इधर भाजपा का सदस्यता अभियान शुरु, उधर भाजपा नेता प्रेम कटारुका ने BJP छोड़ जदयू का थामा दामन
कल यानी शनिवार को पूरे झारखण्ड में भाजपा का सदस्यता अभियान प्रारंभ हुआ, बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता फिर से भाजपा का सदस्यता ग्रहण कर रहे हैं, और लोगों से भाजपा के इस सदस्यता अभियान से जुड़ने का अनुरोध भी कर रहे हैं, पर सच्चाई यह भी है कि इसी दौरान कई ऐसे भी भाजपा के पुराने कार्यकर्ता व नेता है, जिन्होंने भाजपा में रहकर, भाजपा की बेहतरी के लिए अपने जीवन के कई वसन्त उत्सर्ग कर दिये, बड़े-बड़े पदों पर रहे, लेकिन उनका आज भाजपा से मोहभंग हो रहा है, वह भी तब जब आज भाजपा विशाल वटवृक्ष का रुप धारण कर चुकी है।
ऐसे ही नेताओं में हैं एक प्रेम कटारुका, फिलहाल ये भाजपा के सक्रिय सदस्य थे, और पूर्व में प्रदेश के मंत्री तथा भाजपा प्रवक्ता भी रह चुके हैं, लेकिन आज उन्होंने पटना जाकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष जदयू का दामन थाम लिया और अपने उक्त समाचार की पुष्टि सोशल साइट फेसबुक के माध्यम से कर दी।
ऐसे देखा जाय, तो भाजपा नेता प्रेम कटारुका, जदयू का दामन तो जरुर थाम लिये, पर झारखण्ड में जदयू एक तरह से पूरी तरह समाप्त हो चुका है, ये अलग बात है कि कभी जदयू जब समता पार्टी के रुप में थी, तब इनके विधायकों के बल पर ही झारखण्ड में सरकार चला करती थी, कभी जदयू नेताओं का वर्चस्व यहां बोला करता था, नीतीश कुमार के इशारे पर यहां के जदयू नेता खुब उछला करते थे, पर आज वैसी स्थिति नहीं है।
फिलहाल, नीतीश कुमार बिहार के, वह भी एक जाति-वर्ग विशेष के नेता बनकर रह गये हैं, तथा जैसा बयार बहता हैं, उस हिसाब से कभी भाजपा तो कभी लालू की पार्टी के साथ गठबंधन कर बिहार में राजनीति चला लिया करते हैं, क्योंकि वे बिहार की जनता का नब्ज बहुत अच्छी तरह पकड़ चुके हैं, लेकिन झारखण्ड में ऐसा नहीं है, यहां कुर्मियों के कई नेता उभर गये हैं, जो झारखण्ड में नीतीश से ज्यादा मजबूत है, इसलिए यहां चाहकर भी नीतीश स्वयं को मजबूत नहीं बना सकते।
हालांकि उनका प्रयास रहता है कि वे यहां खुद को मजबूत करें, शायद यहीं कारण रहा कि वे झारखण्ड में उन असंतुष्ट नेताओं को अपनी पार्टी में लाने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे उनकी पार्टी मजबूत हो, पर सच्चाई यह है कि उनके पास वहीं नेता जा रहे हैं, जिनका जनाधार अब पहले जैसा नहीं रहा। इधर प्रेम कटारुका के भाजपा को छोड़ जदयू का दामन थाम लेने पर कई पुराने भाजपा नेता दुखी नजर आये।
कई नेताओं ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर यह बाते कही कि फिलहाल भाजपा एक बहुत विशालकाय जीव बन चुकी है, ऐसे में एक दो लोग भाजपा को छोड़कर चले भी जाये, तो भाजपा को कोई फर्क नही पड़ता, जबकि कई नेताओं का यह भी कहना था कि अगर पुराने नेता व कार्यकर्ता इस प्रकार भाजपा का दामन छोड़ रहे हैं, तो पार्टी को चिन्तन भी करना होगा, आखिर क्या वजह है कि जब भाजपा मजबूत स्थिति में हैं, तो उनके पुराने नेता पार्टी से दूरियां बना रहे हैं, और वे वैसे पार्टी को चयन कर रहे हैं, जिनका भाजपा के साथ ही दूसरे राज्यों में गठबंधन है।
भाजपा में जितने लोग, उतनी बात। किसी ने कहा कि भाजपा से कई लोग गये, और कई लोग आये, पर भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ा, जबकि किसी ने कहा कि कभी कांग्रेस भी विशालकाय जीव थी, आज कांग्रेस की क्या स्थिति है, सभी को मालूम होना चाहिए, अगर कोई यह कहता है कि हमेशा उसका समय इसी तरह का रहेगा, तो मूर्खता है, क्योंकि पार्टी कार्यकर्ताओं से बनती है, एक समर्पित कार्यकर्ता अगर पार्टी छोड़ रहा हैं, तो इसका मतलब है कि कोई न कोई कारण जरुर है, जिस कारण को प्राथमिकता के आधार पर सदा के लिए समाप्त करना होगा, नहीं तो अगर पार्टी छोड़ने की लाइन लगी तो भाजपा के पास सिर्फ तम्बू और विशाल कार्यालय रह जायेंगे, और उसमें कोई पार्टी का कार्यकर्ता नहीं होगा।