अपार सफलता के बावजूद नई सरकार के लक्षण ठीक नहीं दिख रहे, देश के अंदर और बाहर स्थितियां कुछ यहीं संदेश दे रही
भारत की जनता ने नरेन्द्र मोदी को अपार बहुमत दे दिया, इतना बहुमत जिसकी संभावना किसी को नहीं थी, देश में जिस प्रकार कई राज्यों में महागठबंधन ने भाजपा को घेरने की कोशिश की, उससे यहीं लग रहा था, देश में त्रिशंकु सरकार के आसार है, पर 23 मई को मिले जनादेश ने सारे राजनैतिक पंडितों को होश उड़ा दिये और भाजपाइयों की तो जैसे लगी की मुंहमांगी मुराद मिल गई, पर क्या 23 मई के बाद की स्थितियों पर किसी ने गौर किया है कि देश किस ओर जा रहा है?
वर्तमान में जो स्थितियां संकेत दे रही हैं, वो बता रहा है कि अगर ऐसी ही चलता रहा तो देश को हर मोर्चें पर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और आप उन चुनौतियों को बेहतर ढंग से सामना कर लेंगे, उस पर विजय पा ही लेंगे, इसकी संभावना कम दिखाई पड़ रही हैं। हमें याद है कि 1984 में लोकसभा के चुनाव की समाप्ति के बाद, राजीव गांधी को मिले अपार बहुमत के तुरन्त बाद, देश के विभिन्न राज्यों मे विधानसभा चुनाव कराये गये। उसी विधानसभा चुनाव दौरे के दौरान भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने दानापुर में एक जनसभा को संबोधित किया था।
उस जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि राजीव गांधी सत्ता में आ गये, सहानुभूति लहर पर सवार होकर उन्होंने 400 से भी अधिक लोकसभा की सीटें जीत ली, पर उनके प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के तुरन्त बाद जो देश दंगों की आग में झूलसा, उससे साफ यही पता चलता है कि नई सरकार के लक्षण ठीक नहीं दिख रहे। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए दानापुर की जनता को कहा था कि आम तौर पर जब बेटे की शादी होती हैं और बहु जब पहली बार ससुराल पहुंचती है, तब घर की महिलाएं बहु के पांव का खुब ख्याल करती हैं, और जब घर में शुभ-शुभ होता हैं तो कहती है कि बहु के पांव बहुत ही शुभ है, पर वे दावे के साथ कह सकते है कि वर्तमान केन्द्र सरकार के लक्षण ठीक नहीं, उनका इशारा केन्द्र में राजीव गांधी की सरकार की ओर था, और उस दौरान देश भर में फैले सिक्ख विरोधी दंगों से था।
अब सवाल उठता है कि क्या पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल का दस दिन का भी लेखा-जोखा पर ध्यान दिया है, कि उनकी जीत के बाद, देश किस दिशा में जा रहा हैं। सच्चाई तो यह है कि 23 मई को लोकसभा का परिणाम आता हैं और पीएम मोदी के ही गृह प्रान्त गुजरात के सुरत में 24 मई को एक कोचिंग सेंटर में आग लगती है और 20 छात्रों की मौत हो जाती है, यानी खुद को मॉडल के रुप में दिखानेवाले गुजरात के पास इन छात्रों को बचाने के लिए संसाधन मौजूद नहीं था, जबकि पीएम का पद संभालने के पूर्व नरेन्द्र मोदी गुजरात में कई साल मुख्यमंत्री पद पर रहे।
भारत और अमेरिका के संबंध का यह हाल है कि अमेरिका को खुश करने के चक्कर में न तो अमेरिका हमसे खुश हैं और न ही ईरान, चाबहार के मुद्दे पर ईरान भारत को आराम से झटका दे सकता है और पाकिस्तान तथा चीन के करीब आ सकता है, इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता। इधर अमेरिका ने भारत से जीएसपी का दर्जा भी छीन लिया, हालांकि भारत पर इसका असर बहुत कम पड़ेगा, पर संबंध खराब करने के लिए यह मुद्दा भी काफी है।
स्थिति ऐसी है कि वर्ल्ड बैंक ने भारत से विकासशील देश का दर्जा छीन लिया और इसे पाकिस्तान और श्रीलंका की तरह लोअर मिडल इन्कम वाले देश में रख दिया। मोदी सरकार इस बात से भी इनकार नहीं कर सकती, कि पिछले पांच साल में सबसे कम जीडीपी ग्रोथ रेट 5.8% पहुंच गई। बेरोजगारी चरम पर हैं। पिद्दी सा देश पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा, वह आपको समझता ही नहीं, देखिये न आपके लोगों ने पाकिस्तान में इफ्तार पार्टी रखी और उस इफ्तार पार्टी में पाकिस्तान ने आगंतुकों के साथ ऐसी बदसलूकी की, कि पूरे पाकिस्तान ही नहीं बल्कि भारत में चर्चा का विषय बन गया।
3 जून को असम के जोरहाट से मेनचुका जा रही वायुसेना का विमान कहां गया, पता ही नहीं चल रहा, ज्ञातव्य है कि उसमें 13 लोग सवार थे, मेनचुका भारत-चीन सीमा पर है। प्री मानसून सूखा रहा हैं, इसलिए कृषि पर भी इसका असर पड़ना तय है और इधर दो दिन पूर्व गुजरात के ही एक विधायक ने एक महिला की लात-घूंसों से ऐसी पिटाई कर दी कि पूरा देश भाजपाइयों के इस चरित्र को देखकर दंग रह गया।
यही नहीं जिनके साथ गठबंधन कर आपने बिहार का किला फतह किया, वहां का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आपको भाव नहीं दे रहा, वो आपको ही आंख दिखा रहा है और आपके द्वारा मंत्रिमंडल गठित करने के दो दिन बाद ही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करता है, और आपके भाजपा के लोगों को ठिकाने लगा देता है, वह भी तब जबकि उसके पास बहुमत तक नहीं। अब आप ही बताये कि इन सभी लक्षणों को देख कोई कैसे कह सकता है कि देश सही दिशा में जा रहा हैं, या वर्तमान जो दृश्य दिखाई पड़ रहे हैं, उससे यह पता चले कि दूसरे टर्म में प्रवेश कर चुकी मोदी सरकार (नई सरकार) के लक्षण ठीक दिखाई दे रहे हैं।