“प्रभात खबर” ने कैलाश-मानसरोवर की यात्रा के नाम पर सब्सिडी लेनेवाले धनाढ्यों की खोली पोल
आम तौर पर सब्सिडी की बात जहां भी आती है, तो यही माना जाता है कि सरकार सब्सिडी वहीं देती है, जहां सब्सिडी की जरुरत पड़ती है, ताकि सब्सिडी प्राप्त कर रहे व्यक्ति के जीवन में कुछ बेहतर हो सकें तथा उसका जीवन स्तर सुधर सकें या समाज में सम्मान पूर्वक जीवन जी सकें, कुछ सब्सिडी गरीबों को भी दी जाती है, जिसकी सहायता से उनका जीवन सुधर भी रहा है, गरीबों को मिलने वाला एक रुपये में चावल या अन्य खाद्यान्न अथवा किरासन तेल, उज्जवला योजना के अंतर्गत मिल रहा रसोई गैस का कनेक्शन, हाल ही में राज्य सरकार द्वारा बीपीएल परिवारों को भारतीय धर्मस्थलों की सैर करवाना भी उसी श्रेणी में आता है।
इधर राज्य सरकार ने चीन स्थित कैलाश–मानसरोवर यात्रा के लिए एक लाख सब्सिडी देने की घोषणा की, तब एक नये प्रकार के सब्सिडी लेनेवाले लोगों का उदय हो गया, ये वो लोग है जिन्हें ईश्वर ने किसी चीज की कमी नहीं दी है, ये चाहे तो जितना सब्सिडी कैलाश–मानसरोवर के लिए राज्य सरकार से प्राप्त किये हैं, चुटकियों में खर्च कर दें, पर वो कहावत है न, जब मुफ्तखोरी की आदत लग जाती है, तो फिर इज्जत की चिन्ता किसे रहती है।
रांची से एक अखबार प्रभात खबर ने अपने प्रथम पृष्ठ पर जबर्दस्त खबर छापी है, ये खबर है कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गये लोगों की सब्सिडी लेने से संबंधित है, जो धनाढ्य है, जो डाक्टर है, बिल्डर है, वरीय प्रशासनिक अधिकारी है, नेताओं के सलाहकार है, जो कभी पत्रकार भी रह चुके हैं और कभी–कभी पलती गली से पत्रकारिता करने का शौक भी रखते है, जब ऐसे लोग धर्म के नाम पर इस प्रकार की हरकत करेंगे, तो देश और समाज रसातल में तो जायेगा न।
ये क्या ये लोग धर्म के नाम पर भी अधर्म करना नहीं छोड़ते और दूसरे के हिस्से का पैसा हजम करने से नहीं चूकते, ये क्यों नहीं समझते कि ये राशि उन लोगों के लिए राज्य सरकार ने निर्धारित की थी, जो आर्थिक रुप से कमजोर तथा कैलाश–मानसरोवर यात्रा का सपना संजोए रखते हैं, अरे जब आप ऐसे लोगों के सपनों पर कुठाराघात करोगे तो तुम्हारी कैलाश मानसरोवर यात्रा कैसे सफल होगी, लानत है तुम लोगों की ऐसी धार्मिक यात्रा पर।
अखबार प्रभात खबर ने मुख्यमंत्री रघुवर दास का बयान भी छापा है, जिसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास कहते है “कैलाश–मानसरोवर की यात्रा हर हिन्दू करना चाहता है, आर्थिक रुप से कमजोर लोग इस यात्रा पर नहीं जा पाते, इसलिए झारखण्ड सरकार ने वैसे तीर्थयात्री, जो आर्थिक रुप से कमजोर है, को एक लाख रुपये की कैलाश मानसरोवर अनुदान राशि दे रही है” ये बातें खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कैलाश मानसरोवर से लौटे तीर्थयात्रियों को अनुदान राशि प्रदान करते हुए चार मार्च 2019 को कही थी।
अब सवाल उठता है कि जिन लोगों ने अब तक कैलाश–मानसरोवर की यात्रा के नाम पर लाखों रुपये उठाएं, वे छाती पर हाथ धरकर कहें कि क्या ये अनुदान राशि उनके लिए थी, और क्या वे आर्थिक रुप से कमजोर है? और नहीं तो इस प्रकार का कंगाली का रोल सब्सिडी प्राप्त करने के लिए क्यों किया? क्या धर्म के नाम पर किया गया ये अधर्म, कैलाश मानसरोवर स्थित भोलेनाथ को पता नहीं होगा, और जब उन्हें पता चलेगा तो आपको इस धार्मिक यात्रा का फल मिलेगा? ये तो महाकुकर्म है, इस महाकुकर्म की सजा जब कैलाशवाले बाबा देना शुरु करेंगे तो फिर मुक्ति भी नहीं मिलेगी?
अखबार ने लिखा है कि सब्सिडी लेनेवाले 58 लोगों में 32 पति–पत्नी है, यानी एक जोड़ा दो लाख रुपये गटक लिया, आखिर ये कुकर्म नहीं तो और क्या है? प्रभात खबर ने जो धर्म के नाम पर लाखों पर रुपये गटके हैं, उसकी सूची भी जारी की है, जो हम आपको इस आलेख में भी दे रहे हैं, आपको जानना चाहिए, क्योंकि ये लोग अगर आपके अगल–बगल में दिखे, तो उन्हें उनकी कैलाश–मानसरोवर यात्रा और दो–दो लाख अनुदान लेने की बधाई अवश्य दें, ताकि उन्हें थोड़ा शर्म महसूस हो, लेकिन हमें नहीं लगता कि ये शर्म महसूस करेंगे, क्योंकि शर्म महसूस करनेवाला व्यक्ति ऐसी हरकत नहीं करता, वह धार्मिक यात्रा सब्सिडी से नहीं, बल्कि अपने पुरुषार्थ के पैसे से संपन्न करता है।
सब्सिडी के नाम पर धार्मिक यात्रा संपन्न करनेवाले ऐसे आर्थिक रुप से संपन्न कंगालों को देखते हुए लगता है कि अगर सरकार वृद्धावस्था पेंशन लेनेवाले की जांच करवा दें तो पता चलेगा कि वृद्धावस्था पेंशन लेनेवालों में भी आर्थिक रुप से संपन्न कई परिवार के वृद्ध सदस्य मिल जायेंगे, जैसे की आजकल बीपीएल परिवार को मिल रहे मुफ्त अनाजों को लेकर, कुछ ऐसे लोगों ने भी बीपीएल कार्ड बनवा लिये हैं, जिनके घर में एक नहीं कई बच्चे सरकारी सेवा में है।
अगर देश व राज्य में ऐसे–ऐसे नये कंगाली पैदा ले लेंगे तो यकीन मानिये इस देश का भला कैलाश–मानसरोवर वाले बाबा भी नहीं कर पायेंगे, क्योंकि जमीर और चरित्र को ताखा पर रखकर लोग, जब ऐसी हरकत करेंगे तो देश का बेड़ा गर्क होना तय है, फिलहाल ऐसे लोगों के नाम को देखिये और माथा पीटिये कि ऐसे लोग इस प्रकार की हरकत कैसे कर बैठते है, आखिर कौन ऐसा अनाज ये खाते है, जहां से उनके दिमाग में ऐसी गिरी हुई हरकतें करने के लिए बुद्धि का जन्म हो जाता है।