेताओं-कार्यकर्ताओं का मोदी जी के प्रति इनकी भक्ति देखते बनती हैं, पर जरा इन भाजपाइयों से पूछिये कि क्या तुमने कभी मोदी मिशन के अधिकारियों से मिलकर, बैठकें की, कि वे अपनी ओर से क्या कर रहे हैं, इस चुनाव में।
ले-देकर मोदी मिशन के अधिकारियों व कार्यकर्ताओं का गुस्सा इस चुनाव पर साफ पड़ता दिख रहा हैं, हो सकता है कि विधानसभा में मोदी-मिशन से जुड़े लोग, कहीं भाजपा में मिल रहे अपमान को देखकर किसी दूसरे दल में न शामिल हो जाये, अगर ऐसा होता हैं तो भाजपा के लिए डूब मरने की बात होगी, क्योंकि तब जिस दल में ये मोदी-मिशन के लोग शामिल होंगे, उसका वे दल किस प्रकार इस मुद्दे को भंजायेंगे, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती।