ए के राय को राजनीतिक संत कहकर श्रद्धांजलि देनेवालों, एक दिन उनके जैसा बनकर भी तो दिखाओ
धनबाद के दामोदर नदी स्थित मोहलबनी घाट पर एक चिता धू–धू कर जल रही थी, ये चिता थी महान आदर्शवादी, वामपंथी विचारक एवं एक राजनीतिक संत ए के राय की। यह धू–धू कर जलती चिता धीरे–धीरे ए के राय के शव को अपने आगोश में लेकर धू–धू कर जल रही थी, उस चिता के आस–पास हजारों की संख्या में लोग अपने प्रिय नेता ए के राय को श्रद्धांजलि देने के लिए जूटे थे।
जिनमें ज्यादा वे लोग थे जो मजदूरी करते है, ए के राय से बहुत ही अनुराग करते थे, और अंदर ही अंदर उनकी आत्मा इस दृश्य को देखकर रो रही थी, क्योंकि उन्हें पता था कि अब उनके प्रिय नेता ए के राय अब कभी नहीं दिखेंगे, लेकिन यहां कुछ ऐसे लोग भी थे, जो राजनीतिज्ञ, बुद्धिजीवी, ठेकेदार, पत्रकार की श्रेणी में आते थे, जो अपने सोशल साइट पर ए के राय को श्रद्धांजलि देकर झूठा रोना रो रहे थे।
धनबाद और रांची से प्रकाशित कई अखबारों, चैनलों और पोर्टलों में कार्य करनेवालों ने खूब रोना रोया और उन्हें राजनीतिक संत बता दिया। ए के राय सचमुच राजनीतिक संत थे, और उन्होंने बता भी दिया कि एक सामान्य व्यक्ति या एक राजनीतिज्ञ या एक सांसद के रुप में कैसे जीया जाता है, पर दुर्भाग्य हैं, इस समाज का और इस समाज मे रहनेवाले लोगों का जो दूसरे में अच्छाई देख, उन्हें श्रद्धांजलि तो दे देते हैं।
लेकिन उनके जैसे बनने का प्रयास नहीं करते, अगर श्रद्धांजलि देने के बजाय थोड़ा ए के राय के जैसा बनने का प्रयास करते तो इसमें कोई दो मत नहीं कि ए के राय की आत्मा यह देखकर प्रसन्न होती कि चलो जिन्दा में न सहीं, कम से कम उनके मरने के बाद, उनके चाहनेवालों तथा श्रद्धांजलि देने का नाटक करनेवालों ने कुछ तो सीखा और अपने जीवन को सुधारने के लिए तथा समाज को कुछ देने के लिए उनके बताये मार्ग पर चलने को अब आतुर है।
जरा देखिये, सभी को पता है कि ए के राय ने तीन–तीन बार विधायक और तीन–तीन बार सांसद रहते हुए एक बार भी न तो वेतन लिया और न ही पेंशन लिया, अब ए के राय को श्रद्धाजंलि देनेवाले सांसद व विधायक बताएं कि क्या वे ए के राय के इस सिद्धांत को अपनाने के लिए तैयार है, अगर नहीं तो फिर श्रद्धांजलि या उन्हें संत बताने का नाटक क्यों? तुम भी क्यों नहीं ए के राय बनने का प्रयास कर रहे हो।
जरा पत्रकारों को देखिये, जिन्हें कुछ भी नहीं मिलता, अगर कुछ को उनके संस्थान अगर देते भी हैं तो इतना नहीं कि वे शानो–शौकत की जिंदगी जी सकते हैं, पर जरा देखिये इनकी जिंदगी, आप हैरान रह जायेंगे, लेकिन ये भी खुब ए के राय के सम्मान में बहुत कुछ लिख रहे हैं, अरे जब ए के राय के जैसा जीवन जी नही सकते तो तुम्हारा सम्मान देना या न देना दोनों बराबर है।
ए के राय ने जो जिंदगी जी, वो कभी कोई जी ही नहीं सकता, अपने लिए कुछ भी नहीं रखा, जो उनके पास था, सब देकर गये, न अपने लिए महल खड़े किये और न ही अपने लिए कुछ जुगाड़ किया, वो तो शान से फकीरी की जिंदगी जी कर, हमें यह सिखाने की कोशिश की, कुछ भी अपने लिए मत रखो, सब उसे दे दो, जिसे उसकी चाहत है, उन्होंने अपने जिंदगी में ही बता दिया कि जिंदगी कैसे जी जाती है?
मैं पांच साल धनबाद में ईटीवी में कार्य किया, उसके पूर्व करीब चार महीने दैनिक जागरण में जब दैनिक जागरण पटना से प्रकाशित हो रहा था, तो उसमें भी सेवा दी थी, उस दौरान ए के राय से मिला, जब भी मिला, मुझे असामान्य दिखे। रांची में जब सुशान्तो के घर आये, तो उनसे वहां भी मिला, क्योंकि जहां सुशान्तो रहते थे, उसी के बगल में हमारा परिवार एक किराये के घर में रहते थे, अपने बच्चों को कहा, चलो मिलते है ए के राय से, बगल में आये हुए हैं, बच्चे मिले और वे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।
मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि झारखण्ड में दो नेताओं ने गजब ढाया है, और संयोग देखिये, दोनों वामपंथी निकले, जबकि सबसे ज्यादा सत्य, शुचिता व शुद्धता की बातें अगर कोई करता है, तो भाजपा ही करती है, पर जरा उनसे पूछिए कि तुम्हारे पास कितने का. ए के राय या का. महेन्द्र प्रसाद सिंह हैं, तो पता चलेगा कि शून्य।
इसी धनबाद में एक पीएन सिंह हैं, जो धनबाद से सांसद है, जरा देखिये उनकी शानो–शौकत और एक विधायक है बाघमारा का ढुलू महतो, जरा देखिये उसकी सेना और उसके लोग, आपको पता लग जायेगा। आज तो धनबाद में ही कई युवा मिल जायेंगे, जो ढुलू महतो बनना चाहेंगे, पर ए के राय बनने में उन्हें शर्म महसूस हो रही है, कई पत्रकारों को देखिये जो ढुलू महतो के आवास पर जाकर नतमस्तक हो जाते है।
पर ए के राय के आगे उन्हें जाने में दिक्कत होती थी, क्योंकि ए के राय के पास क्या मिलेगा सिर्फ और सिर्फ आदर्श तो ऐसा आदर्श से उन्हें आज क्या मिलेगा? कहने का मतलब है, जिन्हें पैसे में, अनैतिकता में ही दुनिया दिखाई पड़ती है, उन्हें कोई अधिकार नहीं कि ए के राय के लिए आंसू बहाएं, क्योंकि ए के राय की आत्मा को वे आंसू ज्यादा पसन्द है, जिन आंसूओं में ईमानदारी, सत्य व सच्चरित्रता का सुगंध समावेशित हो।