जरा कल्पना कीजिये, अगर कल पीएम नरेन्द्र मोदी को जनादेश नहीं मिला तो क्या होगा?
कभी– कभी मैं सोचता हूं कि अगर कल पीएम मोदी को जनादेश नहीं मिला तो क्या होगा? अगर जनादेश मिला भी और उनकी पार्टी को अकेले बहुमत नहीं मिला तो क्या होगा? क्या फिर पीएम मोदी 2014-19 वाली मुद्रा में ताकतवर होंगे या नीतीश कुमार जैसे नेताओं के हाथों की अंगूलियों की कठपुतली बन जायेंगे? फिर भाजपा के धारा 370, समान कानून, राम मंदिर निर्माण का क्या होगा?
ऐसे भी जब आप लोकसभा में बहुमत में थे, तब तो कुछ कर नहीं पायें, अब जैसा कि संभावना हैं कि भाजपा को अकेले बहुमत आना संभव नहीं हैं तो फिर इन सारे मुद्दों का क्या होगा, क्या फिर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की तरह ये सारे मुद्दे ठंडे बस्ते में चले जायेंगे, एक सवाल यह भी हैं, पर ये सवाल तब हैं, जब भाजपा को बहुमत न मिले और एनडीए को जनादेश प्राप्त हो जाये।
इधर जब से एग्जिट पोल के नतीजे आये हैं, भाजपा में खुशी की लहर है, उनके समर्थकों को तो प्राणवायु मिल गया हैं, भाजपा समर्थक अखबारों/चैनलों/पोर्टलों को तो जैसे लगता है कि नया जीवन प्राप्त हो गया हो, हो भी क्यों नहीं, क्योंकि इन्हीं लोगों ने तो भाजपा कार्यकर्ता की तरह भाजपा सरकार बनाने के लिए स्वयं को बिस्तर बनाकर भाजपा के आगे पेश कर दिया। कई अखबारों के संपादक तो भाजपा नेताओं के प्रचार–प्रसार में अपने अखबारों के कई पेज प्रतिदिन प्रस्तुत कर दिये, यहीं नहीं इन्होंने भाजपा के बड़े–बड़े नेताओं के इंटरव्यू तो इंटरव्यू भाषण व रैलियों को भी पांच–पांच, छः–छः पेजों में प्रकाशित किया, यहीं नहीं विपक्षी नेताओं के नाक–कान तक रगड़वा दिये।
यहीं नहीं इन अखबारों के संपादकों ने इसे छापने के बाद, इसे अपने सोशल साइट में भी स्थान दिया, जैसे लगता हो कि उन्हें भगवान के दर्शन हो गये हो, कई चैनल में काम कर रहे संपादक व रिपोर्टरों ने अपने स्वभावानुसार नेताओं के चरणस्पर्श कर अपने जीवन को धन्य किया, तथा अपने सोशल साइटों में अपने प्रिय नेताओं को स्थान देकर अपने जीवन में बहार लाने की सफल कोशिश की। कई चैनलों और पोर्टलों को देखने पर लगा कि अगर मोदी नहीं तो भारत नहीं।
ऐसे में अगर कल पीएम मोदी को जनादेश नहीं मिला तो सर्वाधिक क्षति उन अखबारों, चैनलों व पोर्टलों में काम करनेवाले संपादक के नाम का आवरण ओढ़े कलाकारों की होगी, जिन्होंने बड़ी ही श्रद्धा के साथ पीएम मोदी, अध्यक्ष अमित शाह एवं भाजपा के अन्य नेताओं के नाम का संकीर्तण किया। सचमुच हमें लगता है कि कहीं उन्हें हृदयाघात, बेचैनी,तनाव, अवसाद या ब्रेनहेमरेज का शिकार न होना पड़े, और अगर भाजपा आ गई तो जिन्होंने भाजपा को हमेशा सत्ता से दूर रखने के लिए विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को लगाये रखा, उनका तो जैसे लगता है कि मिट्टी पलीद होना तय हैं, क्योंकि भाजपा के समर्थक व कार्यकर्ता अभी ही उनको नापे हुए हैं तो कल की क्या स्थिति होगी, सब को पता है।
पर जिन्हे भाजपा आये या जाये, या कोई आये, कोई जाये, मतलब कोई मतलब ही नहीं, कबीर के भाव के हैं, उनको तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता, पर इतना तय है कि सर्वाधिक क्षति उन भाजपा भक्त अखबारों/चैनलों/ पोर्टलों का होगा, जिन्होंने मोदी के आगे अपने आपको समर्पित कर दिया, ठीक उसी प्रकार जैसे एक भक्त भगवान के आगे सब कुछ समर्पित कर देता है।
मैं देख रहा हूं कि कई अखबारों व चैनलों के सम्पादकों ने एग्जिट पोल की बातें सच हो, ऐसा मन में भाव रखकर अपने इष्ट को मनाने में लग गये हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि अगर ऐसा संभव नहीं हुआ तो जो नई सरकार आयेगी, जिन्होंने इनका चरित्र अच्छी तरह से देख लिया हैं, वे अब अपने इशारे में उन्हें नचवायेंगे और ये नाचने को मजबूर होंगे, क्योंकि जब नाचना जान ही लिया तो फिर किसी के आगे नाचो, क्या फर्क पड़ता हैं, तुम नाचो, और नाच से अगर वे खुश होंगे तो जो मांगोगे वे देंगे। यह स्थिति हो गई हैं।
रही बात देश की, तो सत्ता में कोई आये, या सत्ता से कोई जाये, भारत को कोई नेता नहीं चला सकता, यह देश इन नेताओं के बल पर चलता भी नहीं हैं, क्योंकि कई नेता आये और गये, पर यह देश आज भी टिका है, और वह भी किसी के कृपा से नहीं, जितना भ्रष्टाचार यहां हैं, उसके बाद भी यह अगर शान से खड़ा हैं, तो इसमें नेता या पार्टी की भूमिका नहीं, बल्कि हमारे देश के विभिन्न स्थानों पर जो निस्वार्थ भाव से संत समाज या ऋषियों का समूह इस देश की रक्षा करने में लगा है, उन्हीं की कृपा हैं, यह देश बचा हुआ हैं, महान कृषकों–श्रमिकों व बलिदानियों से, जिनके श्रम– बलिदान से पूरा देश लाभान्वित है, अतः इस देश का कोई बाल–बांका भी नहीं कर सकता।
चाहे नेताओं–पत्रकारों का अपवित्र गठजोड़ कितना भी मजबूत हो, वह कृषकों–श्रमिकों–बलिदानियों के गठबंधन के आगे टिक नहीं सकता। यह देश आगे बढ़ेगा, और इसे न कोई पीएम मोदी बढ़ा सकते हैं और न ही राहुल, इस देश को आगे कोई बढ़ा सकता हैं तो वह हैं, चरित्र, जो खेतों–खलिहानों, हिमालय की कंदराओं, सैनिकों व वैज्ञानिकों की प्रयोगशालाओं में दिखाई पड़ता हैं, न कि ये नेता और घटिया स्तर के पत्रकारों का समूह बढ़ायेगा, जो दो पैसों के लिए अपने अखबार का सारा पेज, चैनलों के स्लॉट, पोर्टलों के सारे साइट बेच देता हैं, ऐसे भी ईश्वर बहुत ही दयालु हैं, वह जो भी परिणाम देगा, उससे देश का हित ही होगा, अहित का तो सवाल ही नहीं हैं।