संदीप पाण्डेय का बयान, देश में चार लोगों की सरकार, जिसमें मोदी-शाह सामने और अडाणी-अंबानी पीछे
जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, झारखंड का दो-दिवसीय प्रथम राज्य सम्मेलन शनिवार-रविवार को नामकुम स्थित बगईचा परिसर में संपन्न हुआ। शनि सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में “झारखंड में संवैधानिक अधिकारों एवं सामाजिक सुरक्षा की जमीनी हकीकत” विषय पर विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधियों यथा ज्याँ द्रेज, एलीना होरो, अफजल अनीस, डॉ चंद्र भूषण चौधरी, पी एम टोनी एवं सोनाली ने अपने विचार रखे।
मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित एनएपीएम के राष्ट्रीय सलाहकार श्री संदीप पाण्डेय ने उद्घाटन भाषण देते हुए कहा कि देश में चार लोगों की सरकार चल रही है, जिसमें मोदी और शाह सामने हैं और अडाणी एवं अंबानी पीछे हैं, इसीलिए अब देश में गरीबों की बात नहीं होती, परवाह नहीं होती। सरकार कुतर्कों के आधार पर गरीबों के अधिकारों को खारिज कर रही है। यह बेहद असंवेदनशील सरकार है और यह दौर काफी कठिन है, पर जनता के मुद्दों पर लड़ाई जारी रखनी होगी, मुद्दे बचाकर रखने होंगे। औरों का दौर गया है तो इनका भी जाएगा।
इस सत्र की अध्यक्षता पी पी वर्मा ने की और लियो सिंह ने आभार व्यक्त किया। उद्घाटन सत्र के बाद “लोकतंत्र का सिमटता दायरा” पर एक सत्र हुआ, जिसे आशीष रंजन ने माडरेट किया एवं जिसमें डॉ हसन रजा, बलराम, तारामणी साहू, प्रफुल्ल लिंडा एवं सुषमा बिरूली ने विषय के अलग-अलग पहलुओं पर अपने विचार रखे। इस सत्र में उपस्थित लोगों ने भी चर्चा में भाग लिया। सम्मेलन के दूसरे दिन सुबह पहला सत्र “लूट एवं विस्थापन आधारित नहीं टिकाऊ और समावेशी हो विकास” विषय पर हुआ।
राजेन्द्र रवि इस सत्र के माडरेटर एवं दयामणी बारला, महेन्द्र यादव, प्रीति रंजन दास एवं प्रवीर पीटर पैनलिस्ट थे जिसमें चर्चा में यह बात आई कि कभी विकास एवं प्रगति के नाम से लोग खुश होते थे, उनमें आशा का संचार होता था वहीं आज का विकास ऐसा है कि लोग इसके नाम से उजड़ने के खतरे से भयभीत हो जाते हैं। हमारे परंपरागत ज्ञान को दकियानुसी और बेकार कहकर पहले ख़ारिज किया जाता है और फिर उसी पर आधुनिकता और विकास का मुलम्मा चढ़ाकर उसकी भारी कीमत वसूली जा रही है। इसके बाद युवाओं का “बढ़ती दिशाहीनता, घटते अवसर” एवं महिलाओं का “कठिन होती लैंगिक बराबरी और सुरक्षा की राह” पर समानांतर सत्र हुए।
सम्मेलन में संगठनात्मक प्रक्रिया के तहत दो वर्ष के अगले सत्र के लिए प्रवीर पीटर, एलीना होरो, बीबी चौधरी, सुषमा बिरूली, अदीप कुमार, दिनेश मुर्मू, अमृत बाउरी, बलराम सिंह, जयपाल मुर्मू, अर्पणा बाड़ा, पीएम टोनी, दुर्गा नायक, प्रफुल्ल लिंडा, राजू विश्वकर्मा, अफजल अनीस, लीलावती, कुमुदनी केरकेट्टा, फुलजेंसिया बिलुंग, अनु सुमन बाड़ा, तारामणी साहू, अनिता चौरसिया, तीर्थनाथ आकाश, लियो सिंह, आलोका कुजूर, प्रीति रंजन दास को लेकर राज्य समिति का गठन किया गया। राज्य संयोजक मंडल में आलोका कुजूर, लियो सिंह, अफजल अनीस, सुषमा बिरूली, दुर्गा नायक, जयपाल मुर्मू एवं प्रीति रंजन दास का निर्विरोध चयन हुआ।
बसंत हेतमसरिया का राष्ट्रीय संयोजक एवं दयामणी बारला का राष्ट्रीय सलाहकार के लिए चयन हुआ। वित्त समिति में लियो सिंह का कोषाध्यक्ष एवं बीबी चौधरी एवं कुमुदनी केरकेट्टा का सदस्य के रूप में चयन हुआ। सम्मेलन में पिछले सत्र की रिपोर्ट एवं आय-व्यय का ब्यौरा पेश किया गया और इनका सर्वसम्मति से अनुमोदन हुआ। सम्मेलन में कई प्रस्ताव पारित हुए और कार्यक्रम तय हुए ।
लगातार वर्षा एंव खेती के समय के बावजूद सम्मेलन में राज्य के 12 जिलों से एनएपीएम एवं अन्य सहमना जन संगठनों के 100 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन में आदिवासी अधिकार मंच, एकल नारी शक्ति संगठन, क्षेत्रीय जन विकास परिषद, बगईचा, झारखंड मसीही परिवार, सर्व धर्म समन्वय परिषद् रामगढ़, समग्र जमशेदपुर, यूनाइटेड मिल्ली फोरम, समाजवादी जन परिषद, आदिवासी मूलवासी अधिकार मंच बोकारो, साझा कदम, झारखंड जनाधिकार मंच रामगढ़, धारा, एचआरएलएन, वर्ल्ड ग्रीन लाइन बोकारो, झारखंड नागरिक प्रयास वगैरह संगठनों की भागीदारी रही। सम्मेलन में झारखंड के अलावा दिल्ली, यूपी एवं बिहार के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।