विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री समेत पूरे सरकार के तेवर ढीले कर दिये नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने
आज विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी समेत सारी सरकार के तेवर ढीले कर दिये। सदन में आज का प्रश्नकाल शुरु होने के पहले अपने विधायकों तथा विपक्षी दलों के अन्य नेताओं के साथ विभिन्न तख्तियों को लेकर नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने सबसे पहले विधानसभा के मुख्य द्वार पर प्रदर्शन किया।
उसके बाद सदन शुरु होते ही स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी द्वारा अपने इलाके में एक काम के बदले लिये गये कमीशन को लेकर, स्वास्थ्य मंत्री समेत पूरे सरकार को कटघरे में खड़ा किया। राज्य सरकार की घिग्घी बंधता हुआ देख, सत्तारुढ़ दल के नेताओं ने अपनी चाल के अनुरुप हंगामा खड़ा करने की कोशिश की, होना तो यह चाहिए था कि सरकार से पूछे गये प्रश्न का जवाब सरकार देती, पर सरकार जवाब देने के मूड से ज्यादा हंगामा खड़ा करने में ज्यादा दिमाग लगा रही थी, जिसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी अपने लोगों का मनोबल बढ़ाया।
नेता प्रतिपक्ष की मांग थी कि जिस प्रकार से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा एक काम को लेकर कमीशन लेने की विडियो राज्य की जनता ने देखा, उस पर सदन के नेता जवाब दे, पर सदन के नेता जवाब देने के मूड में नहीं थे, एक बार तो हंगामा होता देख, सदन के नेता सदन से ही उठकर चले गये। इधर स्पीकर ने स्वास्थ्य मंत्री पर लग रहे आरोपों को देखते हुए, स्वास्थ्य मंत्री से ही अपना पक्ष रखने को कहा, स्वास्थ्य मंत्री ने वही बात कही, जो हमेशा से कहते रहे हैं, उनका कहना था कि उनके विरोधियों ने उन्हें फंसाने के लिए विडियो को तोड़–मरोड़कर पेश किया, जिसके खिलाफ उन्होंने प्राथमिकी दर्ज करा दी है, इधर स्वास्थ्य मंत्री के इस जवाब से विपक्ष संतुष्ट नहीं दिखा और न ही नेता प्रतिपक्ष दिखाई पड़े।
इसी बीच इस हंगामे के बीच सत्तारुढ़ दल की ओर से नगर विकास मंत्री सी पी सिंह, श्रम मंत्री राज पालिवाल तथा मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने मोर्चा संभाला, पर विपक्ष के मोर्चाबंदी के बीच उनकी एक नहीं चली। इसी बीच सत्तारुढ़ दल से किसी ने हेमन्त सोरेन पर भूमि से सबंधित कब्जे का आरोप लगाया, जिस पर नेता प्रतिपक्ष एसआइटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग तथा सरकार से पूरे मामले पर सीबीआइ की जांच की मांग कर दी, जिससे पूरा सत्तारुढ़ दल ही सकते में आ गया, उन्हें लगता था कि जमीन के मामले को उठाने पर नेता प्रतिपक्ष की हालत पस्त हो जायेगी, लेकिन यहां हुआ उलटा, भूमि मामले की बात पर स्थिति ही उलट गई।
मामला गरम होता देख, स्पीकर ने मोर्चा संभाला तथा नेता प्रतिपक्ष को संतुष्ट करने की कोशिश की, उनका कहना था कि जिन पर आरोप है, उन्होंने अपनी बात रख दी, अब विपक्ष को शांत हो जाना चाहिए, और प्रश्नकाल जारी रखना चाहिए, इस प्रकार सदन में आधे घंटे बवाल होता रहा। इधर अल्पसूचित प्रश्नकाल में जिस प्रकार से विपक्ष और सत्तारुढ़ दल के लोगों ने सरकार से सवाल पूछे और सरकार के मंत्रियों ने जिस प्रकार जवाब दिये, उससे साफ लगता है कि सरकार के मंत्री अपने विभागीय सवालों के जवाब का सही उत्तर देने में ईमानदारी नहीं बरतते।
आधा सावन महीने बीत गया पर बारिशों की कहीं अता पता नहीं दिखाई दे रहा है । झारखंड प्रदेश के समस्त किसानों का हाल बेहाल है ।