1000 दिन के नाम पर रघुवर सरकार कर रही गलथेथरई, बेशर्मी का पीटा जा रहा ढिंढोरा
रघुवर सरकार की बेशर्मी और गलथेथरई देखिये, पूरे रांची को बैनर होर्डिंग्स से पाट दिया गया हैं। बैनर-होर्डिंग्स में केवल पीएम और सीएम हैं। बैनर-होर्डिंग्स ही नहीं, अखबारों और चैनलों को मुंहमांगी रकम मुंह में ठूंस दी गयी है। पत्रकारों, प्रधान संपादकों को मुख्यमंत्री के आगे ठुमरी गाने को कहा गया है। ये सभी पत्रकार, प्रधान संपादक और अखबार-चैनल के मालिक, एक पैर पर खड़े होकर रघुवर स्तुति गा रहे हैं। सभी स्तुति में यहीं कह रहे हैं कि रघुवर सरकार ने 1000 दिन पूरे कर लिये हैं। आज तक ऐसी सरकार कभी आयी ही नहीं।
दूसरी ओर जनता त्रस्त है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। लड़कियां गर्ल्स हास्टलों में भी सुरक्षित नहीं हैं। बलात्कारियों का दल व अपराधियों का समूह पूरे राज्य में नंगा नृत्य कर रहा हैं। भाजपा के कुछ नेता इतने बेशर्म हो गये है कि वे अपने सुरक्षाकर्मियों के मनोबल को इतना ऊंचा कर रखे हैं कि ये सुरक्षाकर्मी, सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों पर कारबाइन तान दे रहे हैं।
राज्य सरकार स्वयं शराब बेच रही है, शराब बेचने का धंधा ऐसा फल-फूल गया कि जहरीली शराब भी बाजार में बेची जाने लगी। नतीजा यह निकला कि जहरीली शराब पीने से पन्द्रह से ज्यादा लोगों की जानें चली गयी। यहीं नहीं भाजपा नेता के बेटे का अपहरण हो जाता है, और आज नौवां दिन हैं, पुलिस उसकी सुराग तक नहीं लगा पाती है। अब तक कई लड़कियां इस राज्य में दुष्कर्म का शिकार हुई, उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया, पर पुलिस उन दुष्कर्मियों और मौत के सौदागरों को पकड़ नहीं पाई, फिर भी सरकार मस्त है, सीएम रघुवर दास मस्त है, यह कहकर कि उन्होंने 1000 दिन पूरे कर लिये है।
स्थिति यह है कि एक बच्ची एक उपराष्ट्रपति वैंकेयानायडू से कुछ सवाल पुछती है। ये उपराष्ट्रपति महोदय भाजपा नेता की तरह उस प्रश्न का जवाब देते है, यानी सत्ता का अहं इस कदर भाजपा नेताओं पर सर चढ़कर बोल रहा है, कि उन्हें पता नहीं कि शाइनिंग इंडिया का क्या हाल हुआ था? इन भाजपा नेताओं को पता नहीं कि दिल्ली युनिवर्सिटी छात्र संघ के चुनाव में युवाओं के दृष्टिकोण ने साफ कर दिया है कि अब धीरे-धीरे युवाओं से भाजपा का जादू बहुत तेजी से नीचे उतर रहा हैं, अगर यहीं हाल रहा तो भाजपा के विरोधियों को कुछ भी करने की जरुरत नहीं होगी, जनता ऐसे ही इन्हें बहुमत के करीब लाकर खड़ा कर देगी, जैसा कि 2004 के लोकसभा चुनाव में हुआ था।
झारखण्ड का जो हाल है, वो तो राम ही जाने। यहां तो जब भी लोकसभा या विधानसभा के चुनाव होंगे। भाजपा का तो श्राद्ध करनेवाला तक नहीं बचेगा। जरा देखिये, 1000 दिन का ढिंढोरा पीटनेवाली रघुवर सरकार में केवल पिछले एक सप्ताह के अंदर क्या हुआ? और पूछिये रघुवर दास से कि ये सब क्या हो रहा है? उनके पास जवाब नहीं हैं…
- 6 सितम्बर को नगड़ी से भाजपा नेता मदन सिंह के बेटे समेत 3 युवाओं का अपहरण हो जाता है, अपहरणकर्ता 20 करोड़ की फिरौती मांगते हैं। आज नौ दिन हो गये, पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं, और सरकार “1000 दिन सुशासन के” का ढिंढोरा पीट रही हैं।
- राजधानी रांची में ही जहरीली शराब पीने से 15 लोगों की मौत हो जाती है। इन मरनेवालों में पुलिसकर्मी, खिलाड़ी, राष्ट्रपति पदक प्राप्त जवान भी शामिल है, पर सरकार बेशर्म है। इन जहरीली शराब के कारोबारियों को पकड़ने में अब तक असफल रही हैं। यहां तो राज्य सरकार ही शराब बेच रही हैं, इससे बड़े शर्म की बात और क्या हो सकती हैं, और सरकार “1000 दिन सुशासन के” का ढिंढोरा पीट रही हैं।
