मोदीजी, जैसे सांसद बनवा दिये, ठीक उसी तरह विधायक भी बनवायेंगे, जरुरत क्या है दिमाग लगाने की
सबसे पहले धनबाद के एक भाजपा समर्थक कुणाल शर्मा के शब्दों पर ध्यान दें, “पहले भाजपा में यदि किसी कार्यक्रम में 100 लोगों को बुलाया जाता तो 20 आते थे, फिर 2013 में ये संख्या 30 तक हो गई। फिर जब 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बन गई तो ये संख्या तेजी से बढ़कर 100 में 60-70 तक पहुंच गई।
परन्तु मार्च 2014 में झारखण्ड में भाजपा की सरकार बनते ही अचानक बिना बुलाये, भाजपा के कार्यक्रमों में 100 की जगह पर 500 आने लगे और इस भीड़ में बेचारे, वो जो शुरुआत के 20 थे, बिल्कुल अंतिम पंक्ति में पहुँच गए। और ये जो 480 हैं ये इतना सक्रिय दिखते हैं, जैसे इनके बाप–दादा जनसंघ के संस्थापक सदस्य रहे हों। और बेचारे वो 20 शांत होकर घर में बैठ गए, क्योंकि वो नए आयातित भाजपाईयों की तरह नौटंकी तो कर नहीं सकते।”
एक भाजपा विधायक हैं, जो अपना नाम कोट न करने के संकल्प कराने के बाद यह कहते हैं कि “मिश्रा जी, जिस भाजपा की बात आप करते हैं, दरअसल वो भाजपा है कहां? पहले भाजपा कैडर पार्टी कहलाती थी, बाद में स्वयंसेवकों की पार्टी कहलाई और अब मास पार्टी हैं” ऐसे में भाजपा से यह कामना करना की यह पार्टी विद् डिफरेंस हैं, तो जो इस प्रकार का वर्तमान में सोच रख रहा हैं, तो शायद वो बहुत भोला है या महामूर्ख।
पूर्व में भाजपा में जिन लोगों को शामिल कराने की बात होती थी या जो लोग शामिल होना चाहते थे, उनका पूरा कैरेक्टर देखा जाता था, अब कैरेक्टर नहीं देखा जाता, अब उसकी जाति, पावर और पैसा देखा जाता है, यानी जो कल्चर कांग्रेस में अंगद की तरह पांव जमाएं हुए थी, वही कल्चर भाजपा में आ चुकी है, हम भी ज्यादा दिमाग नहीं लगाते, जो हो रहा हैं, उसमें बहे जा रहे हैं, नहीं तो हमको भी किनारे लगा देगा सब, क्या समझे?
रही बात समर्पित कार्यकर्ता की, तो वे अब स्वयं दूर इससे होते जा रहे हैं, आखिर वे अपनी उपेक्षा या सम्मान से क्यों खेले? हां, अगर भाजपा नहीं सुधरी तो कांग्रेस को इस स्थिति में आने में सौ वर्ष लग गये, भाजपा को तो पचास वर्ष भी नहीं लगेंगे, क्योंकि समय इतनी तेजी से बदल रहा हैं, जनता की सोच इतनी तेजी से बदल रही हैं, कब जनता का कोपभाजन बनना पड़े जायेगा पार्टी को, शायद हमारे क्षेत्रीय नेता या राष्ट्रीय नेता समझ नहीं पा रहे, और हमें लगता है कि जब तक समझेंगे, तब तक देर हो चुकी होगी, क्योंकि जब आप कांग्रेसी कल्चर अपनी पार्टी में ला ही दिये तो डायरेक्ट कांग्रेस को लोग क्यों न चून लें?
ये दर्द किसी अन्य पार्टी के कार्यकर्ता/विधायक/समर्थकों का नहीं, बल्कि विशुद्ध भाजपा के समर्पित लोगों का है। भाजपा कार्यकर्ताओं/समर्थकों का मानना है कि भाजपा के सांसदों/विधायकों तथा इनके पदाधिकारियों के तौर–तरीकें, व्यवहार, चाल–चलन में काफी परिवर्तन आया है, सब अपनी धुन में चले जा रहे है, अब तो ये जनता की भी नहीं सुनते, ये तो सीधे कहते है कि मोदी जी है ही, जैसे वे सांसद बना दिये, ठीक उसी तरह विधायक भी बना देंगे, इसलिए जनता के हितों को देखने की जिम्मेदारी हमारी थोड़े ही हैं, मोदी जी के नाम पर जनता ने वोट दिया, अब मोदी जी समझेंगे। और लीजिये हर–हर मोदी, घर–घर मोदी कहकर चल दिये।
आजकल तो सोशल साइट पर घर–घर रघुवर का प्रचलन चल गया है, जिसमें केवल झूठ छोड़कर और विपक्षी दलों को झूठा साबित करने के सिवा दूसरा कुछ नहीं होता, इधर पार्टी ने आइटी सेल में अच्छे–अच्छे धूरंधर बंदोबस्त कर दिये हैं, जो अच्छे–अच्छे लोगों के सम्मान से खेलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे, ऐसे में पार्टी को जो नीचे जाना है, वो जायेगा ही, चाहे लोग कुछ भी कर लें।
कल का दिन कांग्रेस का था, आज का दिन भाजपा का हैं, कल किसी और का होगा और इसी कल में भाजपा समाप्त हो जायेगी, फिर पार्टी के कार्यकर्ता व उसके समर्थकों की उपेक्षा लोगों को समझ में आ जायेगी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी, और लोग जो आज उछल–उछल कर भाजपा में आ रहे हैं, उस वक्त भाजपा से उछल–उछलकर मेढ़क की तरह दूसरे दलों में जाने की तैयारी शुरु कर देंगे, क्योंकि आज जो वे आ रहे हैं, वे पार्टी के नीतियों व सिद्धांतों को देख–समझकर थोड़े ही आ रहे हैं, किसी को जाति के नाम पर भूपेन्द्र यादव दिख रहा हैं तो किसी को जाति के नाम पर राजनाथ सिंह दिखाई दे रहे हैं तो किसी को जाति के नाम पर मोदी–शाह और दास दिख रहे हैं और बाकी जो जातियां थी, जिन्हें वे भाजपा को अपना समझते थे, उनकी आजकल कोई पूछ ही नहीं, ऐसे में भाजपा कब साफ हो जायेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता।
भाजपा के एक बड़े नेता कहते है कि 2014 में यहां की जनता ने लोकसभा में भाजपा को 12 सीटें थमा दी थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में उसे स्पष्ट बहुमत नहीं दी थी, आज फिर वहीं स्थिति हैं, 65+चिल्ला रही, भाजपा 20- से आगे बढ़ने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि लोग राज्य के मुख्यमंत्री के सफेद झूठ से इतने परेशान हैं कि पूछिये मत। पूरे देश में एकमात्र मुख्यमंत्री रघुवर दास हैं जो किसानों को भी आशीर्वाद देने में कोई कसर नहीं छोड़ते, जैसे लगता है कि ये भगवान हो गये हो, रही बात इनके विभाग सूचना एवं जनसम्पर्क और मुख्यमंत्री कार्यालय की तो वो तो प्रेस रिलीज जारी कर, उन्हें खुदा बना ही चुका है, इसलिए जरुरत भी क्या हैं, विधानसभा चुनाव के लिए दिमाग लगाने की, जब आप भगवान ही हो गये तो आप आराम से सत्ता हासिल कर ही लेंगे।