योग के नाम पर कसरत करनेवाले लोग “योग से निरोग” हो जाते, तो दुनिया के सारे बेइमान सुखी हो जाते
आपको क्या लगता है कि झूठ बोलेंगे, डकैती करेंगे, लूट–पाट करेंगे, भ्रष्टाचार का रिकार्ड बनायेंगे, लोगों का जीना हराम कर देंगे और एक दिन योग के नाम पर हाथ–पैर का व्यायाम कर लेंगे तो आप निरोग हो जायेंगे? ऐसा कभी हुआ है क्या? कि जिसने डकैती की, लूट-पाट की, भ्रष्टाचार का रिकार्ड बनाया, लोगों का जीना हराम किया और दुनिया से आनन्द प्राप्त कर चला गया। अरे भाई आपको नहीं पता क्या कि योग चार प्रकार के होते हैं, जिसमें प्रथम है – कर्म योग। दूसरा है – ज्ञान योग। तीसरा है – भक्ति योग और चौथा है – हठ योग।
सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण हैं – कर्म योग
और इन सभी में सबसे प्रधान है – कर्म योग। जिसके बारे में श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि – योगस्थः कुरु कर्माणि संगं त्यक्तवा धनंजय। सिद्धयसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।। अर्थात् हे अर्जुन। तू आसक्ति को त्यागकर तथा सिद्धि और असिद्धि में समान बुद्धिवाला होकर योग में स्थित हुआ कर्तव्य कर्मों को कर, समत्व ही योग कहलाता है और आपने शरीर के कसरत यानी जो योग का एक पार्ट्स के अलावे कुछ भी नहीं, उसे ही योग मानकर लगे हवा-हवाई कार्यक्रम बनाने।
गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस में कर्मयोग के बारे में क्या लिखा – कर्म प्रधान बिस्व करि राखा। जो जस करइ सो तस फलु चाखा।। यानी आप जैसा करेंगे, वैसा फल चखेंगे, यानी आपके सुकर्म और कुकर्म आपको अपने कर्मानुसार उस स्थिति में पहुंचा देंगे, जिसके आप हकदार है, चाहे आप सत्ता की सनक पर सवार होकर किसी का अहित करने में ही क्यों न लगे हो।
क्योंकि आपके द्वारा किये गये कर्म की आपके जीवन में प्रधानता है, न कि इवेन्टस के नाम पर आयोजित योग के नाम पर होनेवाले ये कर्मकांड आपको आनन्द प्रदान करायेंगे, इसलिए जो रांची के विभिन्न मार्गों पर जो होर्डिंग या बैनर देखकर खुश हो रहे हैं और रटे जा रहे है कि करो योग, रहो निरोग, साथ ही आप ये समझ रहे है कि आप इस इवेन्टस रुपी योग से आनन्द प्राप्त कर लेंगे, निरोग हो जायेंगे तो आप खुद को बेवकूफ बना रहे हैं।
काले कपड़े से डरेंगे, रात के 2-3 बजे इवेन्ट्स मैनेजमेंट में छोटे-छोटे बच्चों को भेजेंगे, ये क्रूरता नहीं तो और क्या हैं? – हेमन्त
नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन का कहना है कि जो योग काले कपड़े को देख डर जाये, भला वो योग कैसे हो सकता है। योग को कब काला से नफरत और सफेद रंग बहुत अच्छा लगने लगा। रात में 2-3 बजे छोटे-छोटे स्कूली बच्चों को कल हो रहे इवेन्ट्स मैनेजमेंट के कार्यक्रम में भेजना क्रूरता है। बीजेपी को योग के आत्मीय प्रभाव से लाभ ले, इन बच्चों के बारे में सोचना चाहिए।
हेमन्त सोरेन का कहना है कि व्यायाम के तौर पर देखे तो झारखण्ड के करोड़ों ग्रामीण लोग और किसानों के खेत सूखे है, उनके पेट खाली है। गांव का किसान, दिन-रात अपने खेत में मेहनत करता है, मजदूर दिन भर मजदूरी करता है। वह तो अपना काम कर, दिन भर योगा में ही रत है। कभी बीजेपी को बीमा कंपनियों को छोड़ इन गरीब किसानों और मजदूरों के बारे में भी सोचना चाहिए।
हेमन्त सोरेन ने कहा कि जो बीमार है, चाहे वह बिहार में हो या झारखण्ड में, उसके पास आयुष्मान हो या न हो, जो दवाइयों, अस्पतालों और डाक्टरों के अभाव में मर रहे हैं या जो गरीब भूख से मर रहे हैं। बीजेपी को इस योग से जिम्मेदारी की सीख तथा उनकी भी सुध लेनी चाहिए।