- भाजपा नेता वैद्यनाथ राम का बॉडीगार्ड रांची जंक्शन के प्लेटफार्म पर रेलवे हेल्थ इंस्पेक्टर पर गोली चला देता है, उक्त रेलकर्मी जीआरपी थाने में घुसकर जान बचाने की कोशिश करता हैं, वहां भी वह बॉडीगार्ड उसे कारबाइन से पीटता है, क्योंकि इंस्पेक्टर ने प्लेटफार्म पर चिप्स का खाली पैकेट फेंकने पर टोका था, मामला प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया, पर हुआ कुछ भी नहीं। ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री प्रतिदिन स्वच्छता अभियान का ढोल पीटते है, और राज्य सरकार “1000 दिन सुशासन के” का ढिंढोरा पीट रही हैं।
- दुमका में दोस्त के साथ घुमने निकली 20 साल की आदिवासी युवती से आठ युवकों ने सामूहिक दुष्कर्म किया, फोटो खींचा और दोनों को नग्न कर छोड़ गये, और सरकार “1000 दिन सुशासन के” का ढिंढोरा पीट रही हैं।
- रांची के चुटिया थाने के किशनसिंह कालोनी में हॉस्टल में घुस लड़कियों से रेप करने की कोशिश की गई, और यहां रांची पुलिस दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, समझौता कराने में लग गई। ऐसी है यहां की पुलिस और उसका चरित्र, और सरकार “1000 दिन सुशासन के” का ढिंढोरा पीट रही हैं।
- कर्ज में डूबे अनगड़ा के किसान ने कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली, अब तक आधा दर्जन से भी ज्यादा किसान इस राज्य में आत्महत्या कर चुके हैं, और सरकार “1000 दिन सुशासन के” का ढिंढोरा पीट रही हैं।
- राज्य के सबसे बड़े अस्पताल के जन-औषधि केन्द्र में सर्दी-खांसी तक की दवा उपलब्ध नहीं है, और सरकार “1000 दिन सुशासन के” का ढिंढोरा पीट रही हैं।
- प्रेस क्लब के नाम पर रघुवर स्तुति गानेवाले पत्रकारों की एक कमेटी बनाकर राज्य सरकार उन्हें मान्यता प्रदान कर देती है, यहीं नहीं बलबीर दत्त के चहेते वीपी शरण, जो कभी कांग्रेस के प्रवक्ता रह चुके है, उन्हें सदस्य बना दिया जाता है, यानी ऐसे लोग इसमें शामिल है, जो फील्ड में कहीं है ही नहीं, ये लोग अब उन्हें सदस्य बनायेंगे, जिन्होंने पत्रकारिता में एक मिसाल कायम की है और सरकार “1000 दिन सुशासन के” का ढिंढोरा पीट रही हैं।
- इंवेट व टेंट की सरकार बन गई है, रांची में। जो इवेंट और टेंट के नाम पर कमीशन का धंधा चला रहे हैं, और ऐसे में हो क्या रहा हैं? इनके कार्यक्रम में जनता भाग ही नहीं ले रही, जरा सोमवार को विधानसभा मैदान में नितिन गडकरी की सभा पर नजर डालिये, जहां मात्र गिनती के 36 आदमी मौजूद थे, जब सरकार के आयोजकों को पता लगा तो कुर्सियों को भरने के लिए सचिवालय से कर्मियों और चपरासियों को बुलाया गया ताकि सरकार की नाक बचाई जा सकें, और सरकार “1000 दिन सुशासन के” का ढिंढोरा पीट रही हैं।
सीएम रघुवर दास को मालूम होना चाहिए कि अरविन्द केजरीवाल और अखिलेश यादव ने भी प्रचार पर करोड़ों-अरबों फूंक दिये, पर उसका नतीजा क्या निकला? प्रचार पर करोड़ों फूंकने से जनता का दिल नहीं जीता जा सकता और न ही पत्रकारों को लॉलीपॉप चभाने से माइलेज मिलता। नेता को माइलेज सिर्फ और सिर्फ उसके काम से मिलता है, और सच्चाई यह है कि आपसे काम होगा नहीं, क्योंकि आप तो कनफूंकवों से घिरे हैं, ये कनफूंकवें आपको काम करने देंगे नहीं, और आप बैनर-होर्डिग्स पर ही सिमट कर रह जायेंगे।
आखिर सरकार किसकी है भाई। निचे से लेकर ऊपर तक के लोग दो-चार सीनियर ऑफिसर बाकि सभी तो लगे हुए है।