तो क्या पीटीआइ के संवाददाता ने रांची और वाराणसी दोनों जगहों पर मताधिकार का प्रयोग किया?
नीचे दिये गये इन फोटो को ध्यान से देखिये, मीडिया के लोगों ने इन फोटो को लिया और अपने अखबारों में स्थान दिया। क्रमानुसार ये फोटो हैं पहला – प्रकाश सिंह बादल (भटिंडा), दूसरा – अमरिन्दर सिंह (पटियाला), तीसरा – नवजोत सिंह सिद्धु(अमृतसर), चौथा – शत्रुघ्न सिन्हा (पटना साहिब), पांचवां – योगी आदित्यनाथ (गोरखपुर),छठा – हरसिमरत कौर (भटिंडा) और सातवां – मुरली मनोहर जोशी (वाराणसी) का। ये सारे फोटो 19 मई को संपन्न हुए मतदान के हैं, जिसमें इन सभी प्रमुख लोगों ने हाथ की एक अंगुली में लगी इंक को दिखा रहे हैं, जो बता रहा है कि उन्होंने अपने मताधिकार का प्रयोग अपने-अपने मतदान केन्द्रों पर जाकर किया।
भारत निर्वाचन आयोग भारत के सभी मतदाताओं को अपने- अपने निर्वाचन क्षेत्रों में एक बार वोट देने का अधिकार प्रदान करता हैं, और अगर आप एक वोट के अलावे दूसरे अन्यत्र स्थानों पर वोट देने की गलती करते हैं, तो उसके लिए दंड व सजा का भी प्रावधान हैं, पर अपने देश में कुछ लोग ऐसे हैं, जो भारत निर्वाचन आयोग की बातों को ही हवा में उड़ा देते हैं, उन्हें लगता है कि वे कुछ भी कर सकते हैं, क्योंकि वे कानून से उपर हैं।
आश्चर्य इस बात की है कि ऐसे लोग खूलेआम अपनी गलतियों का सोशल साइट पर प्रदर्शन भी करते हैं, और बहुत सारे लोग उन्हें लाइक भी करते हैं, यहीं नहीं ऐसे लोगों को बड़े-बड़े अधिकारी सम्मान भी करते हैं, तथा उन्हें बड़े-बड़े पदों पर नियुक्त भी करते हैं, अब सवाल उठता है कि क्या ऐसे लोगों को सम्मान या पद देने से राज्य या देश का भला होगा, या गर्त में जायेगा।
ताजा मामला, रांची के ही एक पत्रकार इंदुकांत दीक्षित का हैं, जो पीटीआई का संवाददाता है, जिन्हें हाल ही में रांची प्रेस क्लब ने एक साल के लिए प्रेस क्लब से निलंबित किया है, जिन पर रांची के ही जिला निर्वाची पदाधिकारी सह उपायुक्त की विशेष कृपा होती है, और इसी कृपा के कारण उन्हें पेड न्यूज के लिए बनाई गयी जिला कमेटी में सदस्य भी बना दिया जाता है, अब बात यहां आती है कि क्या यहां के जिला निर्वाची पदाधिकारी सह उपायुक्त रांची, इंदुकात दीक्षित से संबंधित इस घटना की उचित जांच करायेंगे?
जरा इस फोटो को देखिये जो नीचे दिया गया है, ये हैं रांची के जिला निर्वाची पदाधिकारी सह उपायुक्त महिमापत रे के खासमखास मित्र व पत्रकार इंदुकांत दीक्षित जिन्होंने अपने फेसबुक पर ये फोटो डाली हैं, और उपर में स्वयं ही लिखा है, “लोकतंत्र के मंदिर में वाराणसी के मित्रों के साथ”, ये अपने फोटो में इंक लगा हुआ अंगूली भी दिखा रहे हैं।
क्या इससे साफ जाहिर नहीं होता कि वे बताने की कोशिश कर रहे हैं, कि उन्होंने 19 मई को वाराणसी में अपने मित्रों के साथ मताधिकार का प्रयोग किया? यहीं नहीं, वे इस प्रकार के फोटों को ताल ठोककर उसे सोशल साइट फेसबुक पर पोस्ट भी करते हैं। वे आगे बढ़कर एक कटआउट में खुद को पेश कर ये भी दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि “वोट फोर काशी, चलो सब साथ चलेंगे, अपना मतदान करेंगे।”
और अब ये छह मई का उनके द्वारा फेसबुक पर अपलोड किया गया फोटो देखिये, जिसमें वे साफ दिख रहे हैं कि वोट करने के लिए, रांची के एक मतदान केन्द्र पर अपनी पत्नी के साथ पंक्तिबद्ध है। साथ ही उन्होंने उपर में लिखा है “पहले मतदान फिर जलपान, लोकतंत्र का पर्व अपने चरम पर, सुबह-सुबह ही हमने भी वोट दिया और अहले सुबह चाईबासा में प्रधानमंत्री की सभा के लिए निकल गया… नमस्कार।”
यानी एक ही व्यक्ति रांची में छः मई को मतदान कर रहा है और फिर 19 मई को वाराणसी में अपने मित्रों के साथ लोकतंत्र के मंदिर में जाकर हाथ में लगी हुई मतदान की इंक भी दिखा रहा हैं, इससे क्या यह जाहिर नही होता कि उसने 17वीं लोकसभा के लिए दो – दो लोकसभा क्षेत्रों में अलग-अलग मतदान किये? क्या रांची के जिला निर्वाची पदाधिकारी सह उपायुक्त स्वयं के द्वारा बनाई गई पेड न्यूज के इस सदस्य की गतिविधियों की जांच करायेंगे, या इसे भी ऐसे ही छोड़ देंगे।
क्या इनके द्वारा कराई जानेवाली सारी जांच भाजपा को छोड़कर, अन्य दलों के लिए बनी हैं? अच्छा रहता कि वे इस प्रकरण की एक कमेटी बनवाकर जांच करायें तथा एक सही नजीर जनता के बीच पेश करें, ताकि लोगों को कानून पर एवं निर्वाची पदाधिकारियों पर विश्वास बरकरार रहें, नहीं तो जनता के बीच में जो रांची जिला प्रशासन की छवि है, वो किसी से छुपा नहीं हैं।
डबल पावर वोट..।।