अपनी बात

उधर सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को आदिवासियों के अस्तित्व पर सुनवाई करेगी और इधर झारखण्ड के आदिवासी…

पूरे सोशल साइट पर झारखण्ड भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा द्वारा बनाई गई 33 सेकेंड की विडियो धमाल मचा रही है, इस विडियो में झारखण्ड के कण-कण में बसा, खासकर आदिवासियों के बीच काफी लोकप्रिय गीत को आधार बनाया गया है, गीत के बोल है – गांव छोड़ब नही, जंगल छोड़ब नही, मायं मांटी छोड़ब नही, लड़ाय छोड़ब नही, लोग इस विडियो को पसंद भी कर रहे हैं और उसे शेयर भी कर रहे हैं।

इस विडियो में लोगों को संदेश भी दिया गया है और अपील भी की गई है। विडियो के माध्यम से लोगों को संदेश यह दिया गया है कि 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट 20 लाख आदिवासियों के अस्तित्व पर सुनवाई करेगी। राजधानी दिल्ली समेत पूरे देश भर में इस दिन लोग प्रदर्शन भी करेंगे। यह प्रदर्शन सोशल मीडिया पर भी होगा। जिसका मूल उद्देश्य 20 लाख आदिवासियों के प्रति समर्थन प्रदर्शित करना होगा।

इस विडियो के माध्यम से लोगों से अपील भी की गई है कि लोग दो दिन यानी 21 और 22 जुलाई को अपने फेसबुक पेज का बैनर काला रखे, तथा इसे खुलकर समर्थन करें, यहीं नहीं लोगों से विडियों को शेयर करने का भी अनुरोध किया गया है, आश्चर्य यह भी है कि इस 33 सेंकेंड के विडियो को लोग हाथो-हाथ ले रहे हैं और उसका समर्थन भी कर रहे हैं, यानी सोशल साइट के माध्यम से पहली बार आदिवासियों को जगाने का काम हो रहा हैं और लोग जग भी रहे हैं।

लोग बड़े ही आराम से गीत भी गुनगना रहे हैं और प्रचार-प्रसार भी कर रहे हैं, गीत भी इतना सुन्दर है कि लोगों के जुबान पर बहुत तेजी से चढ़ जा रहा हैं और लोग गुनगुना भी रहे हैं… गीत इस प्रकार है –

गांव छोड़ब नही, जंगल छोड़ब नही,

मायं माटी छोड़ब नही, लड़ाय छोड़ब नही

बिरसा पुकारे एकजुट होवो, छोड़ो ये खामोशी,

मछवारे आवो, दलित आवो, आवो आदिवासी

गांव छोड़ब नही, जंगल छोड़ब नही,

मायं माटी छोड़ब नहीं, लड़ाय छोड़ब नहीं