जदयू को झारखण्ड में बड़ा झटका, ‘तीर’ चुनाव चिह्न प्रतिबंधित, झामुमो के आग्रह को EC ने स्वीकारा
बिहार में भाजपा के साथ मिलकर सत्ता सुख भोग रही जदयू को झारखण्ड में बड़ा झटका लगा है। जदयू अब झारखण्ड में तीर चुनाव चिह्न पर चुनाव नहीं लड़ सकता। भारत निर्वाचन आयोग ने जदयू को तीर चुनाव चिह्न पर झारखण्ड में चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया हैं, अब झारखण्ड में जदयू के प्रत्याशी दूसरे चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे।
इस बात की जानकारी आज झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने रांची स्थित पार्टी कार्यालय में संवाददाताओं को दी। उन्होंने इस संबंध में विस्तार से बताया कि विगत मार्च महीने में भारत चुनाव आयोग ने एक आर्डर निकाला था, जिसमें जनता दल यूनाइटेड के कहने पर झामुमो के चुनाव चिह्न को बिहार में फ्रीज कर दिया गया था।
जनता दल यूनाइटेड के नेताओं ने इस संबंध में कहा था कि चूंकि बिहार में जदयू का चुनाव चिह्न तीर हैं और झामुमो का चुनाव चिह्न तीर–धनुष हैं, जिसको लेकर मतदाताओं में असमंजस की स्थिति हो जाती है, जिसको ध्यान में रखते हुए बिहार में झामुमो के तीर–धनुष चुनाव चिह्न को प्रतिबंधित कर दिया गया था।
वह भी तब, जबकि झामुमो बिहार से चुनाव लड़ती आ रही है, 1985 में हमें तीर–धनुष एलॉट हुआ था, जबकि जदयू 2003 की पार्टी है, उसके पहले इस पार्टी का अस्तित्व भी नहीं था, सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि उनकी पार्टी ने भारत निर्वाचन आयोग से इस संबंध में प्रार्थना की, 2 अप्रैल को पत्र के माध्यम से संपर्क साधा, साथ ही सिलसिलेवार ढंग से अपना पक्ष रखने का काम जारी रखा।
इस अपील के बाद 24 जून 2019 को भारत निर्वाचन आयोग के पास जाकर झामुमो के लोग व्यक्तिगत रुप से भी मिलकर प्रार्थना की, सत्य को रखा और कहा कि जब बिहार में उनके चुनाव चिह्न को फ्रीज कर दिया गया हैं, तो झारखण्ड में जदयू का तीर क्यों प्रतिबंधित नहीं किया जा रहा, जबकि जदयू के लोग जानबूझकर तीर चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ना चाहते है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि कल ही नीतीश कुमार रांची में कार्यकर्ता सम्मेलन करनेवाले थे।
ये अलग बात है कि उनका कार्यक्रम किसी कारणों से स्थगित हो गया, पर सच्चाई यह है कि नीतीश कुमार और जदयू के लोग तीर चुनाव चिह्न से झारखण्ड में चुनाव लड़कर भाजपा को मदद करने की जुगत लगा रहे थे। यह उनकी सोची समझी साजिश थी, रणनीति थी। भाजपावालों ने भी सोच रखा था कि अगर जदयू तीर चुनाव–चिह्न पर चुनाव लड़ता है, तो मतदाताओं में असमंजस की स्थिति होगी और उसका फायदा भाजपा को मिलेगा, क्योंकि भाजपा जानती है कि राज्य में रघुवर सरकार के क्रियाकलापों से राज्य की जनता कितनी खुश है?
भाजपा, जदयू के साथ मिलकर एक बड़े षडयंत्र को रच रही थी, लेकिन झामुमो को इस बात की खुशी है कि गत 16 अगस्त 2019 को भारत निर्वाचन आयोग ने झामुमो की सारी दलीलों को सुनते हुए, पार्टी के नेताओं के आग्रह को सम्मान देते हुए एक आर्डर निकाला, जिसमें इस बात का जिक्र है कि झारखण्ड में जदयू अपने तीर चुनाव–चिह्न पर चुनाव नहीं लड़ सकता, उसके तीर चुनाव–चिह्न को झारखण्ड में प्रतिबंधित कर दिया गया है। भारत निर्वाचन आयोग से निकला यह आर्डर सिर्फ जदयू के लिए ही नहीं, बल्कि भाजपा को भी झटका है। भाजपा वाले जितना अपना मंसूबे पाले हुए थे, उनके सारे मंसूबे पर पानी फिर गये।
झामुमो नेता ने कहा कि इन दिनों कभी मध्यप्रदेश, तो कभी राजस्थान, तो कभी गुजरात से भाजपा में नेताओं को बुलाने का दौर चला है, उन सारे दौरों की हवा हमारे नेता हेमन्त सोरेन के बदलाव यात्रा से निकल जायेगी। 26 अगस्त से शुरु होनेवाली यह बदलाव यात्रा 19 अक्टूबर के बदलाव रैला में तब्दील होकर रघुवर सरकार के पतन का कारण बनेगी, क्योंकि जनता का आशीर्वाद हेमन्त सोरेन के साथ बना हुआ है।
यह पूछे जाने पर कि नीतीश कुमार खुद झारखण्ड में भाजपा का विरोध कर रहे हैं, वे भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहते हैं, सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि यह सब दिखावा है, अगर वे सचमुच भाजपा के खिलाफ हैं तो पहले बिहार में भाजपा के सहयोग से जो उनकी सरकार चल रही हैं, उससे नाता तोड़े, यानी एक जगह आप गलबहियां डाले चलियेगा, और दूसरे जगह आप दिखायेंगे कि विरोध कर रहे हैं, ये नौटंकी अब जनता बहुत देख चुकी है।