तीज के दिन रांची की सड़कों पर आंगनवाड़ी सेविकाओं ने खूले आकाश के नीचे रात गुजार दी, पर सरकार को शर्म नहीं आई
कल तीज और गणेश-चतुर्थी था, राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास गोड्डा के सुंदर पहाड़ी में आयोजित जनचौपाल में आए सभी भाइयों-बहनों का तीज एवं गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं दे रहे है, वह भी रांची से कई सौ किलोमीटर दूर जाकर, पर रांची स्थित मुख्यमंत्री आवास से थो़ड़ी ही दूरी पर, राजभवन के समक्ष राज्य की सैकड़ों महिलाएं खुले आकाश के नीचे, मच्छड़ों और भिनभिनाती मक्खियों के बीच दिन और रात गुजार दिया पर यहां के महिलाओं को तीज और गणेश-चतुर्थी की शुभकामना देने की न तो मुख्यमंत्री और न ही भाजपा के किसी अन्य नेता को फुर्सत थी।
ये वे नेता हैं, जो रह-रहकर जयश्रीराम बोलते और हिन्दुत्व का झंडा बुलंद कर रहे थे। कल का दिन किसी भी महिला के लिए खास होता है, जब वह अपने पति और परिवार की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला एक दिन का उपवास रखती है। अपने नन्हें-मुन्नों को सीने से चिपकाये ये महिलाएं कल खुले आकाश के नीचे रात गुजार दी, पर बेशर्म सरकार को शर्म नहीं आ रही थी।
सामाजिक कार्यकर्ता रतन तिर्की अपने फेसबुक पर बड़ी मर्माहत होकर लिखते हैं – अन्यथा कभी न लें, तीज की ढेरो बधाइयां, आज तीज है, सभी पतिव्रता उपवास रख पति-परिवार की मंगल कामना करती है, भगवान के समक्ष याचना करती है। जरा देखिये, ये सभी झारखण्ड महिलाएं आंगनवाड़ी सेविका है, इनका तीज तो राजभवन के सामने रोजी-रोटी की मांग में रह गया, आशा करुंगा इनकी मांग उपर तक जरुर पहुंचे, न्याय मिले इनको जरुर, शुभकामनाएं, आखिर कौन लोग है, जो इन आंगनवाड़ी सेविकाओं के सुख-चैन को लूट लिया है। आखिर वे कौन लोग है, जो सपने दिखाते हैं, पर सत्ता में आते ही उन सपनों को रौंदने में प्रमुख भूमिका निभा देते है।
अरे मुख्यमंत्री रघुवर दास जी, जिस प्रकार से गोड्डा के सुंदर पहाड़ी की महिलाओं को तीज की बधाई दे रहे थे, जरा थोड़ा इधर ध्यान देते और इन महिलाओं की भी सुध लेते, तो इन महिलाओं को भी लगता कि राज्य का मुख्यमंत्री दया से भरा है, पर आपकी जो हरकत हैं न, उसे गोड्डा के सुंदर पहाड़ी की महिलाएं भी जानती है, और जानती है रांची की राजभवन के समक्ष कल तीज के दिन पूरी रात गुजारी ये आंगनवाड़ी सेविकाएँ जो अपने पूरे परिवार को छोड़कर, तीज जैसे त्यौहारों में भी टकटकी लगाये बैठी रही कि आप के दिमाग में उनके प्रति कुछ नया दिखेगा, पर आप तो अभी घमंड में हैं, आप तो ६५-६५ चिल्ला रहे हैं, लेकिन ये ६५ कब २०-२५ पर आकर दम तोड़ेगा, शायद आपको मालूम नहीं, और वो समय जल्द आ रहा हैं, घबराइये नहीं।
गिरिडीह के प्रभाकर कहते है कि आज एक ओर जहां लगभग पूरे उत्तर भारत की सुहागिन महिलाएं तीज व्रत के लिए उपवास रखकर पूजा की खुशी मना रही है, वहीं दूसरी ओर यह तस्वीर है, रांची की जहां खांटी झारखण्डी बहूं-बेटियां, जो अपनी रोजी-रोजगार के लिए आंगनवाड़ी सेविका के रुप मे काम कर रही है, वे सब अपनी जायज मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रही है। इनमें से अधिकांश महिलाएं ऐसी है, जो इस अवस्था में उपवास में है। बाबा भोलेनाथ से प्रार्थना है कि इन सुहागिनों की मनोकामनाएं पूरी करें।
इधर यह मुद्दा पूरे सोशल साइट पर छाया है, पर अखबारों से ये मुद्दा गायब है, शायद अखबारों और चैनलों के मठाधीशों को लगता है कि इन खबरों की कोई औकात नहीं होती, इसलिए वे वो खबरें ढूंढते और उसे स्थान देते हैं, जो उनके लिए ज्यादा जरुरी होता है, जिससे उनका रोजगार बढ़ता है, जैसे जय-जय रघुवर, जय-जय मोदी की खबरें जो आजकल हर अखबारों और चैनलों की सुर्खियां बन रही है।