CPIML ने केन्द्र द्वारा धारा 370 को रद्द करने और जम्मू-कश्मीर के विभाजन को तख्तापलट करार दिया
भाकपा माले का कहना है कि राष्ट्रपति के आदेश द्वारा धारा 370 को रद्द करना और जम्मू एवं कश्मीर राज्य को दो केन्द्र शासित क्षेत्रों लद्दाख और जम्मू–कश्मीर में विभाजित करना भारतीय संविधान के विरुद्ध तख्तापलट जैसी कार्यवाही से कम नहीं है। मोदी सरकार अपने लुके–छिपे साजिशाना और गैर कानूनी तौर तरीकों से संविधान को कश्मीर को बाकी भारत से जोड़नेवाले महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पुल को, जलाने का काम कर रही है।
भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस तख्ता पलट की तैयारी में मोदी सरकार ने पिछले एक सप्ताह से कश्मीर की घेराबंदी कर रखी थी। दुनिया के इस सबसे अधिक सैन्यीकृत क्षेत्र में 35000 सैन्य बल और भेज दिये गये थे। सैलानियों और तीर्थयात्रियों को घाटी छोड़ने की चेतावनी दे दी गई थी, जबकि वहां कश्मीरी लोगों ने उनके स्वागत में अपने वहां अपने दरवाजे खोले हुए थे।
उसके बाद अब, विपक्ष के नेताओं को नजरबन्द कर दिया गया है, इंटरनेट को बंद कर दिया गया है, पेट्रोल की बिक्री बंद है, और पुलिस थाने सीआरपीएफ को सौंप दिये गये हैं। संविधान के अनुसार जम्मू एवं कश्मीर की सीमाओं को पुनर्निधारित करने अथवा धारा 370 और धारा 35 ए के बारे में कोई भी निर्णय वहां की राज्य सरकार की सहमति के बगैर नहीं लिया जा सकता है।
2018 में जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा बगैर किसी दावेदार को सरकार बनाने का मौका दिये गैरकानूनी तरीके से भंग कर दी गई थी, फिर केन्द्र सरकार ने संसदीय चुनावों के साथ जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा के चुनाव कराने से इन्कार कर दिया था। इसलिए राष्ट्रपति द्वारा जारी किया गया यह आदेश पूरी तरह से एक तख्तापलट है।
जिस प्रकार नोटबंदी ने भ्रष्टाचार और कालेधन को कम नहीं किया, बल्कि इसने आम जनता के लिए नई समस्याएं पैदा कर दी और भ्रष्टाचार को बेतहाशा बढ़ा दिया, उसी प्रकार जम्मू एवं कश्मीर के बारे में ऐसा हादसा जनक और गुप्त फैसला जबकि वहां इस समय एक चुनी हुई विधानसभा भी नहीं है, कश्मीर समस्या को हल नहीं करेगा बल्कि वहां के हालात को और खराब कर देगा। वहां बढ़ाया जा रहा सैन्य बलों का जमावड़ा और विपक्षी दलों पर हमला जम्मू एवं कश्मीर की जनता को और ज्यादा अलगाव में डाल देगा।
इस प्रकार का तख्तापलट केवल कश्मीर के हालात पर ही बुरा असर नहीं छोड़ेगा, बल्कि यह संविधान पर एक सीधा हमला है और इसका असर पूरे भारत पर पड़ेगा। भाजपा जम्मू एवं कश्मीर में उठाये गये इस कदम से नागरिकता संशोधन बिल और एनआरसी आदि के माध्यम से भारत को फिर से 1940 के दशकवाली उथल–पुथल और अशांति की ओर धकेल रही है। जम्मू एवं कश्मीर में आज वस्तुतः आपातकाल लागू कर दिया गया है। पूरे भारत को दृढ़ता से इसके विरोध और प्रतिरोध में खड़े होना होगा, क्योंकि यहीं आपातकाल जल्द ही पूरे भारत में फैलने के संकेत दे रहा है।
भाकपा माले संकट के इस समय में जम्मू एवं कश्मीर की जनता के साथ खड़ी है और यह आह्वान करती है कि संविधान पर हुए इस हमले और तख्तापलट के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन आयोजित किये जाये। भाकपा माले के अनुसार कश्मीर घाटी से सैन्य बल हटा लिये जाने चाहिए, धारा 370 और धारा 35 ए को तुरन्त बहाल करना चाहिए, तथा जम्मू–कश्मीर में नजरबंद सारे विपक्षी नेताओं को तत्काल रिहा करना चाहिए।