योग करने आये पीएम मोदी के आगे रांची की मीडिया लोट-पोट, पर जनता पीएम मोदी से भारी नाराज
अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर हजारों जवानों, स्कूली बच्चों, भाजपा समर्थकों, कट्टर मोदी समर्थक मीडियाकर्मियों के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रांची के प्रभात तारा मैदान में योग किया। उधर रांची के प्रभात तारा मैदान में नरेन्द्र मोदी के चाहनेवालों की संख्या नरेन्द्र मोदी की जय-जय कर रही थी, और इधर जनता में भारी आक्रोश देखा जा रहा था, जो सोशल मीडिया में रह-रहकर वो गुस्सा प्रकट हो रहा था। ज्यादातर जनता का आक्रोश इस बात को लेकर था, कि बिहार के मुजफ्फरपुर में सैकड़ों बच्चे काल-कलवित हो गये, उन बच्चों के प्रति संवेदना के एक भी शब्द अब तक नरेन्द्र मोदी की ओर से न तो सुनाई पड़े और न ही किसी सोशल साइट पर पढ़ने को मिले।
ज्यादातर जनता इस बात से क्रोधित थी कि क्रिकेटर शिखर धवन के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेलने पर जिस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी संवेदना प्रकट की, जिस फिल्म अभिनेता अजय देवगन के पिता के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शोक प्रकट करना नहीं भूले। हाल ही में श्रीलंका में आतंकी घटना में जब सैकड़ों लोगों की जाने गई, तब उन्होंने इस पर शोक प्रकट किया। वही प्रधानमंत्री मोदी बिहार में इतनी बड़ी घटना के बाद भी अपनी ओर से संवेदना क्यों नहीं प्रकट किये? वह भी तब जब बिहार की लोकसभा की 40 सीटों में से वहां की जनता ने इनके गठबंधन को 39 सीटें प्रदान कर दी, आखिर पीएम मोदी बिहार में घटी इस घटना पर इतने निष्ठूर और क्रूर क्यों हो गये?
ऐसे भी जिस प्रकार से झारखण्ड सरकार ने रांची के प्रभात तारा मैदान में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया और इस आयोजन में करोड़ों फूंक डाले, इस आयोजन का हवा तो उसी वक्त निकल गया, जब योग करने आये लोगों के बीच जिला प्रशासन ने भोजन के पैकेट जानवरों की तरह बांट डाले, जिसको लेकर सोशल मीडिया में राज्य सरकार और जिला प्रशासन की खिंचाई जारी है, जबकि जिला प्रशासन और राज्य प्रशासन ये समाचार मीडिया में न आये, इसके लिए बड़ी जोर-शोर से हाथ-पांव मार रहा है।
सूचना यह भी है कि जिला प्रशासन और राज्य प्रशासन अखबारों और इलेक्ट्रानिक मीडिया पर दबाव बनाना शुरु कर दिया है, जबकि कई चैनल तो जिला प्रशासन और राज्य प्रशासन के अधिकारियों को भरोसा दिलाया है कि उनके यहां राज्य सरकार के खिलाफ एक भी समाचार प्रकाशित नहीं की जायेगी, इन मीडियाकर्मियों द्वारा मिले इस आश्वासन से राज्य के वरीय प्रशासनिक अधिकारियों ने राहत की सांस ली है।
आज यह भी देखा गया कि सभी मीडियाकर्मियों को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का स्टीकर सटा एक टी-शर्ट प्रसाद स्वरुप प्रदान किया गया, जिसे सभी मीडियाकर्मियों ने आह्लादित होकर, प्रसाद की तरह ग्रहण ही नहीं किया, बल्कि उस टी-शर्ट को धारण कर, जय-जय मोदी का मंत्र जाप करते हुए, समाचार का संकलन किया, कई मीडियाकर्मी तो नरेन्द्र मोदी के पोस्टर के पास जाकर सेल्फी लेना नहीं भूल रहे थे, और लगे हाथों अपने फेसबुक पर उसे डालने में देरी नहीं लगा रहे थे।
साथ ही अपने मित्रों को यह बताना नहीं भूल रहे थे कि वे पीएम मोदी के संग योग कर रहे हैं, जबकि पीएम मोदी, उनसे कही दूर जवानों के बीच योग कर रहे थे, रांची के मीडियाकर्मियों को तो उन तक पहुंचने की छूट भी नहीं थी, लेकिन सभी ने अभुतपूर्व भक्ति दिखाकर, हाथ-पैर घुमाये, और इसे योग का नाम देकर, आज के दिन का समापन किया।
इधर बिहार के मुजफ्फरपुर में अब तक करीब डेढ़ सौ बच्चों की जाने चली गई है, जबकि सैकड़ों अभी भी इलाजरत है। बिहार सरकार बहुत देर के बाद नींद से जगी है। जबकि पत्रकारों की एक नई युवा टीम ने मुजफ्फरपुर के इन पीड़ित परिवारों के लिए एक बहुत ही सुंदर प्रयास किया, जिसकी चर्चा यहां जोरों पर है। इधर पूरे देश में बिहार में घटी इस घटना और पीएम मोदी द्वारा कोई संवेदना तक नहीं प्रकट अब तक किये जाने पर, जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है, यानी एक लोकोक्ति “आये थे हरि भजन को ओटन लगे कपास” चरितार्थ होने जा रही है।
राजनैतिक पंडित बताते है कि पीएम मोदी, रांची में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस इसलिए नहीं मनाने आये थे कि वे यहां से योग को एक नई दिशा देना चाहते थे, वे इसलिए आये थे कि पांच महीने के बाद जिस झारखण्ड में विधानसभा चुनाव होने है, उसके मिजाज को लोकसभा की तरह बरकरार रखा जाये, पर ये मिजाज बना रहेगा, इसकी संभावना आज रांची में आयोजित योग दिवस को देखकर हो गई।
ज्यादातर जनता पीएम मोदी के इस व्यवहार से नाराज होती चली जा रही है, और अगर ये सिलसिला जारी रह गया तो हाल 2014 वाली न हो जाये, जब बिहार की जनता ने रहर दाल के भाव 200 रुपये प्रतिकिलो छू जाने पर इनकी पार्टी को बिहार विधानसभा चुनाव में बाहर का रास्ता दिखा दिया था, अगर यहीं हाल रहा तो झारखण्ड में भले ही ये मीडिया में लोकप्रिय हो, लेकिन जनता की नजरों से दूर जाने में देर नहीं लगेगी।
इधर रांची से प्रकाशित करीब सारे अखबार मोदी भक्ति में लोट-पोट हो गये। एक अखबार ने तो मोदी के इस योग को महायोग में तब्दील कर दिया, पता नहीं उसे कहा से महायोग दिख गया। एक अखबार ने आज के योग को मोदीयोग बता दिया, इसी प्रकार कई अखबारों ने अपने-अपने ढंग से योग की परिभाषा गढ़ दी, जिससे आज का दिन योग के प्रति समर्पित न होकर,व्यक्ति विशेष का पर्व बनकर रह गया, राजनैतिक पंडित तो बताते है कि आज का अखबार तो पूरी तरह से योग पर कम, और नरेन्द्र मोदी की भक्ति को ज्यादा समर्पित है, जो कल भी देखने को मिलेगा, इसमें किसी को आश्चर्य भी नहीं होना चाहिए।