याद करें, जब एक IAS की पत्नी ने 600 का चालान काटने पर ट्रैफिक DSP का तबादला करवा दिया था
याद है या भूल गये, इसी साल की घटना है। चार फरवरी से 10 फरवरी 2019 तक रांची ही नहीं पूरे राज्य में सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा था, इसी दौरान पांच फरवरी को एक आइएएस की पत्नी कार से जा रही थी। इसी क्रम में कचहरी चौक पर कंट्रौल रुम के सामने बिना सीट बेल्ट के मारुति की सियाज कार जे–एच 01 सीएफ 2083 चला रहे ड्राइवर को ट्रैफिक पुलिस ने रोका, बताया जाता है कि यह गाड़ी सुनील कुमार के नाम से निबंधित था। बाद में वहां तैनात पुलिस अधिकारी ने ड्राइवर से ड्राइविंग लाइसेंस मांगी, वह भी ड्राइवर के पास नहीं था। फिर क्या था, 600 रुपये का चालान काटा गया।
इधर इस पूरे प्रकरण पर आइएएस की पत्नी यानी मैडम तमतमाई, उन्हें गुस्सा आ गया कि भाई, वो तो आइएएस की पत्नी है, उनके ड्राइवर को उनके सामने एक पुलिसवाला कैसे चालान काट सकता है, लीजिये यहीं महंगा पड़ गया, उक्त पुलिस अधिकारी को। जरा आगे की बेशर्मी देखिये, डीएसपी रंजीत लकड़ा को उसी के विभाग के वरीय पुलिस अधिकारी उसे सलाह देते हैं कि जाकर उक्त आइएएस अधिकारी से माफी मांग लो, उस गुनाह की, जो तुमने किया ही नहीं, अगर वे माफ करेंगे तभी तुम्हारी भलाई है, अन्यथा नहीं। बेचारा रंजीत लकड़ा, कहने को तो डीएसपी हैं, आइएएस अधिकारी के पास जाता है, पर वह आइएएस अधिकारी उससे कहता है कि तुमने मैडम के साथ बदसलुकी की है, इसलिए उनके पास जाओ।
डीएसपी रंजीत लकड़ा को इसी बात पर, उसके स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है, वह इनकार करता है और लीजिए, उसे तबादले की चिट्ठी थमा दी जाती है। सूत्र बताते है कि कई आइएएस अधिकारियों ने उस वक्त, उक्त आइएएस अधिकारी को मनाने की कोशिश की, पर वे नहीं माने, मानेंगे भी क्यों? भाई आइएएस जो ठहरें। जब उनके आगे मुख्यमंत्री रघुवर दास झूकते हैं, तो ये डीएसपी की क्या औकात? शायद उक्त अधिकारी ने उस वक्त यहीं सोचा होगा।
लोग बताते है कि रांची ट्रैफिक डीएसपी रंजीत लकड़ा ने उस वक्त तक राज्य के चार आइएएस अधिकारियों के परिवार के सदस्यों के चालान काट चुके थे, पर सबने चालान जमा करवाया, पर इस आइएएस की पत्नी ने आइएएस की पत्नी होने का घमंड दिखाया और एक आइएएस की पत्नी क्या कर सकती है, उसका ऐहसास करा दिया। उस वक्त सोशल साइट पर यह घटना खूब वायरल हुआ था, अधिकारी का नाम उस वक्त सोशल साइट पर अजय कुमार सिंह बताया जा रहा था।
कमाल की बात है कि उस वक्त सारे अखबारों/चैनलों व पोर्टलों ने चुप्पी साध रखी थी, पर सोशल साइट ने इसे मुद्दा बनाया था, विद्रोही 24.कॉम में इस खबर को 1 मार्च 2019 को प्रकाशित किया गया था, जो “जागो आदिवासियों, नहीं तो तुम्हें ये इज्जत से नहीं रहने देंगे, ट्रैफिक डीएसपी रंजीत लकड़ा प्रकरण से कुछ सीखों” हेडिंग से छपा था, जिसे बड़ी संख्या में लोगों ने पढ़ा था।
इस मुद्दे को दुबारा प्रकाशित करने या उठाने का हमारा मकसद सिर्फ इतना ही है कि गलतियां या ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन सिर्फ मध्यमवर्गीय या निम्नवर्गीय परिवार ही नहीं करते, बल्कि बड़े–बड़े अधिकारियों व उनके परिवार के सदस्य, नेता व उनके परिवारों के सदस्य भी करते हैं, तो फिर उन पर लगाम क्यों नहीं कसा जाता, उनके कॉलर क्यों नहीं पकड़े जाते, आखिर उनसे अब तक कितने चालान काटे गये, सरकार बतायें। रांची के एक पत्रकार अखिलेश कुमार सिंह ने ठीक ही लिखा है कि जिन रास्तों से ये गुजर रहे हैं, उन रास्तों के सारे कैमरे ही बंद कर दिये गये हैं ताकि कभी इनकी गलतियां पकड़ में ही नहीं आये, यानी सामान्य जनता गलती करें तो वो जुर्माना भरें, अपनी इज्जत गवाएं और ये गलतियां करें तो मस्ती काटें, वाहे रे गडकरी टैक्स और वाह रे ट्रैफिक आतंकवाद का दोहरा चरित्र।