BJP को मिली सफलता से भाजपा समर्थक पत्रकारों में खुशी की लहर, एक दूसरे को बधाइयां दी, मिठाइयां बांटी
ये नये किस्म की पत्रकारिता है, पहले जो काम पर्दे के अंदर होता था, अब उसे पर्दे के बाहर किया जा रहा हैं, कोई शर्म नहीं, क्या हुआ, अगर कोई जान ही लेगा कि हम भाजपा समर्थक हैं, कम से कम इसी बहाने मोदी या शाह जी की कृपा हो गई, तो हम भी कुछ काम के आदमी बन ही जायेंगे, शायद यहीं कारण रहा कि आज सबेरे से ही भाजपा समर्थक सभी चैनलों में एंकरों, रिपोर्टरों, संपादकों के गाल लाल दिखे, इनके चेहरे पर जनता से ज्यादा खुशियों के भाव दिखे, कई चैनलों की स्थिति देखकर ऐसा लगा कि वे मोदी की जीत की खुशी में पागल हुए जा रहे हैं।
विभिन्न चैनलों पर आये भाजपा नेताओं ने उन चैनलों को हृदय से आभार भी प्रकट किया और कहा कि अगर आपलोंगों का ये स्नेह और सहयोग नहीं मिलता तो ये संभव नहीं था, इन शब्दों को सुन कई संपादकों के चेहरे लाल हो गये और बड़े ही मुस्कुरा कर उन्होंने, उन नेताओं को शुक्रिया शब्द से नवाजा। इधर झारखण्ड में भी गजब की स्थिति है, भाजपा की खुशी में बौराएं भाजपा समर्थक पत्रकार एक दूसरे को मिठाइयां खिला रहे हैं।
धनबाद में तो कई पत्रकारों ने गजब कर डाला। प्रभात खबर के एक वरीय संवाददाता तथा धनबाद प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजीव कुमार झा ने इस खुशी में धनबाद के भाजपा प्रत्याशी पी एन सिंह को सभी पत्रकारों की ओर से लडडू खिलाया। पी एन सिंह पत्रकारों के हाथों से लडडू खाकर मस्त हो गये और उन्होंने इसके लिए धनबाद प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजीव कुमार झा को धन्यवाद दिया। बताया जाता है कि जब संजीव झा, सांसद पीएन सिंह को लडडू खिला रहे थे, तब उनके साथ पत्रकार अभिषेक कुमार सिंह, प्रियेश कुमार, हीरालाल पांडेय, राजीव कुमार, अरुण तिवारी भी मौजूद थे।
यहीं हाल झारखण्ड और बिहार के अन्य जगहों पर देखने को मिल रहे हैं, कई अखबारों के कार्यालयों और चैनलों में तो लोग एक दूसरे से गले मिलते दिखे तथा एक दूसरे को बधाइयां दी, तथा कहा कि जो “हुआ सो हुआ”। मतलब पहली बार देखा जा रहा है कि किसी पार्टी की जीत पर पत्रकारों के चेहरे पर इतनी खुशियां दीख रही हैं। राजनैतिक पंडितों की मानें तो ये नई किस्म की पत्रकारिता हैं, इसे अब भाजपाई पत्रकारिता कह सकते हैं, अगर यहीं भाजपाई पत्रकारिता चलता रहा तो समझ लीजिये, लोकतंत्र की क्या स्थिति होगी?
19 polarisation का एक पक्ष यह भी रहा कि 99℅ पत्रकार दलगत भावना में पकड़े गए..या उधर या इधर..।
अब संकट चौथे स्तम्भ ओर है कि कैसे टिकेगा या सिर्फ बिकेगा