ठेके पर काम कर रहे IPRD के अधिकारियों को चार माह से वेतन नहीं, मुफ्त में काम करा रही रघुवर सरकार
झारखण्ड का सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग महान है। यह महान विभाग राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास के जिम्मे है। जहां पांच महीने बीतने को आये, पर ठेके पर काम कर रहे सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के सहायक जन सम्पर्क अधिकारी, सोशल मीडिया पब्लिसिटी ऑफिसर तथा अन्य को पिछले साढ़े चार माह से वेतन नहीं मिले हैं।
वेतन नहीं मिलने से नाराज कई अधिकारी कई स्थानों पर काम पर नहीं आ रहे, जबकि कई ऐसे भी हैं, जो मन मारकर इस अंदेशे से आ रहे है कि एक न एक दिन सुबह होगी, अंधेरे का बादल छंटेगा, और वेतन का भुगतान हो ही जायेगा, पर ये कब होगा? इसकी जानकारी उन्हें कोई उपलब्ध नहीं करा रहा।
इधर इन अधिकारियों से काम लेने का सिलसिला जारी है, उन्हें प्रतिदिन सरकारी जनसम्पर्क अधिकारियों द्वारा काम दिया जा रहा हैं और वे मन मारकर काम किये जा रहे हैं, यहीं नहीं हाल ही में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग और मुख्यमंत्री के सचिव सुनील कुमार बर्णवाल ने बैठक भी ली और राज्य सरकार के विभिन्न योजनाओं को जन–जन तक पहुंचाने के लिए इन सभी को काम करने को कहा, पर जनाब ने इस बात की सुध नहीं ली कि आखिर सरकार के अतिप्रिय लोगों को दिये गये सरकारी ठेके के बावजूद इन सरकारी ठेके पर रखे गये आइपीआरडी के अधिकारियों को, वह भी पिछले साढ़े चार महीनों से वेतन क्यों नहीं दिया गया?
कमाल है, इन अधिकारियों में वैसे लोग भी हैं जो दूसरे अखबारों में अच्छे पोस्ट और अच्छे वेतन पर थे, पर सरकारी लालच ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा, शायद उन्हें लगा कि यहां कुछ वहां से बेहतर होगा, वे सब कुछ छोड़छाड़ कर चले आ गये, पर हुआ क्या, वहीं लोकोक्ति कि “चौबे गये छब्बे बनने, दूबे बनकर आये” चरितार्थ हो गई। इधर कई अधिकारी अभी से नये विकल्प तलाश रहे हैं, तथा सरकारी चकाचौंध से उनका अब विश्वास डिगने लगा है, अगर उन्हें नया विकल्प जल्द मिलता है, तो वे इसे छोड़ना ज्यादा पसन्द करेंगे।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि मिट्टी के डाक्टरों को बहाल करने से अच्छा है कि जो लोग रघुवर सरकार के चेहरे चमका रहे हैं, उन पर सरकार ध्यान दें, नहीं तो अंत में दिक्कत सरकार को ही होगी, ये क्या आप काम करा ले रहे हैं और वेतन देने/दिलवाने में आना–कानी करवा रहे हैं?