मॉब लिंचिंग के विरोध के नाम पर पनपी गुंडागर्दी पर रोक लगाइये, नहीं तो लोगों का विश्वास सरकार से उठ जायेगा
कल जिस प्रकार से मॉब लिंचिंग के विरोध की आड़ में पूरी रांची को लहकाने की कोशिश एक समुदाय के उपद्रवियों ने की, उसकी जितनी निन्दा की जाय कम है। लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने/रखने का अधिकार है, पर भय का माहौल दिखाकर, एक–दूसरे को नीचा दिखाकर, महिलाओं और राहगीरों पर हाथ छोड़कर, बसों में तोड़–फोड़कर, जबरन दुकानें बंद कराकर, स्थानीय प्रशासन को चुनौती देकर, देर रात तक कोहराम मचाकर, दंगा कर, अपनी बात कहने/रखने का अधिकार न तो भारत के संविधान ने दिया है और न ही मानवीय मूल्यों में विश्वास करनेवाले लोग ही ऐसी बातों का समर्थन करेंगे।
आश्चर्य इस बात की है कि एक समुदाय में शामिल कुछ उपद्रवियों ने कल रांची को अशान्त करने की कम कोशिश नहीं की। स्थिति ये थी कि वे अपने ही समुदाय के गण्यमान्य व्यक्तियों की बातें हवा में उड़ा रहे थे, पर यहां प्रशंसा करनी होगी, स्थानीय पुलिस प्रशासन की, कि उसने धैर्य से काम लिया और मौके की नजाकत को समझते हुए, पहली प्राथमिकता माहौल को शांत करने तथा इस मचे कोहराम में फंसे लोगों को सावधानीपूर्वक निकालने में अपना ज्यादा दिमाग लगाया।
कल जैसे ही डोरंडा के उर्स मैदान में मुस्लिम संगठनों का आक्रोश रैली समाप्त हुआ, रांची के दो स्थानों पर इन उपद्रवियों ने जमकर उत्पात मचाया, जिसके शिकार सामान्य लोग हो गये। सायंकाल में डोरंडा के राजेन्द्र चौक तो रात में एकरा मस्जिद के पास उग्र भीड़ ने जमकर उत्पात मचाया। इस दौरान डेढ़ दर्जन से अधिक वाहनों में तोड़फोड़ की गई, महिलाओं व अन्य लोगों के साथ मार–पीट की गई। एकरा मस्जिद के पास तो इस घटना का विजूयल बना रहे दो युवकों की भीड़ ने जमकर पिटाई कर दी, जिसे पुलिस ने अस्पताल में भर्ती कराया।
कमाल है, कल एयरपोर्ट ग्राउंड में भी मारपीट की घटना घटी, जिसमें सेन्ट्रल मुहर्रम कमेटी के महासचिव अकीलुर्रहमान का बेटा अरीब अहमद भी घायल हो गया, वे अकीलुर्रहमान अपने बेटे के घायल होने की घटना को नजरंदाज कर सभी से शांति की अपील कर रहे थे। वे कह रहे थे कि मारपीट की घटना में पुलिस कार्रवाई कर रही हैं, फिर भी लोग उनकी एक भी बात सुनने को तैयार नहीं थे, बवाल करने पर उतारु थे, यहीं नहीं इसी दौरान वे सभी अंजुमन इस्लामिया के अध्यक्ष इबरार अहमद से भी उलझ गये।
अंजुमन इस्लामिया के अध्यक्ष इबरार अहमद ने शहर के लोगों से अमन और भाईचारा बनाए रखने की अपील की, उनका कहना था कि रांची में लोग हमेशा भाईचारे के साथ रहते आये है, कुछ शरारती तत्व माहौल खराब करने की साजिश करते हैं, लेकिन हम एकजुट होकर मुकाबला किये है। कुछ लोग फिर एक बार शांति भंग करने की साजिश कर रहे हैं, इसका कोई शिकार न हो, वे यहीं चाहते हैं।
सूत्र बताते है कि कल की सारी घटनाएं सुनियोजित थी, लेकिन दोनों पक्षों में रह रहे शांतिप्रिय लोगों के प्रयास से उपद्रवियों का सपना पूरा नहीं हुआ, रांची के दो महत्वपूर्ण स्थानों डोरंडा और एकरा मस्जिद के पास हिंसक घटनाओं से ही मामला शांत हो गया। इस दौरान पुलिस की भूमिका सराहनीय रही। इधर रांची में कल दो स्थानों पर हुई हिंसक घटनाओं के विरोध में स्थानीय प्रशासन ने जनसभा के आयोजकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दी है, जिनमें मौलाना ओबेदुल्लाह कासमी, एजाज गद्दी और शमशेर आलम को आरोपित किया गया है।
इधर बुद्धिजीवियों ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन से मांग की है कि जहां भी कोई संगठन, आंदोलन, सभा या रैली के नाम पर दो समुदायों के बीच तनाव फैलाने की कोशिश करें, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई करें, ताकि राज्य में अमन कायम रहे, क्योंकि राज्य का कोई नागरिक हिंसा नहीं चाहता। इधर कल की रैली में हुई गुंडागर्दी और उसके बाद रात में एकरा मस्जिद के पास हुए उत्पात की, सभी ने एक स्वर से कड़ी निन्दा की है, तथा अमन और भाईचारा कायम रहें, इसकी अपील की है।