ये है रघुवर का ‘राइजिंग झारखण्ड’, जहां FIR दर्ज कराने के लिए पीड़िता को हाईकोर्ट की दौड़ लगानी पड़ती है
ये है राज्य के होनहार CM रघुवर दास का असली “राइजिंग झारखण्ड”, जहां यौन शोषण की शिकार पीड़िता को अपने भाजपा विधायक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए झारखण्ड हाई कोर्ट तक की दौड़ लगानी पड़ती है। जहां एक एसएसपी ही नहीं, बल्कि पूरा पुलिस महकमा उक्त आरोपी सत्तारुढ़ दल के विधायक को आरोप से मुक्त रखने के लिए एड़ी–चोटी तक एक कर देते हैं, जिन्हें इस बात का मलाल तक नहीं होता, कि जब बात हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट तक जायेगी तो उनकी इज्जत का क्या हाल होगा?
ऐसे तो राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास का काम करने का तरीका पूरा राज्य देख रहा है, ये वहीं मुख्यमंत्री रघुवर दास है, जब वे धुर्वा में एक कार्यक्रम में भाग ले रहे थे, तब एक बलात्कार की शिकार बेटी (जिसे बलात्कारियों ने जिंदा जला दिया था, जिसको लेकर पूरे झारखण्ड में आक्रोश दिखा था, लोग सड़कों पर उतर गये थे) का पिता जब मुख्यमंत्री रघुवर दास से न्याय मांगने गया था, तब मुख्यमंत्री रघुवर दास उसके साथ बदतमीजी से पेश आये थे, जिसका विडियो आज भी यू–टयूब पर उपलब्ध है। जिसे राज्य की जनता आज तक नहीं भूली है।
ताजा मामला भाजपा के धनबाद जिला मंत्री कमला कुमारी का है, जिसने मुख्यमंत्री रघुवर दास के अतिप्रिय भाजपा बाघमारा विधायक ढुलू महतो पर आरोप लगाया कि उसने उसका यौन शोषण करने का प्रयास किया, वह इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की, वह कतरास थाने के समक्ष प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए आत्मदाह का प्रयास किया, रांची पहुंचकर रांची प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन किया, रांची विधानसभा जाकर एक–एक विधायक से मिलकर मदद की गुहार लगाई और जब कही से उसको मदद नहीं मिली तो वह अंत में झारखण्ड हाई कोर्ट की शरण ली।
लीजिये झारखण्ड हाई कोर्ट ने उस पीड़िता कमला कुमारी की बातों का संज्ञान लिया और कल राज्य के पुलिस महानिदेशक और धनबाद के एसएसपी को कारण बताओ नोटिस जारी किया, कि ये दोनों बताएं कि आखिर नौ महीने बीत जाने के बाद भी कमला द्वारा ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज करवाने के बावजूद भी प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई? इन दोनों को 22 सितम्बर तक अपना जवाब हाई कोर्ट को दे देना है। झारखण्ड हाई कोर्ट द्वारा इस प्रकार के सवाल पूछे जाने से झारखण्ड में रहनेवाली उन लाखों महिलाओं के मन में यह आस जगी है कि उनके साथ कुछ भी गलत होता है तो कही न कही न्याय मिलने के कुछ न कुछ ठिकाने आज भी जीवित है, जिन पर भरोसा किया जा सकता है।
राजनीतिक पंडित बताते है कि कमला कुमारी का प्रकरण बताता है कि राज्य में भाजपा विधायकों के मनोबल कितने बढ़े हुए हैं, वे गलत भी शान से करते हैं, और उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती, उलटे उन्हें बचाने में सारा पुलिस महकमा लग जाता है, जबकि अन्य दलों के विधायकों की स्थिति ऐसी है कि आज प्राथमिकी दर्ज हो, और मिनटों में उनके खिलाफ कार्रवाई भी शुरु हो जाती है, मतलब क्लियर है कि भाजपा का विधायक दूध का धुला होता हैं, चाहे उसके विधायक पर आरोप लगानेवाले उन्हीं के लोग क्यों न हो, और दूसरे पार्टियों के विधायक निहायत बदमाश, तभी तो झाविमो के विधायक प्रदीप यादव आज जेल में बंद है, जबकि भाजपा के ढुलू और झाविमो के प्रदीप पर जो आरोप है, वह बिल्कुल समान है।
राजनीतिक पंडित यह भी कहते है कि जिस व्यक्ति पर 28 अपराधिक मामले चल रहे हो, उसे भाजपा के द्वारा टिकट देना, उसका समर्थन करना, उसे जीताने के लिए ही नहीं, बल्कि उसके हर प्रकार के गलत कार्यों को प्रोत्साहित करना, ये तो साफ बताता है कि ये लोग अपराध को महिमामंडित कर रहे हैं, अगर ऐसा निरन्तर चलता रहा, तो भाजपा को डूबने में कितना समय लगेगा? भावनात्मक रुप से तो लोग भाजपा से दूरियां बनाने लगे हैं, अगर यहीं हाल रहा तो पार्टी होगी, झंडा होगा, पर झंडा ढोनेवाला नहीं होगा, क्योंकि जनता जब नाराज हो जायेगी, जनता जब खुद को असुरक्षित महसूस करने लगी तो जनता ऐसे पार्टियों को भाव क्यों देगी? ये बातें भाजपा के कर्णधारों को समझ लेना चाहिए।
कमाल की बात है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता सरयू राय जब कुछ महीने पहले धनबाद गये थे, तब ये मामला उनके पास भी उठा था, और उन्होंने भी कहा था कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए, पर भाजपा मे रह रहे कुछ लोगों ने खुलकर ढुलू महतो का साथ दिया और कमला कुमारी को पार्टी से निकाल देने की भी बात कर दी, जिससे पार्टी में रह रहे संभ्रांत लोगों में नाराजगी है, हालांकि ये खुलकर बोल नहीं रहे, पर उनका मानना है कि ये गलत हो रहा हैं, और इस नुकसान की भरपाई मुश्किल होगी।