योगदा आश्रम आकर मैं धन्य हो गया, मैं परम सौभाग्यशाली मुझे आने का अवसर मिला – शिवराज
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिव राज सिंह चौहान, के शब्दों में, “योगी कथामृत पढ़ ही रहा था कि रांची आने का कार्यक्रम बन गया। यहां स्वाभाविक रुप से इच्छा हुई कि “योगदा” जाना ही चाहिए। धन्य हो गया और रुकने की इच्छा थी, अद्भुत दिव्य ऊर्जा क्षेत्र जहां बैठकर ध्यान की इच्छा होती है। परम सौभाग्यशाली हूं, आने का अवसर मिला।”
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लेखिनी से ये भाव ऐसे ही नहीं निकल गये, वस्तुतः परमहंस योगानन्द की लिखी “योगी कथामृत” में व्याप्त अध्यात्म की अद्भूत अनुभूति ने उन्हें इस प्रकार से अनुप्राणित किया कि वे रांची आकर बिना योगदा सत्संग आश्रम में कुछ पल बिताए नहीं रह सके।
अपने अन्य राजनीतिक मित्रों–शुभचिन्तकों के साथ सायंकाल में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान योगदा सत्संग आश्रम पहुंचे, जहां स्वामी ईश्वरानन्द गिरि और स्वामी श्रद्धानन्द गिरि ने उनका स्वागत किया, इस अवसर पर शिवराज सिंह चौहान ने योगदा सत्संग मठ को पांच चंदन के पौधे भेंट किये, जबकि स्वामी श्रद्धानन्द गिरि और स्वामी ईश्वरानन्द गिरि ने शिवराज सिंह चौहान को योगी कथामृत, कृष्ण अर्जुन संवाद (परमहंस द्वारा अनुवादित गीता) एवं भगवान श्रीकृष्ण के चित्र भेंट किये।
इसी बीच स्वामी ईश्वरानन्द गिरि ने योगदा सत्संग मठ की खूबियों इनकी आध्यात्मिक विरासत और इस मठ द्वारा की जा रही आध्यात्मिक उन्नति के कार्यों से श्री चौहान का परिचय कराया, साथ ही बताया कि कैसे परमहंस योगानन्द ने रांची में 1917 ई. में योगदा सत्संग मठ की स्थापना की और फिर तीन वर्षों बाद अमरीका जाकर क्रिया योग को विश्व के मानचित्र पर प्रतिस्थापित कर भारतीय योग की धाक जमा दी।
स्वामी ईश्वरानन्द गिरि ने शिवराज सिंह चौहान को बताया कि यह संस्था केवल आध्यात्मिक उन्नति की ही बात नहीं करती, बल्कि यह सामाजिक व राष्ट्रीय कार्यों में भी अपना योगदान दे रही है, जैसे शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदा सत्संग मठ के क्रियाकलापों को भूलाया नहीं जा सकता। शिवराज सिंह चौहान ने इसी बीच एक–एक पल का आनन्द लिया तथा जिस कक्ष में गुरुजी ने ज्यादातर समय बिताये, उस कक्ष में जाकर गुरुजी को श्रद्धा निवेदित किये तथा कुछ पल ध्यान भी लगाया।
शिवराज सिंह चौहान यहां करीब तीस मिनट तक ठहरें और योगदा सत्संग मठ के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करनी चाही, उन्होंने संन्यासियों से बातचीत में कहा कि उनका विषय दर्शन रहा हैं, इसलिए वे आध्यात्मिक और दर्शन उनका मुख्य आकर्षण रहा है, आज वे सही मायनों में योगदा सत्संग मठ आकर धन्य हो गये।