JMM ने BJP विधायक विरंची नारायण की हरकत को गुंडागर्दी करार दिया, गिरफ्तारी की मांग
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने बोकारो इस्पात संयंत्र में कार्यरत एक अधिकारी एजीएम अजीत कुमार के साथ की गई मारपीट की कड़ी आलोचना करते हुए, इसे गुंडागर्दी की संज्ञा दे दी है, झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज रांची में प्रेस कांफ्रेस आयोजित कर इस मामले में आरोपी बोकारो के भाजपा विधायक विरंची नारायण की अविलम्ब गिरफ्तारी की मांग की है।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि यह सारी हरकतें मुख्यमंत्री के शह पर हो रहा है, जिसके कारण पूरे राज्य में भाजपा विधायकों–कार्यकर्ताओं का मन कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है, क्योंकि मुख्यमंत्री रघुवर दास की जो भाषा है, वह इनके मनोबल को बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके पहले इचागढ़ के भाजपा विधायक साधु चरण राम द्वारा भी भू–अर्जन पदाधिकारी को दौड़ा–दौड़ा कर पीटा गया था और अब नया मामला बोकारो के भाजपा विधायक विरंची नारायण का हमारे सामने आ चुका है।
उन्होंने कहा कि ये दोनों विधायक जमीन से संबंधित अधिकारियों के साथ ही मारपीट की।सुप्रियो भट्टाचार्य का कहना था कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब आकाश विजयवर्गीय द्वारा एक अधिकारी की बल्ले से पिटाई की गई तो उन्होंने सख्त संदेश दिया था कि उन्हें ऐसे विधायक पार्टी में नहीं चाहिए, ऐसे हालात में अब भाजपा ही बताएं कि ये दोनों विधायक को पार्टी में रखेंगे या नहीं, और इनकी गिरफ्तारी कब होगी?
सुप्रियो भट्टाचार्य का कहना था कि दरअसल राज्य सरकार पूरे राज्य में रैयती जमीनों को कब्जा करने में लग गई है तो दूसरी तरफ इनके विधायक सरकारी जमीन को कब्जा करने में दिमाग लगा रहे हैं और जब कोई अधिकारी उन्हें ऐसा करने से रोकता है तो वे उस पर टूट पड़ते है, जिसके कारण राज्य में कानून–व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई है, पुलिस का तो मनोबल पहले से ही तोड़ दिया गया है, जिसका प्रमाण है इस प्रकार की घटनाएं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को चाहिए कि इस मामले में आसन्न मानसून सत्र के दौरान अपनी स्थिति स्पष्ट करें और जनता को बताएं कि पार्टी और उनकी राय क्या है?
उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा के मानसून सत्र को लेकर पार्टी एक अलग प्रकार की रणनीति पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि 22 जुलाई को झामुमो के सारे विधायक राजभवन के समक्ष वनाधिकार कानून में साजिश रचने के खिलाफ धरना देंगे। इस मामले को राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति तक ज्ञापन के माध्यम से अपनी बातें पहुंचाई जायेगी, क्योंकि वर्तमान सरकार सर्वोच्च न्यायालय में जनहित की बात नहीं रख रही।