नहर गटकनेवाला ‘चूहा’ देखना है तो झारखण्ड और शराब पीनेवाले ‘चूहे’ देखने हो तो बिहार पधारिये
जय हो झारखण्ड की, जय हो बिहार की। दोनों कमाल दिखा रहे हैं। दोनों जगह एनडीए की सरकार हैं। दोनों काफी मेहनत कर रहे हैं। विकास की ऐसी गंगा बह रही हैं, कि चूहे भी उसमें डूबकी लगा रहे हैं, यानी सरकार केवल आदमी का ही नहीं बल्कि हर जीव का ख्याल रख रही हैं, उसमें आदमी और चूहे दोनों शामिल है।
धन्य है, ऐसे नेता जिनके इतने ऊंचे ख्याल हैं, जो आदमी के साथ–साथ चूहों का भी ख्याल रखते हैं, वे चूहे जिन पर किसी की नजर नहीं जाती, उन पर भी इनकी नजर है। ऐसे तो चूहे अपना ख्याल खुद ही रखते हैं, वे उस जगह भी पहुंच जाते हैं, जहां कोई नहीं पहुंच सकता। ज्यादा जानकारी के लिए कोई पुस्तक उलटने की जरुरत नहीं, आपने बचपन में वो कहानी साधुवाली जरुर पढ़ी होगी, जिसे छोटी सी चुहिया मिली और उस चुहिया को उसने मंत्र प्रभाव से एक लड़की बना दिया।
लड़की बनी चुहिया की शादी के लिए उस साधु ने सूरज, फिर बादल, उसके बाद हवा, फिर पहाड़ से संपर्क साधा और अंत में पहाड़ ने बताया कि उससे ज्यादा सर्वशक्तिमान तो चूहा है, जो उसे भी खोद डालता है। अंत में साधु, चुहिया बनी लड़की को फिर से मंत्र के प्रभाव से चुहिया बना देता है और फिर उस चुहिया की शादी चूहे से हो जाती है, यानी “फिर चुहिया की चुहिया” शीर्षक की ये कहानी बचपन में खुब धमाल दिखा चुकी है।
लीजिये बिहार और झारखण्ड में भी चूहे धमाल दिखा रहे हैं। जब बिहार में शराबबंदी लागू हुई, तो जब्त शराबों को, सुनने में आया की चूहे चंपत कर गये, और लीजिये जब से सुना हूं कि कोनार नहर को गटकने का काम भी चूहों के पक्ष में गया हैं, तो सच पूछिये मन प्रसन्न हो गया।
धन्य हैं चूहे, धन्य है इनकी महिमा, जो हर भ्रष्टाचारी को आराम से बचा लेते हैं, हमें लगता है कि जल्द ही किसी महान संत को एक ‘चूहा चालीसा’ या ‘चूहा पचासा’ या ‘चूहायन’ लिखना चाहिए, ताकि इसके प्रभाव से सरकार, अभियंता, ठेकेदार, पत्रकार सभी लाभान्वित हो। इधर आज के अखबारों में रघुवर भक्त अखबारों व चैनलों ने चूहों की खूब महिमा गाई है, बताया है कि कैसे चूहों ने नहर का होल बना दिया और कोनार नहर ढह गया, 2200 करोड़ की इस नहर पर चूहों ने पानी फेर दिया और लीजिये सभी आराम से बच गये।
है न चूहे प्रतापी और करिश्माई जो सभी भ्रष्टाचारियों को अपने शरण में लेकर कृपा लूटाते हैं। यहीं नहीं ये समस्त भ्रष्टाचारियों और उनके परिवारों के उपर छाती संकटों को अपने सुंदर-सुंदर छोटे-छोटे दांतों से सदा के लिए कुतर देते हैं। इसलिए बोलिए प्रेम से चूहे और उनके समस्त परिवार की जय। भ्रष्टाचारी प्रतिपालक चूहा भगवान की जय।
हमारे विचार से मोमेंटम झारखण्ड में जिस प्रकार झारखण्ड में ‘उड़ता हाथी’ की जो परिकल्पना लोगों ने की थी, इसका सही चुनाव ‘गटकता चूहा’ रहता तो सचमुच मजा आ जाता, लोग गटकते चूहे को देखने के लिए झारखण्ड में भीड़ लगा देते, पर्यटन को भी लाभ पहुंचता, अभी भी देर नहीं हुआ है, कोनार नहर के पास एक बोर्ड लगा देना चाहिए, जिस पर लिखा हो कि यह वही पवित्र स्थान है, जहां ‘नहर गटकने वाले चूहे’ पाये जाते है, वहां पर्यटकों के लिए ठहरने, खाने–पीने की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, हमें लगता है कि जल्द ही कोनार नहर के आस–पास रहनेवाले लोगों को एक अच्छी इन्कम की व्यवस्था हो जायेगी, और झारखण्ड का भी भला हो जायेगा।
सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों तथा ठेके पर काम कर रहे लोगों को आज ही गटकता चूहा को ध्यान में रख एक विज्ञापन पर काम शुरु कर देना चाहिए। एक कविता तो आज ही खिदमत पेश है –